जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से दोगुना बड़े ग्रह की खोज की है। इसे सुपर-अर्थ की श्रेणी में रखा गया है। इसका आकार और द्रव्यमान पृथ्वी से अधिक है। यह एक्सोप्लेनेट हमारी पृथ्वी से बहुत मिलता-जुलता है। हमारा अंतरिक्ष कई रहस्यों से भरा हुआ है। जिसके बारे में जानने की दिलचस्पी हमेशा बनी रहती है। वैज्ञानिक अक्सर किसी न किसी ऐसे रहस्य का खुलासा करते हैं, जो हमारे लिए चौंकाने वाला होता है। इन खुलासों से हमें ये भी पता चलता है कि पृथ्वी से बाहर की दुनिया कैसी है। वहां क्या-क्या मौजूद है। अब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक हैरान कर देने वाली खोज की है। वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल से बाहर पृथ्वी से करीब दोगुने आकार का एक नया ग्रह खोजा है। जिसे सुपर-अर्थ की श्रेणी में रखा गया है। यह ग्रह अपने तारे की परिक्रमा उस दूरी से कर रहा है जो हमारे सौरमंडल में शनि ग्रह की कक्षा से भी अधिक है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सौरमंडल की अगर ऐसे ही खोज जारी रही तो अभी अन्य सुपर-अर्थ ग्रह सामने आ सकते हैं। इस खोज को हार्वर्ड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स यानी सीएफए के खगोलविदों ने अंजाम दिया है। बता दें कि सुपर-अर्थ ऐसे ग्रह होते हैं जिनका आकार और द्रव्यमान पृथ्वी से अधिक लेकिन नेपच्यून से कम होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ग्रह उन क्षेत्रों में पाए जा रहे हैं जहां पहले केवल विशाल गैस ग्रहों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। यह इस बात का संकेत है कि ग्रहों की उत्पत्ति और संरचना, हमारे सौरमंडल की अपेक्षा अन्य प्रणालियों में कहीं अधिक विविध और जटिल हो सकती है। वैज्ञानिक अंतरिक्ष की गहराइयों में छिपे इन रहस्यों को उजागर करने में लगे हैं। अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने कोरिया माइक्रोलेंसिंग टेलीस्कोप नेटवर्क का इस्तेमाल किया। इसमें चिली, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में स्थित तीन अत्याधुनिक टेलीस्कोप शामिल हैं। ये टेलीस्कोप निरंतर रातभर आकाश का निरीक्षण करते हैं। खगोलविदों का कहना है कि इस खोज ने यह साबित कर दिया कि ब्रह्मांड असामान्य नहीं है। यह न केवल खगोल विज्ञान के लिए बल्कि जीवन की संभावना के अध्ययन के लिए भी एक नई दिशा प्रदान करेगा। जैसे-जैसे शोध आगे बढ़ेगा नए ग्रहों की खोज होती रहेगी। साथ उन ग्रहों संख्या और उनके वातावरण, संरचना और जीवन की संभावना के बारे में भी जानकारी सामने आएगी। साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार इस खोज के लिए माइक्रोलेंसिंग तकनीक का उपयोग किया गया है। यह ब्रह्मांडीय वस्तुओं की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आने वाले प्रकाश को बढ़ाकर दूरस्थ ग्रहों का पता लगाती है। यह तकनीक विशेष रूप से उन ग्रहों को खोजने में सक्षम है जो हमारे सूर्य और शनि की दूरी के बराबर या उससे भी अधिक दूर स्थित हैं। अध्ययन बताता है कि यह अब तक का सबसे बड़ा माइक्रोलेंसिंग डाटा से की गई खोज है। बता दें कि पृथ्वी पर लगातार इंसानों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के कारण धीरे-धीरे हमारे ग्रह पर रहना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में अंतरिक्ष ने पिछले कई सालों से किसी ऐसे ग्रह की तलाश शुरू कर दी है, जहां इंसानों को बसाया जा सके। इस प्रयास में पृथ्वी के जैसे कई ग्रह मिले हैं लेकिन वहां हमारे रहने लायक वातावरण नहीं मिल पाया है।
पृथ्वी से दोगुना बड़े ग्रह की खोज
03-May-2025