खगोलशास्त्रियों ने की छोटे चांद की खोज 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। खगोलशास्त्रियों ने छोटे चांद की खोज कर सभी को चाैका दिया है। इसका नाम 2024 पीटीएस रखा गया है। इस खोज से अनुमान लगाया जा रहा है कि पृथ्वी के पास ढेरों मिनीमून हो सकते हैं। यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये हमें चंद्रमा की टक्करों और सौर मंडल के इतिहास के बारे में नई जानकारी दे सकते हैं। पृथ्वी के आसपास छोटे-छोटे चंद्रमाओं की पूरी आबादी हो सकती है। जिन्हें मिनीमून कहा जा रहा है। खगोलशास्त्रियों ने 2024 पीटीएस नाम का एक छोटे चांद का टुकड़ा खोजा है। इसे मिनीमून के रूप में पहचाना गया है। इस बारे में अनुमान जताया जा रहा है कि यह संभवतः चंद्रमा से टूटकर अलग हुआ है। यह टुकड़ा लाखों साल पहले चंद्रमा पर किसी बड़े टक्कर के कारण अंतरिक्ष में आया होगा। यह खोज इस बात का संकेत देती है कि पृथ्वी के पास चंद्रमा के ऐसे कई टुकड़े घूमते मिल सकते हैं। प्लैनेटरी साइंटिस्ट टेडी करेटा ने टेक्सास में हुई 56वीं लूनर एंड प्लैनेटरी साइंस कॉन्फ्रेंस में इस बारे में खुलासा किया था। उन्होंने कहा कि यह दिलचस्प है। यह अकेला मामला नहीं है। अब तक दो टुकड़े मिले हैं, हमें यकीन है कि यह छोटे चन्द्रमाओं की पूरी आबादी हो सकती है। 2024 पीटीएस की खोज दक्षिण अफ्रीका के खगोलविदों ने की है। यह मिनी मून पृथ्वी के पास बहुत धीमी गति से सिर्फ 7.24 किलोमीटर प्रति घंटे यानी 2 मीटर प्रति सेकंड चल रहा था। बता दें कि इतनी धीमी गति से चलने वाले नौ क्षुद्रग्रहों की खोज पहले की जा चुकी थी। इसके बाद टेडी करेटा और उनके साथी निक मॉस्कोविट्ज़ ने क्षुद्रग्रहों की खोज जारी रखी। उन्होंने लोवेल डिस्कवरी टेलीस्कोप से अध्ययन किया। इस अध्ययन में पता चला कि एस्टेरॉयड के आकार के टुकड़े अंतरिक्ष में घूम रहे हैं। जब इसका पूरा अध्ययन किया गया तो पता चला कि ये एस्टेरॉयड नहीं बल्कि चांद के छोटे टुकड़े हैं। शोधकर्ताओं को यह भी पता चला कि 2024 पीटीएस कोई साधारण क्षुद्रग्रह नहीं है। इसकी संरचना अपोलो मिशन और सोवियत यूनियन के लूना 24 मिशन द्वारा चंद्रमा से लाए गए पत्थरों जैसी है। यह टुकड़ा सिर्फ 8 से 12 मीटर यानी 26 से 39 फीट का है। इस बारे में शोधकर्ताओं का मानना है कि 2024 पीटएस तब बना जब चंद्रमा पर कोई बड़ा पिंड टकराया होगा। इस टक्कर से चंद्रमा का कुछ हिस्सा टूटकर अंतरिक्ष में चला गया। शोधकर्ता इस टुकड़े की संरचना का अध्ययन करके यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह चंद्रमा के किस गड्ढे यानी क्रेटर से आया है। अगर अंतरिक्ष में चंद्रमा के टुकड़ों को उनके क्रेटर से जोड़ने में सफलता मिली तो वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेगा कि चन्द्रमा पर टक्कर के दौरान क्या होता है। बता दें कि पृथ्वी सूरज के चारों ओर चक्कर लगाते समय धूल, चट्टानों और अंतरिक्ष के कचरे के बादल के साथ चलती है। इसमें कुछ मानव निर्मित चीज़ें जैसे सैटेलाइट और अंतरिक्ष कचरा भी शामिल हैं। वहीं कुछ चट्टानी टुकड़े सौर मंडल के शुरुआती दिनों में हुई टक्करों से बने हैं। इन्हें नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स कहा जाता है। इन पर नज़र रखी जाती है ताकि ये पृथ्वी के लिए खतरा न बन सके। 2024 पीटीएस को मिनीमून कहा गया, क्योंकि यह कुछ समय के लिए पृथ्वी के साथ  सूर्य की परिक्रमा कर रहा था। पृथ्वी अपनी लेन में तेज़ी से चल रही है, जबकि यह धीमी गति से सूरज के करीब वाली लेन में था। 2024 में यह पृथ्वी की लेन में आ गया। कुछ समय तक साथ चला। अब यह फिर अपनी लेन में चला गया है। अनुमान है कि 2055 में यह फिर से पृथ्वी के करीब होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यह सूर्य की रोशनी पड़ने पर मिनी मून होने का भ्रम भी पैदा करता है। 2024 पीटीएस की तरह ही चंद्रमा का दूसरा टुकड़ा भी अंतरिक्ष में माैजूद है। इसका नाम कामो ओलेवा है। इसे अंतरिक्ष में कॉस्मिक किरणों और सौर विकिरण से ज्यादा नुकसान हुआ है। कामो ओलेवा एक क्वासी-सैटेलाइट की तरह है। फिलहाल यह पृथ्वी के पास कई चक्कर लगा रहा है। वहीं 2024 पीटीएस समय-समय पर पृथ्वी की कक्षा में आता-जाता रहता है।