जन प्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 12-दिवसीय इजरायल-ईरान युद्ध ने दोनों देशों की सैन्य और रणनीतिक कमजोरियों को उजागर किया। यह युद्ध दोनों देशों के लिए सबक था। एक ओर जहां ईरान को रूस-चीन का समर्थन न मिलना, हवाई नियंत्रण की कमी और क्षेत्रीय सहयोगियों का असफल होना उसकी नाकामी रहे। वहीं इजरायल को भी सबक मिला, आयरन डोम अभेद्य नहीं है। अमेरिका ही असली बिग बॉस है। इसका आकलन करना होगा कि इस युद्ध में किसकों कितना नुकसान हुआ।
13 जून को शुरू हुआ युद्ध
13 जून को शुरू हुआ 12-दिवसीय इजरायल-ईरान युद्ध ईरान के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। इस युद्ध में इजरायल ने आॅपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान के परमाणु, सैन्य और मिसाइल ठिकानों पर हमले किए। वहीं अमेरिका ने आॅपरेशन मिडनाइट हैमर में शामिल होकर फोर्डो, नतांज और इस्फहान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। इस युद्ध में ईरान को कई कमजोरियां उजागर हुईं। जैसे रूस और चीन का समर्थन न मिलना, हवाई नियंत्रण की कमी और मिसाइलों की प्रभावशीलता में कमी देखी गई। इस युद्ध में ईरान ने हमेशा रूस और चीन को अपने रणनीतिक सहयोगी माना, लेकिन दोनों देशों ने ईरान को अकेला छोड़ दिया। रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी हमलों की निंदा की, लेकिन कोई सैन्य मदद नहीं दी। इसी तरह चीन मदद करने को तैयार नहीं दिखा। ईरान, रूस और चीन ने संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया, लेकिन जब तेहरान पर मिसाइलें गिरीं, कोई सहयोगी आगे नहीं आया।
120 वायु रक्षा प्रणालियों को किया नष्ट
इजरायल ने युद्ध के पहले 24 घंटों में ईरान की 120 वायु रक्षा प्रणालियों को नष्ट कर दिया। इसके बाद इजरायली वायुसेना ने पश्चिमी और मध्य ईरान में हवाई श्रेष्ठता हासिल कर ली। इजरायल ने केवल एक ड्रोन खोया, जबकि उसके 200 से अधिक विमान 330 से ज्यादा हथियार गिराने में सफल रहे। इजरायल के वार को ईरान की रक्षा प्रणालियां रोकने में नाकाम रहीं। इसी तरह युद्ध ने इजरायल को अपनी ताकत और कमजोरियों दोनों का आकलन करने का मौका दिया। आयरन डोम की सीमाएं, नागरिक सुरक्षा की कमी और आर्थिक-सामाजिक प्रभाव इस युद्ध के प्रमुख सबक हैं। इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया, लेकिन अपनी कमजोरियों को भी देखा।
इजरायल की आयरन डोम बेहद उन्नत
इजरायल की आयरन डोम दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणालियों में से एक है। ये छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों और ड्रोनों को रोकने में सक्षम रहे। बता दें कि इस युद्ध में आयरन डोम ने ईरान की 450 मिसाइलों और 1000 ड्रोनों में से 90 प्रतिशत को रोक लिय। वहीं 10 प्रतिशत ईरान की हाज कासेम और खैबर शेकन मिसाइलों ने आयरन डोम को चकमा दिया। इससे बटयम, तेल अवीव और बीर शेवा में नुकसान पहुंचा। वहीं सोरोका मेडिकल सेंटर पर हमले में 76 लोग घायल हुए। इजरायल में युद्ध के दौरान सायरन की आवाजें और बंकरों में छिपने की मजबूरी आम हो गई थी। इजरायल में लगभग 30 नागरिक मारे गए। 600 लोग घायल हुए। जिनमें ज्यादातर मिसाइल हमलों या बंकरों की ओर भागते समय घायल हुए. बटयम में नौ लोग मारे गए। युद्ध ने दिखाया कि इजरायल के पास सार्वजनिक बंकरों और नागरिक सुरक्षा उपायों की कमी है। भविष्य में इजरायल को हर शहर में आधुनिक बंकर, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां और आपातकालीन प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा। साथ ही, स्कूलों और अस्पतालों को और सुरक्षित करना होगा। दूसरी ओर 12 दिवसीय युद्ध ने दोनों देशों को भारी नुकसान पहुंचाया। ईरान में 657-800 लोग मारे गए। जिनमें 263 नागरिक थे। आर्थिक रूप से, ईरान को 150-200 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। वहीं इजरायल को भी 12 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।