गहरे समंदर में वैज्ञानिकों ने ऐसा खतरनाक नाजारा 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। गहरे समंदर में वैज्ञानिकों ने ऐसा खतरनाक नाजारा देखा है जो बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि इससे पूरी समुद्री दुनिया तबाह हो जाएगी। ये समुद्र की तलहटी में जमें जहरीले टाइम बम की तरह हैं। समंदर ने हमें बहुत कुछ दिया है, लेकिन हम उसे कचरे के सिवाय कुछ नहीं दे रहे। अब समुद्री वातावरण और लाखों-करोड़ों समुद्री जीवों के जीवन को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ी चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर जल्द कुछ नहीं किया गया तो समुद्र का वातावरण जहरीला हो जाएगा। वैज्ञानिकों की मानें तो समुद्र की तलहटी में हजारों ऐसी जहरीली चीजें हैं जो किसी टाइम बम की तरह खतरनाक हैं। ये समुद्री जीवन को तबाह कर सकती हैं। द कनवर्सेशन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक समुद्र की तलहटी में 8500 जहाजों का मलबा जमा है। यह समुद्री जीवों के लिए बेहद खतरनाक बनता जा रहा है। बता दें कि इन जहाजों में से ज्यादातर प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान के जंगी जहाज हैं।  वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि इन हजारों जहाजों पर 6 अरब गैलन तेल और युद्धक हथियार लदे थे। साथ ही भारी धातुओं के भी होने की संभावना है। यहां तक की रासायनिक हथियार भी हो सकता है। बता दें कि सशस्त्र संघर्ष पर्यावरणीय क्षति जैसा गहरा असर छोड़ जाता है। जिसके परिणामस्वरूप हमारे और अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रासायनिक और अन्य हथियारों से होने वाला प्रदूषण जहर के तौर पर पर्यावरण में बना रहता है। विस्फोटकों से जो यूरेनियम प्रदूषक निकलते हैं, वे काफी समय तक नुकसान पहुंचाते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि संघर्षों से हुआ नुकसान अनुमान से कहीं अधिक समय तक रह सकता है।  वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान इन जहाजों और कचरे को भूल चुका है। ये दशकों से समुद्र की तलहटी में पड़े-पड़े सड़ रहे हैं यानी ये सारा मलबा गल रहा है। इससे एकाएक मलबों का जहर समुद्र में फैल सकता है। वैज्ञानिकों दुनिया के कई हिस्सों में जलवायु परिवर्तन इस जोखिम को और भी बढ़ा रहा है। समुद्र का बढ़ता तापमान, अम्लता और बढ़ता तूफान इन मलबे के टूटने को तेज कर रहे हैं। इस वैश्विक समस्या से निपटने में बहुत ज्यादा खर्च आने का अनुमान है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर मलबे को पूरी तरह से साफ किया जाए तो कम से कम 340 बिलियन डालर का खर्च आएगा। मलबों को लेकर अधिक चिंता इसलिए है क्योंकि ये धातुओं से बने हैं। इन मलबे में स्टील धीरे-धीरे खराब हो रहा है। जिससे कार्गो के बिखरने और घटकों के टूटने की संभावना बढ़ रही है। कई मलबे उन देशों के जल में हैं जिनका जहाज के मूल मालिक से कोई लेना-देना नहीं है। यानी बाहर से आए जहाज समुद्र में डूब गए थे। ऐसे में सफाई का खर्च कौन उठाएगा। यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है।