जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस ने पहली बार एआई की मदद से एसयू-57 एम फाइटर जेट उड़ाया। यह विमान एडवांस स्टील्थ आर्किटेक्चर और लंबी दूरी के रडार से लैस है। इसे पूरी तरह से एआई की मदद से आपरेट किया गया। रूस के इस कीर्तिमान से अमेरिका हैरान है। वही दोस्त देश के साथ भारत के पास भी बड़ा मौका है। भारत के पास मेड इन रूस सुखाई विमानों की भरमार है। सुखाई इंडियन एयरफोर्स का अहम हिस्सा हैं। इसी बीच रूस से एक अहम खबर सामने आई है। रूस के सुखोई एसयू-57 एम फाइटर जेट ने पहली बार एआई की मदद से उड़ान भरी। रूस ने ऐसा कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया है।
रूस के इस कदम से अमेरिका भी हैरान
रूस के इस कदम से अमेरिका भी हैरान है। यह भारत के लिए किसी बड़े मौके से कम नहीं है। आने वाले समय में भारत भी रूस की इस तकनीक में दिलचस्पी दिखा सकता है।बता दें कि एआई की मदद से सुखोई फाइटर प्लेन उड़ाने के कई फायदे होंगे। पहला तो यह जंग के मैदान में अधिक आक्रामक और घातक हो जाएगा। दूसरा यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम के जरिए आंशिक या पूरी तरह स्वचालित रूप से नियंत्रित किया जा सकेगा। इससे विमान की नेविगेशन, टारगेटिंग और उड़ान नियंत्रण अच्छी हो जाएगी। वहीं आवश्यकता के अनुसार त्वरीत गति से विमान पर नियंत्रण हासिल किया जा सकेगा। इससे जिन क्षेत्रों को टारगेट किया गया है वहां तो विमान हमला करेगा ही। साथ ही अन्य जगहों पर दुश्मन देश की गतिविधियां पाने पर अपने आप हमला कर देगा। इसमें विमान नियंत्रणपर इंसानी पायलट की जगह एआई लेने लगेगा।
पूरी तरह बिना पायलट के नहीं उड़ेगा विमान
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि एआई के आने के बाद ऐसा नहीं होगा कि विमान पूरी तरह बिना पायलट के उड़ने लगेगा। अभी तक ऐसे परीक्षणों में आमतौर पर एक पायलट को रखा गया है। इसका नियंत्रण एआई संभालता है। इससे युद्ध की स्थिति में तेजी से निर्णय लेना और रिस्क को कम करना संभव हो जाएगा। यह भविष्य की एयर कॉम्बैट रणनीति का हिस्सा बन जाएगा।
उड़ान को टेस्ट पायलट सर्गेई बोगदान ने किया संचालित
इस उड़ान को टेस्ट पायलट सर्गेई बोगदान ने संचालित किया। यह रूस के पीएके एफए प्रोग्राम का हिस्सा है। यह 1999 में शुरू हुआ था। एसयू 57 एम फाइटर जेट एसयू-57 का एडवांस वर्जन है। इस विमान में एआई सिस्टम के अलावा एडवांस स्टील्थ आर्किटेक्चर, एएल-51 एफ-1 इंजन और लंबी दूरी का रडार शामिल है। इस परीक्षण के बाद यह विमान अमेरिका के एफ-22 और एफ-35 जैसे जेट्स के मुकाबले बेहतर और मारक बन जाएगा। एसयू-57 एम का डिजाइन तकनीकी और सामरिक दोनों दृष्टिकोण से प्रभावशाली है।
भारत के पास बड़े मौके
इस तकनीक के लांच होने के बाद भारत के पास बड़े मौके हैं। बता दें आपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और रूस की तकनीक ने दुनिया भर में अपना लोहा मनवा दिया। अब अमेरिका इस विमान की कामयाबी को देखकर हैरान है। बता दें कि भारत के पास रूस के एसयू-30एमकेआई सुखोई विमान हैं। ये भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाते हैं। भारत ने 1996 में रूस से इस लड़ाकू विमान को खरीदने का समझौता किया था। पहला बैच 2002 में रूस से आया। वहीं बाद में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इन्हें भारत में ही असेंबल और निर्माण करना शुरू किया। एसयू-3 एमकेआई एक ट्विन-सीटर, ट्विन-इंजन, मल्टी-रोल फाइटर जेट है। यह लंबी दूरी, सुपर मैनोवरेबिलिटी और आधुनिक एवियोनिक्स से लैस है। भारत के पास ऐसे 270 से अधिक विमान हैं। भारत रूस की मदद से सुखोई की नई तकनीक हासिल कर सकता है।