डीआरडीओ ने बनाया सुपर बम

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना को 120 किलो का सुपर बम मिलने वाला है। यह 100 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। यह जहां गिरेगा वह जगह खंडहर बन जाएगी। इसकी रिपोर्ट ने पड़ोसी देश चीन और दुश्मन देश पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। वहीं क्यूआरएसएम मिसाइल सिस्टम की भी भारत खरीद करेगा।
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भारतीय वायु सेना को जल्द ही स्वदेशी स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड हथियार का एक उन्नत संस्करण मिलने वाला है। यह हथियार वायु सेना के एसयू 30 एमकेआई समेत लगभग सभी लड़ाकू जेट के बेड़े पर लगाया जा सकेगा। इस हथियार के चलते वायु सेना की ताकत और बढ़ जाएगी। डीआरडीओ के हैदराबाद रिसर्च सेंटर ने भारतीय वायुसेना के लिए यह नया हथियार बनाया है। यह अपने नाम के अनुसार ही स्मार्ट वेपन है। इसका वजन 120 किलोग्राम है। यह एक उच्च-सटीक गाइडेड बम है जो पूरी तरह स्वदेशी है। इस हथियार की रेंज 100 किलोमीटर है। यह टारगेट के पिनपॉइंट को सटीक निशाना लगाते हुए पल भर में खाक कर सकता है।
एक तरह का हथियार है बम 


स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड हथियार एक तरह का बम है। यह हवा से छोड़ा जाता है। यह बम उपग्रह से निर्देशित होता है। इस बम को स्वदेशी रूप से विकसित और डिजाइन किया गया है। यह हल्का होने के साथ उच्च परिशुद्धता वाला निर्देशित बम विश्व स्तरीय हथियार प्रणालियों में से एक है। इसका मकसद दुश्मन के एयरबेस में मौजूद रडार, बंकर, रनवे, टैक्सी ट्रैक आदि को पलक झपकते ही नष्ट करना है। स्टैंड आफ हथियार पाकिस्तान में बालाकोट हवाई हमलों में इस्तेमाल किए गए स्टैंड आफ हथियारों के समान है। इस प्रस्ताव पर जल्द ही रक्षा मंत्रालय में चर्चा होने वाली है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है, जब भारतीय सेना भविष्य की लड़ाइयों को देखते हुए लंबी दूरी की स्टैंड आफ हथियार प्रणालियों की तलाश कर रही है।
सफल परियोजनाओं में से एक योजना


यह बम डीआरडीओ द्वारा की गई सफल परियोजनाओं में से एक है। बता दें कि डीआरडीओ ने इस हथियार को जल्द से जल्द सेना को देने के लिए आपातकालीन खरीद प्रक्रिया की पेशकश भी की है। यह बम दुश्मन के एयरफील्ड असेट्स को भी तबाह करने में माहिर है। इसमें रडार, टैक्सी ट्रैक, बंकर और रनवे शामिल है। बता दें कि भारतीय वायुसेना लॉन्ग-रेंज स्टैंड-आफ वेपन सिस्टम्स पर जोर दे रही है। इसमें खास तरह की मिसाइलें और बम शामिल हैं। आॅपरेशन सिंदूर के बाद इस बम की डिमांड बढ़ गई है।
क्यूआरएसएम मिसाइल सिस्टम की खरीद


दूसरी ओर रक्षा मंत्रालय क्यूआरएसएम मिसाइल सिस्टम की तीन रेजिमेंट्स खरीदने की तैयारी में है। जिसकी अनुमानित लागत करीब 30,000 करोड़ रुपये होगी। यह सौदा भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। यह प्रस्ताव जून के अंतिम सप्ताह में होने वाली बैठक में औपचारिक रूप से मंजूरी के लिए रखा जाएगा। बता दें कि क्यूआरएसएम मिसाइल यानी क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल एक स्वदेशी और उन्नत रक्षा प्रणाली है। इसे डीआरडीओ ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया है। यह मिसाइल सिस्टम खास तौर पर तेज गति से उड़ने वाले दुश्मन के विमानों, ड्रोन और मिसाइलों को तुरंत जवाब देने की क्षमता रखता है।
क्यूआरएसएम मिसाइल सिस्टम में कई खासियत


क्यूआरएसएम मिसाइल सिस्टम की कई सारी खासियतें हैं। इसकी गति 6000 किमी प्रति घंटा तक है। इसके अलावा इसकी रेंज 3 से 30 किलोमीटर तक है। यह 98 फीट से लेकर 33,000 फीट तक की ऊंचाई तक मार कर सकती है। यह मिसाइल सिस्टम भारत के मौजूदा एमआरएसएएम और आकाश सिस्टम्स के साथ मिलकर काम करेगा। जिससे हवाई खतरों से सुरक्षा और मजबूत होगी। इस तरह क्यूआरएसएम मिसाइल सिस्टम की तैनाती से भारत का एयर डिफेंस सिस्टम पहले से कहीं अधिक सतर्क, सटीक और सक्षम बन जाएगा। यह मिसाइल प्रणाली भविष्य में संभावित हवाई हमलों और घुसपैठ को रोकने में अहम भूमिका निभाएगी।