डीआरडीओ ने बनाई विशेष गन, पुरानी गोली से ही करेगी बड़ा धमाका 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। डीआरडीओ ने ऐसी गन बनाई  है जो पुरानी गोली से ही बड़ा धमाका करेगी। भारतीय सेना को यह कार्बाइन देखते ही पसंद आ गई। यह स्वदेशी कार्बाइन अमेरिका और इजरायल की सेना द्वारा प्रयोग किए जा रहे हथियारों से कम नहीं  है। आधुनिक युद्ध में यह गन गेम-चेंजर साबित होगी। सीक्यूबी कार्बाइन के लिए सेना से भारतीय कंपनी को दो हजार करोड़ का ठेका मिला है।
भारतीय सेना को खूब भा रही गन


भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ा दिया है।  पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट ने विशेष गन का डिजाइन तैयार किया है। यह गन भारतीय सेना को खूब भा रही है। इस गन के आने के बाद भारतीय सैनिक स्टर्लिंग कार्बाइन की जगह क्लोज क्वार्टर बैटल यानी सीक्यूबी कार्बाइन का इस्तेमाल करते नजर आएंगे। सेना ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन यानी डीआरडीओ और भारत फोर्ज लिमिडेट को सीक्यूबी कार्बाइन बनाने का आॅर्डर दिया है। दो हजार करोड़ के के इस ठेके के साथ डीआरडीओ और भारत फोर्ज लिमिटेड को सेना की प्रमुख खरीद निविदा में सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी के तौर पर चुना गया है। 
सीक्यूबी कार्बाइन बेहद खास 


ये सीक्यूबी कार्बाइन खास तौर पर क्लोज क्वार्टर बैटल यानी नजदीकी लड़ाई के लिए बनाई गई है। बता दें कि सैनिकों को आतंकियों के साथ आमने-सामने की लड़ाई में भिड़ना पड़ता है। इसके आने के बाद यह समस्या दूर हो जाएगी। ये हथियार छोटा, हल्का और तेज है, जिससे सैनिक इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। पुरानी स्टर्लिंग कार्बाइन 1940 के जमाने की और कमजोर थी। वहीं नई कार्बाइन 5.56़ गुणे 45 एएएम की गोली चलाती है। जो इंसास राइफल की गोलियों जैसी है। 

सटीक निशाना लगाने में सक्षम


इस हथियार की सबसे बड़ी खासियत है कि ये बहुत सटीक निशाना लगाता है। ये दो तरीके से चलता है। एक बार में एक गोली या फिर लगातार गोलियां भी फायर कर सकती है। जब गोली चलती है, तो हथियार ज्यादा हिलता नहीं, जिससे निशाना बिल्कुल सही रहता है। इसका वजन सिर्फ 3 किलो के आसपास है। इससे सैनिक इसे लंबे समय तक आसानी से अपने पास रख सकते हैं। ये 100-150 मीटर तक सटीक निशाना लगा सकता है, जो शहरों या जंगलों में होने वाली लड़ाई के लिए काफी है। इस कार्बाइन को इसका डिजाइन खास बनाता है। इसमें विशेष तकनीक का प्रयोग किया गया है। इसमें रात में देखने वाली दूरबीन, लेजर लाइट, या निशाना लगाने वाली साइट शामिल है। यह गन रात या मुश्किल मिशन में बेहद कारगर है। इसे साफ करना और ठीक करना भी आसान है, जिससे सैनिकों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी। इस हथियार ने सेना के सख्त टेस्ट पास किए हैं। राजस्थान की गर्मी से लेकर लद्दाख की ठंड तक हर जगह इसका परीक्षण किया जा चुका है। इसने हर जगह अच्छा काम किया है। वहीं गुणवत्ता के टेस्ट में भी ये पास हो गई है। ये केंद्रीय पुलिस बलों और उत्तर प्रदेश पुलिस के टेस्ट में भी खरी उतरी। इसका मतलब है कि ये हर तरह की लड़ाई के लिए भरोसेमंद है। इसे भारत फोर्ज की पुणे वाली फैक्ट्री में बनाया जाएगा, जिससे नौकरियां बढ़ेंगी और भारत का पैसा भारत में ही रहेगा।
भारतीय सेना होगी ज्यादा ताकतवर


यह हथियार भारतीय सेना को और ताकतवर बनाएगा। एनएसजी जैसे विशेष दस्ते भी इसका परीक्षण कर चुके हैं। यह इसकी क्वालिटी को बताने के लिए काफी है। बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने विदेशी हथियारों की जगह देसी हथियारों को चुना। इसके बाद जिससे इजरायल और अमेरिका की कंपनियां इस सौदे से बाहर हो गईं। ये आत्मनिर्भर भारत की जीत है। ये हथियार दुनिया को दिखाएगा कि भारत अब अपने हथियार खुद बना सकता है।