जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। चावल को लेकर वैज्ञानिकों की नई रिसर्च ने सबको चौंका दिया है। अध्ययन के अनुसार चावल खाने से कैंसर और दिल की बीमारी हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चावल में आर्सेनिक का इजाफा हार्ट, डायबिटीज और कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है। भारत और चीन समेत एशिया के कई देश इसकी चपेट में आ सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के चलते दुनियाभर के देशों में कार्बन डाइआॅक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। यह धान के पैदावार और उसके पोषक तत्वों पर बुरा असर डाल रही है। हाल ही में कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मेलमैन स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के रिसर्चर्स ने चावल में आर्सेनिक की मात्रा को लेकर एक बड़ा खुलासा किया। उनके अनुसार जलवायु परिवर्तन के चलते चावल में आर्सेनिक मात्रा में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। इससे पहले चावल में आर्सेनिक की थोड़ी बहुत मौजूदगी होती थी। यह तय मानक के अंदर ही थी और नुकसानदायक नहीं थी। अब जिस तरीके अब इस अनाज में आर्सेनिक का स्तर बढ़ रहा है, वह एक गंभीर खतरे की आहट दे रहा है। रिसर्च के मुताबिक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक की बढ़ोत्तरी खतरनाक साबित हो रही है। इससे कार्बन डाइआक्साइड के स्तर में इजाफा हुआ है। यह आर्सेनिक की मात्रा को बहुत ज्यादा बढ़ा रहा है। अध्ययन के अनुसार अगर हालात ऐसे ही बने रहे, तो 2050 तक एशिया की आबादी के लिए स्वास्थ्य संबंधित गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। यह बेहद खतरनाक रूप ले सकता है। रिसर्च के मुताबिक चावल में आर्सेनिक का इजाफा हार्ट संबंधित रोगों, डायबिटीज और कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है। बता दें भारत समेत एशिया के कई देशों में चावल मुख्य आहार का हिस्सा है। अब सवाल उठता है कि चाल में आर्सेनिक कहां से पहुंच रहा है। इस बारे में रिसर्चर्स का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते मिट्टी में आर्सेनिक की मात्रा में इजाफा हो रहा है। जिसे धान के दाने तेजी से अवशोषित कर रहे हैं। चावल में आर्सेनिक के स्थिति में फेफड़े, मूत्राशय और स्किन के कैंसर के साथ-साथ इस्केमिक हृदय रोग होने की संभावनाएं बढ़ सकती है। इसके अलावा डायबिटीज होने के साथ गर्भावस्था में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। न्यूरोडेवलपमेंटल संबंधित विकार और इम्यूनिटी पर भी बुरा असर पड़ सकता है। रिसर्चर्स ने इस रिसर्च में 7 एशियाई देशों जिसमें बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, म्यांमार, फिलीपींस और वियतनाम को शामिल किया है। इन देशों लिए कार्बनिक आर्सेनिक की मात्रा और स्वास्थ्य को होने वाले खतरों का अनुमान लगाया है। रिसर्चर्स के अनुसार फिलहाल दक्षिणी चीन और दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया जैसे क्षेत्रों में चावल का सेवन पहले से ही आर्सेनिक और कैंसर के खतरे की एक बड़ी वजह बना हुआ है। शोधकर्ताओं ने अंदेशा जताया है कि अगर चावल में आर्सेनिक की मात्रा में इजाफा हुआ तो चीन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में शामिल होगा। यहां तकरीबन 1.34 करोड़ कैंसर के मामले सामने आ सकते हैं। वहीं ज्यादा तापमान और कार्बन डाइआक्साइड में बढ़ोतरी के चलते यहां कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या बढ़कर 1.93 करोड़ होने की आशंका है। इसके अलावा भारत में आर्सेनिक युक्त चावल खाने से कैंसर और हार्ट संबंधित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो सकता है।
चावल खाने से हो सकता है कैंसर
22-Apr-2025