जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में बने तोप के गोलों ने दुनिया में तहलका मचा दिया है। कई यूरोपीय देशों ने अरबों के आर्डर दिए हैं। इतना ही नहीं इन गोलों को खरीदने के लिए अरब देश भी लाइन लगा रहे हैं। पिछले 10 सालों में हथियारों के निर्यात में करीब 31 गुना का इजाफा हुआ है। भारत खुद को गोला-बारूद निर्माण में वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ा रहा है। फिक्की और केपीएमजी की नई रिपोर्ट में इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारत की क्षमता और रणनीतिक प्रगति के बारे में बताया गया है। इसमें बताया गया है कि भारत के पास दुनिया में तेजी से बढ़ते हथियार बाजार पर कब्जा करने की क्षमता है। एम्मो इंडिया रिपोर्ट में गोला बारूद निर्माण क्षेत्र में बढ़ते अवसर को रेखांकित किया गया है। भू-राजनीतिक संघर्ष, सैन्य खर्च में वृद्धि और बढ़ते विद्रोह ने दुनिया में सैन्य खर्च को तेजी से बढ़ाया है। इसने वैश्विक हथियार बाजार में भारतीय कंपनियों के लिए मौके बढ़ गए हैं। भारतीय गोलों की मांग ऐसे समय में बढ़ी है जब ग्लोबल सप्लाई चेन की वजह से पश्चिमी देशों में गोला-बारूद के उत्पादन में कमी आई है। भारत ने खुद को महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों, जिसमें तोपखाना गोला-बारूद भी शामिल है। उसकी जमकर सप्लाई की है। भारत सरकार के सूत्रों का हवाला देते हुए रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नई दिल्ली 155 मिमी के तोपखाना गोले को सिर्फ 300 से 400 डॉलर में बना रहा है। यह पश्चिमी देशों में बनने वाले तोपखाने के गोलों के मुकाबले दसवें हिस्से से भी कम है, लिहाजा भारतीय तोप के गोलों की डिमांड में भयंकर उछाल आया है। भारत के लिए ये एक शानदार मौका है। भारत सरकार का लक्ष्य 2029 तक हथियारों के निर्यात को दोगुना करते हुए उसे 6 अरब डॉलर के आगे ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 3.5 अरब डॉलर के हथियार बेचे थे, लेकिन फिर भी अपने लक्ष्य से 30 प्रतिशत पीछे रह गया था। हालाांकि पिछले दशक के मुकाबले हथियारों की बिक्री में जमकर उछाल आया है, लेकिन भारत सरकार अभी भी संतुष्ट नहीं है। पिछले दशक में भारत की हथियार बिक्री सिर्फ 230 मिलियन डॉलर था। भारत की विस्फोटक राजधानी नागपुर का बम बाजार आजकल खूब गुलजार है। रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध के बाद से ही दुनियाभर में गोला-बारूद की मांग बढ़ी है। इससे भारत की विस्फोटक बनाने वाली कंपनियों की चांदी कर दी है। पिछले तीन महीनों में, ही 900 करोड़ रुपये के गोले, रॉकेट और अन्य विस्फोटकों का निर्यात नागपुर से किया गया है। वहीं, अभी भी कंपनियों के पास करीब 3,000 करोड़ रुपये के आर्डर हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, नागपुर में बनाए जाने वलो होवित्जर तोप के गोलों की खूब डिमांड है। वहीं 155 मिमी कैलिबर के गोलों और कंधे पर रखकर दागी जाने वाली रॉकेट के 40 मिमी के गोलों की भारी मांग है। सूचीबद्ध कंपनियों, मझोली सहायक इकाइयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को खूब आर्डर मिल रहे हैं। बता दें कि 2024 में देश के इतिहास में भारतीय डिफेंस कंपनी को अब तक का सबसे बड़ा आर्डर मिला था। भारत की डिफेंस कंपनी म्यूनिशन्स इंडिया से सऊदी अरब ने 1867 करोड़ रुपये यानी 225 मिलियन डॉलर कीमत के 155एमएम तोप के गोले खरीदने का सौदा किया था। मध्य पूर्व में इजरायल और हमास के टकराव के बीच सऊदी अरब ने भारत से तोप के इतने ज्यादा गोलों की खरीद के लिए सौदे पर हस्ताक्षर किया था। यह सौदा रियाद डिफेंस एक्सपो के दौरान किया गया। इससे साफ पता चलता है कि सऊदी अरब मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष के दौर में अपनी सुरक्षा के लिए हर उपाय करना चाहता है। बता दें कि भारत का रक्षा निर्यात साल 2023-24 में करीब 21,083 करोड़ यानी 2.63 बिलियन डॉलर का था। वहीं 2022-23 में 15,920 करोड़ रुपये का था। पिछले 10 सालों की बात करें तो हथियारों के निर्यात में करीब 31 गुना का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत, 155 एमएम तोप के गोले और हॉवित्जर, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें का निर्यात कर रहा है। इसके अलावा आकाश मिसाइल सिस्टम को लेकर फिलीपींस के साथ 200 मिलियन की डील होने वाली है। भारत सर्विलांस और रडार सिस्टम, तेजस फाइटर जेट, हल्के हेलीकॉप्टर, और नौसैनिक पोत या तो बेच रहा है या इन हथियारों को बेचने की कोशिश कर रहा है।
भारत में बने तोप के गोलों ने दुनिया में मचाया तहलका
21-Apr-2025