भारत की बड़ी छलांग : अब दुनिया में आने वाली हर आपदाओं की पहले ही मिलेगी जानकारी 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अब भारत को दुनिया में आने वाली हर आपदाओं की पहले ही जानकारी मिल जाएगी। भारत ने ईओएस-08 उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंचाकर इतिहास रच दिया है।  जश्न-ए-आजादी का जश्न अब और दोगुना हो गया है। चंद्रयान-3 को चांद पर पहुंचाकर दुनिया को अपना दमखम दिखाने वाले इसरो ने 16 अगस्त को नई सैटेलाइट की लांचिंग कर दी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अपने लेटेस्ट अर्थ आब्जर्वेशन सैटेलाइट ईओएस-08 को सुबह 9 बजकर 17 मिनट पर सफलतापूर्वक लांच किया। अर्थ आब्जरवेशन सेटेलाइट पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही पर्यावरण और आपदा को लेकर जानकारी देगा। इसके साथ ही तकनीकी प्रदर्शन भी करेगा। लगभग 175.5 किलोग्राम वजन वाला ईओएस-08 कई वैज्ञानिक और व्यावहारिक क्षेत्रों में मूल्यवान डाटा और अंतर्दृष्टि का योगदान देने के लिए तैयार है।  इसरो के इस कदम से भारत अब धरती की धड़कन सुन सकेगा। भारत को दुनिया में आने वाली हर आपदाओं की जानकारी समय से पहले मिल जाएगी। ईओएस-08 को स्माल सैटेलाइट लान्च व्हिकल यानी प्रक्षेपण यान यानी एसएसएलवी -डी3 की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान के जरिए लांच किया गया।  उपग्रह का जीवनकाल एक साल तय किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार प्रस्तावित मिशन एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा। इसके बाद इसका इस्तेमाल भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के मिशनों के लिए किया जाएगा। ईओएस-08 में सौर सेल निर्माण प्रक्रियाएं और माइक्रोसैट अनुप्रयोगों के लिए एक नैनो स्टार-सेंसर शामिल किया गया है। इसरो ने कहा कि नवाचार के लिए मिशन की प्रतिबद्धता बेहतर प्रदर्शन के लिए एक्स-बैंड डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम लगाया गया है। ईओएस-08 पृथ्वी की प्रणालियों की समझ को बढ़ाएगा। साथ ही समाज और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए लाभकारी अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला का समर्थन करेगा। इस मिशन का उद्देश्य देश और दुनियाभर में आपदाओं का अवलोकन करना और अलर्ट करना शामिल है। इस मिशन के तहत सैटेलाइट आपदाओं का अनुमान लगाने के साथ ही लोगों को अलर्ट करने में भी सक्षम होगा। ईओएस-08 में तीन पेलोड हैं। इसमें इलेक्ट्रो आप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड यानी ईओआईआर होगा।  साथ ही सौर सीआईसी यूवी डोसीमीटर को इसमें सेट किया गया है। इसमें मिड-वेव आईआर यानी एमआईआर और लांग वेव आईआर एलडब्ल्यूआईआर बैंड हैं। इसमें दिन और रात में काम करने की पूरी क्षमता है।  यह आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी, आग का पता लगाने, ज्वालामुखी गतिविधि जैसी गतिविधियों का अवलोकन करेगा और अलर्ट देगा। इसमें ईओआईआर की मदद से इंफ्रारेड तस्वीरें खींचने की क्षमता है। बता दें कि दुनिया भर आने आपदाओं में जंगल में आग लगना, ज्वालामुखी विस्फोट की घटनाएं शामिल हैं। इसके अलावा समुद्र में हलचल, सुनामी और तूफान का समय पूर्व विश्लेषण किया जाएगा। इस मिशन से किसानों को भी मदद मिलेगी। इससे  मिट्टी की नमी और बाढ़ इत्यादि का भी विश्लेषण किया जा सकेगा। इसमें एसआईसी यूवी डोजीमीटर से अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की भी जांच की जा सकेगी, जिससे इसरो को गगनयान मिशन में मदद मिलेगी।