जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के पास जल्द ऐसी मिसाइल होगी जिसकी काट दुनिया में किसी देश के पास नहीं है। डीआरडीओ प्रमुख ने इस बात का खुलासा करते हुए कहा कि इसका परीक्षण चल रहा है। इस मिसाइल की मारक क्षमता इतनी तेज होगी कि किसी भी देश का रडार सिस्टम इसे पकड़ नहीं पाएगा। यह दुश्मन देश के टारगेट को पलभर में ध्वस्त कर देगी।
दुनिया में किसी देश के पास नहीं काट
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने बड़ा दावा किया है। डीआरडीओ चीफ का कहना है कि ध्वनि की गति से भी पांच गुना तेज रफ्तार वाली हाइपरसोनिक मिसाइल भारत को अगले दो से तीन साल में मिल जाएगी। बता दें कि भारत ने पहली बार मिसाइल की डेडलानइ की आधिकारिक पुष्टि की है। इसकी जद में पूरा पाकिस्तान और आधा चीन आ जाएगा। डीआरडीओ प्रमुख डॉ समीर वी कामत ने कहा कि भारत हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक पर तेजी से काम कर रहा है। हम इस दिशा में शुरुआती सफलताएं हासिल कर चुके हैं। अगले दो से तीन साल में इसका अंतिम परीक्षण पूरा हो जाएगा। इसके बाद इसे सेना में शामिल कर लिया जाएगा।
डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल का परीक्षण
डीआरडीओ प्रमुख ने आगे कहा कि यह मिसाइल हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल पर आधारित है। जिसका भारत ने 2020 में ही सफल परीक्षण कर लिया था। पिछले साल नवंबर में ओडिशा में डीआरडीओ ने पहली बार लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया था। हाल ही में डीआरडीओ ने इस मिसाइल के लिए 1000 सेकंड तक स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया है। यह इंजन हवा से ही आॅक्सीजन लेकर ईंधन जलाता है और पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। यह क्रूज मिसाइल है, जो बेहद कम ऊंचाई पर इतनी तेज गति से उड़ान भरती है कि इसे राडार के जरिए ट्रैक नहीं किया जा सकता। जाहिर है इसी वजह से इसे नष्ट भी नहीं किया जा सकता है।
मिसाइल की रफ्तार बेहद घातक
मिसाइल की रफ्तार ही इसे घातक बनाती है। बता दें कि भारत से अमेरिका की दूरी करीब 12,500 किलोमीटर है। इस दूरी को विमान से तय करने में 16 घंटे से अधिक लगते हैं। वहीं हाइपरसोनिक मिसाइल यही दूरी दो घंटे से कम समय में तय कर सकती है। अभी जो मिसाइल भारत बना रहा है उसकी गति 1234 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसकी मारक रेंज 2,000 किलोमीटर से ज्यादा हो सकती है। दुनिया में रूस, चीन, अमेरिका और भारत ही इस मिसाइल तकनीक पर काम कर रहे हैं। रूस ने यूक्रेन युद्ध के दौरान इस मिसाइल के इस्तेमाल का दावा किया था लेकिन पश्चिमी रक्षा विश्लेषकों ने तब इस दावे को सही नहीं माना। चीन और अमेरिका ने भी अभी तक आधिकारिक रूप से इसके विकास पर कोई बयान नहीं दिया है। इस लिहाज से देखा जाए तो भारत अगर दो साल में इसे सेना में शामिल किए जाने लायक बना लेता है तो वह इस तकनीक में अगुआ बन जाएगा। इसकी रफ्तार की वजह से कोई रडार इसे नहीं पकड़ा सकता। दुश्मन को भनक लगने से पहले ही यह लक्ष्य को नष्ट कर देगी। हाइपरसोनिक मिसाइल की सबसे खास बात यह है कि यह बेहद तेज रफ्तार से उड़ान भरने के बावजूद अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाती है। एक बार टारगेट सेट करने के बाद इसका निशाना नहीं चूकता है। वहीं जरूरत पड़ने पर बीच में ही इस मिसाइल का रास्ता बदला भी जा सकता है।