जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। आईएनएस तमाल को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। रूस के सहयोग से बन रहे इस युद्धपोत को अब और खतरनाक बनाया जा रहा है। यह एफ-35 और एफ-16 लड़ाकू विमानों को पलभर में खाक कर देगा। यानी समंदर में इसके सामने कोई टिक नहीं पाएगा। 125 मीटर लंबा और 3900 टन वजनी यह युद्धपोत भारत का नया पावर हाउस बनेगा।
युद्ध को लेकर दुनिया की बदलने लगी सोच
युद्ध को लेकर दुनिया की सोच बदलने लगी है। रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान वार सभी देशों के लिए सबक बन गया है। यह बात सभी देशों के समझ में आ चुकी है कि जिसका डिफेंस सिस्टम मजबूत होगा, वही युद्ध में विजेता बनेगा। सामरिक दृष्टि से भारत की स्थिति काफी संवेदनशील है। एक तरफ हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी की सुरक्षा की चुनौती है तो दूसरी तरफ अरब सागर में बढ़त हासिल करने की होड़ है। पिछले कुछ सालों में हिन्द महासागर में चीन की गतिविधियां काफी बढ़ी हैं। चीन अपनी नेवी को पिछले कुछ दशकों से लगातार मजबूत कर रहा है। अब भारत भी नौसेना को अपग्रेड करने के लिए हजारों करोड़ रुपये का निवेश कर रहा है। इस रणनीति के तहत भारत ने रूस के साथ 21000 करोड़ का करार किया है। जिसके तहत चार स्टील्थ फ्रिगेट तैयार किया जाना है। इनमें से एक की डिलीवरी हो चुकी है। वहीं दूसरे फ्रिगेट आईएनएस तमाल को जल्द भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा।
भारतीय हथियार और रडार सिस्टम होगा इंस्टॉल
रणनीतिक दबाव को लेकर रूस और भारत ने आईएनएस तमाल को ज्यादा खतरनाक बनाने का फैसला किया है। इसको इस तरह से डिजाइन किया गया है कि उसमें भारतीय हथियार और रडार सिस्टम को इंस्टॉल किया जा सके। बताया जा रहा है कि तमाल ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस होगा। जिसकी रेंज 290 से 450 किलोमीटर तक होगी। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अरब सागर में इसे तैनात किया जाएगा। यह नेवी के वेस्टर्न कमांड के अंतर्गत आता है। बता दें कि अरब सागर में ही भारत और पाकिस्तान की समुद्री सीमा भी लगती है। आॅपरेशन सिंदूर के दौरान इंडियन एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विक्रांत यहीं तैनात था। यहां से पाकिस्तान की धड़कन कहे जाने वाला कराची काफी पास है। ऐसे में तमाल की अरब सागर में तैनाती सामरिक और सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होगी।
भारत की बादशाहत होगी मजबूत
आईएनएस तमाल समंदर में भारत की बादशाहत को और मजबूत करेगा। इसमें ऐसे अत्याधुनिक सिस्टम लगाए जा रहे हैं जिससे पनडुब्बी के साथ ही फाइटर जेट को भी टारगेट किया जा सकता है। यह युद्धपोत एफ-35, एफ-16 और जे-35ए जैसे फाइटर जेट के खतरों से भी निपट लेगा। यानी यह दुश्मनों के फाइटर जेट से निपटने में सक्षम है। यह अल्ट्रा मॉडर्न स्टील्थ फीचर्स और इंफ्रारेड तकनीक से लैस होगा। दिलचस्प बात यह है कि समंदर में तैनाती के बाद एस-500 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम से भी इसको कोई खतरा नहीं होगा। यह उसकी पकड़ से दूर होगा। 55 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने वाले तमाल एंटी-सबमरीन सिस्टम से भी युक्त होगा। इस युद्धपोत पर एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग हेलीकॉप्टर तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा इस फ्रिगेट पर कामोव-28 और कामोव-31 क्लास के कॉम्बैट हेलीकॉप्टर भी तैनात होंगे। जो दुश्मन के खिलाफ किसी भी तरह के समुद्री अभियान को आसानी से अंजाम दे सकते हैं।
भारत और रूस के एक्सपर्ट की निगरानी
बता दें कि यह भारत और रूस के एक्सपर्ट की निगरानी में है। तमाल तुशील क्लास का अपग्रेडेड वर्जन है। यह फ्रिगेट तलवार और तेग क्लास के वॉरशिप को रिप्लेस करेगा। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में आईएनएस तुशील को नेवी के बेड़े में शामिल किया गया था। तमाल भारत-रूस के बीच बढ़ते हुए रक्षा साझेदारी का एक और बड़ा उदाहरण है। इसके निर्माण में 26 फीसद देसी साजो-सामान का इस्तेमाल किया गया है। रूस में बनने वाला यह अंतिम युद्धपोत है। इसके बाद बाकी बचे दो स्टील्थ युद्धपोत गोवा शिपयार्ड के तहत बनाएं जाएंगे।