जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। एस-400 और आकाशतीर मिसाइल सिस्टम पाकिस्तान को पहले ही डरा रहे हैं। भारत अब 30 हजार करोड़ की लागत से क्यूआर-एसएएम मिसाइल सिस्टम बना रहा है। रक्षा मंत्रालय अगले महीने इसे मंजूरी दे सकता है। यह दुश्मन को ट्रैक कर सकता है। साथ ही उन पर जबर्दस्त और सटीक हमला कर सकता है। यह टैंकों और लड़ाकू विमानों को दुश्मन से बचाएगा।
सेना को मिलेगा नया स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम
भारतीय सेना को जल्द ही एक नया स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम मिलने वाला है। इसपर लगभग 30,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके तहत क्यूआर-एसएएम सिस्टम खरीदे जाएंगे। रक्षा मंत्रालय जल्द ही इस प्रस्ताव पर विचार करने वाला है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद इस महीने के अंत तक इस प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है। इस मंजूरी को आवश्यकता की स्वीकृति यानी एओएन कहा जाता है। बता दें कि क्यूआर-एसएएम मिसाइल सिस्टम बेहद तेजी से काम करने वाला स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को 25-30 किलोमीटर की दूरी तक अचूक तरीके से मार गिराने के लिए बनाया गया है।
एयर डिफेंस सिस्टम की कामयाबी पर विचार
यह कदम भारत के मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम की कामयाबी पर विचार के बाद उठाया जा रहा है। हाल ही में इस सिस्टम ने आपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से भेजे गए तुर्की मूल के ड्रोन और चीनी मिसाइलों को मार गिराने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बता दें कि यह आपरेशन 7 से 10 मई को हुआ था। डीआरडीओ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और भारतीय सेना ने पिछले तीन-चार सालों में क्यूआर-एसएएम मिसाइल सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। इसे अलग-अलग तरह के खतरों का सामना करने के लिए जांचा और परखा गया है। यह परीक्षण दिन और रात दोनों समय किया गया है। भारत इलेक्ट्रोनिक्स और भारत डिनामिक्स नाम की सरकारी कंपनियां मिलकर इस सिस्टम पर काम कर रही हैं।
दुश्मन को खोज-खोज कर मारता है सिस्टम
क्यूआर-एसएएम सिस्टम दुश्मन को खोज-खोज कर मारता है। यह चलते-फिरते भी काम कर सकता है। यह दुश्मन को खोज और ट्रैक कर सकता है और थोड़े समय के लिए रुककर भी हमला कर सकता है। इसे टैंकों और पैदल सेना के वाहनों के साथ चलने के लिए बनाया गया है। यह युद्ध के मैदान में सेना और टैंकों को हवाई हमलों से बचाता है। इस सिस्टम के आने से वायुसेना सेना की मौजूदा वायु रक्षा प्रणाली और मजबूत हो जाएगी। इस प्रणाली में लंबी दूरी की रूसी एस-400 ट्रिम्फ मिसाइल शामिल है। इसकी मारक क्षमता 380 किलोमीटर है। इसी तरह बराक-8 मध्यम दूरी का एसएएम सिस्टम है। इसकी मारक क्षमता 70 किलोमीटर हैं। इसे इजराइल के साथ मिलकर बनाया गया है। डीआरडीओ भी बहुत कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली भी तैयार कर रहा है। इसककी मारक क्षमता 6 किलोमीटर है। यह गेम-चेंजर प्रोजेक्ट कुशा के तहत विकसित की जा रही है। इसकी मारक क्षमता 350 किलोमीटर होगी। भारत इस लंबी दूरी की प्रणाली को 2028-2029 तक तैनात करने की योजना बना रहा है। रक्षा मंत्रालय ने सितंबर 2023 में भारतीय वायु सेना के लिए पांच स्क्वाड्रन खरीदने को मंजूरी दी थी। इसके लिए 21,700 करोड़ रुपये की एओएन को मंजूरी दी गई है। सेना को जल्द ही नई रडार मशीनें, छोटे रेंज की मिसाइलें, जैमर और लेजर सिस्टम भी मिलने वाले हैं। इससे तुर्की और चीन जैसे देशों से आने वाले ड्रोन खतरों से आसानी से निपटा जा सकेगा।