नई दिल्ली। ब्रह्मांड के विस्तार को अनंत माना जाता है। इसके रहस्य तो मानव ज्ञान की सीमाओं से परे है। आकाशगंगाओं से लेकर डार्क मैटर और डार्क एनर्जी तक, ब्रह्मांड में ऐसे अनगिनत रहस्य छिपे हैं जिसका अंत होता कहीं से भी नहीं दिखाई देता है। अब वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में ऐसी खोज की है जिस पर विश्वास कर पाना मुश्किल है।
क्वासर के चारों ओर मौजूद जगह
नासा के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर पानी का महाभंडार खोजने का दावा किया है। इसे अब तक अंतरिक्ष में मिला सबसे बड़ा महासागर माना जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इस महासागर को ‘एपीएम’ नाम दिया है। जहां पर ये पानी का भंडार है ये जगह क्वासर के चारों ओर मौजूद है। बता दें कि आकाशगंगा में स्थित चमकीले खगोलीय पिंड को क्वासर कहते हैं जिनकी ऊर्जा बहुत अधिक होती है। वे दूर की आकाशगंगाओं के सक्रिय नाभिक होते हैं।
महासागरों से 14 खरब गुना अधिक पानी
नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों की टीम में शामिल मैट ब्रैडफोर्ड ने कैलिफोर्निया के पाडेसाना में एक शोध किया। जिसमें उन्होंने पाया कि अंतरिक्ष में मिला भंडार इतना विशाल है जिसमें पृथ्वी से सभी महासागरों के मुकाबले 14 खरब यानी 140 लाख करोड़ गुना अधिक पानी मौजूद है। ब्रैडफोर्ड के अनुसार, क्वासर के आस-पास मौजूद वातावरण बहुत अनोखा और अलग है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि यह काफी बड़ी मात्रा में पानी पैदा कर रहा है।
50 साल पहले हुई क्वासर की खोज
नासा के वैज्ञानिक अपनी इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं। उन्होंने इसे इस बात का संकेत माना है कि ब्रह्मांड के शुरुआत में पानी मौजूद था। वैज्ञानिकों के अनुसार, क्वासर की खोज आज से करीब 50 साल पहले की गई थी। ये खगोलीय पिंड अपनी चमक और ऊर्जा के कारण ब्रह्मांड में मौजूद किसी भी अन्य सितारे से बहुत अलग होते हैं। इनके केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल मौजूद होते हैं। इसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से कई लाख गुना बड़ा होता है।
ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली पिंड क्वासर
बता दें कि क्वासर ब्रह्मांड के सबसे उज्ज्वल और शक्तिशाली पिंडों में से एक हैं। ये तब बनते हैं जब ब्लैक होल के आस-पास की गैस और धूल उसके गुरुत्वाकर्षण में फंसने लगती है, तो यह पदार्थ एक डिस्क के रूप में ब्लैक होल के चारों ओर घूमने लगता है। ब्लैक होल के करीब आते-आते ये कण गर्म होकर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। इस तरह से क्वासर का निर्माण होता है। इसमें कुछ क्वासर ऐसे होते हैं जो अपने ध्रुवों से तेज गति वाले प्लाज्मा जेट्स छोड़ते हैं, जो प्रकाश की गति के पास तक पहुंच सकते हैं। ये जेट्स रेडियो तरंगों में भी देखे जा सकते हैं।