जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। धरती से जीवन कब और कैसे खत्म होगा इस पर नई रिसर्च सामने आई है। जापान के तोहो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह नया दावा किया है। नए शोध के अनुसार प्रलय के समय सांस लेने के लिए आॅक्सीजन नहीं बचेगी। सूरज भी बूढ़ा होने के कारण आग उगलेगा। गर्मी इतनी बढ़ेगी की पानी भाप बनकर उड़ जाएगा। सारे इंसान और पौधे खत्म हो जाएंगे। जापान के तोहो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सुपर कंप्यूटर की गणना के आधार पर दुनिया के खत्म होने का नया दावा पेश किया है। सुपर कंप्यूटर की ये सिमुलेशन कहती है कि पृथ्वी पर आॅक्सीजन अगले एक अरब वर्षों में खत्म हो जाएगी। सांस लेने के लिए आॅक्सीजन न होने से पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं रहेगा। सबकुछ खत्म हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने नासा के प्लैनेटरी मॉडलिंग का इस्तेमाल करते हुए ये शोध किया है। अध्ययन कहता है कि एक अरब वर्ष बाद कयामत आएगी। बता दें कि इससे पहले भी इस तरह के शोध आए थे। इसमें भी कुछ ऐसा ही अनुमान जाहिर किया गया था। प्रलय काल पर किया गया यह अध्ययन पृथ्वी के वायुमंडल के विकास की संभावनाओं पर आधारित है। इसके लिए 4,00,000 सिमुलेशन चलाए गए। इससे पता चला कि सूर्य बूढ़ा होने पर ज्यादा गर्म होता जाएगा। इसका असर पृथ्वी के मौसम पर पड़ेगा। गर्मी इतनी बढ़ेगी कि पानी भाप बनकर उड़ जाएगा। सतह का तापमान बढ़ेगा और कार्बन चक्र कमजोर हो जाएगा। इससे पौधे मर जाएंगे और आॅक्सीजन का उत्पादन रुक जाएगा। वायुमंडल मीथेन से भर जाएगा। यह स्थिति पृथ्वी के शुरूआती दौर की तरह होगी, जब ग्रेट आॅक्सीडेशन इवेंट नहीं हुआ था। धरती से जीवन खत्म होने के बारे में बताने वाला ये अध्ययन नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है। इसका शीर्षक है द फ्यूचर लाइफस्पैन आॅफ अर्थ्स आॅक्सिजनेटेड एटमॉस्फियर। अध्ययन में पाया गया कि पृथ्वी के आॅक्सीजन युक्त वायुमंडल का भविष्य एक अरब वर्ष है। जापान के सहायक प्रोफेसर काजुमी ओजकी का कहना है कि कई सालों से पृथ्वी के बायोस्फीयर के जीवनकाल पर वैज्ञानिक चर्चा करते आए हैं। नए हो या पुराने सभी शोधों में सूर्य की चमक और ग्लोबल काबोर्नेट-सिलिकेट जियोकेमिकल चक्र को शामिल किया गया है। ओजकी का मानना है कि ऐसे सैद्धांतिक ढांचे का एक नतीजा वायुमंडलीय सीओ-2 के स्तर में लगातार गिरावट और भूवैज्ञानिक समय-सीमा पर ग्लोबल वार्मिंग है। यह आमतौर पर माना जाता है कि पृथ्वी का बायोस्फीयर दो अरब वर्षों में खत्म हो जाएगा। इस तबाही का कारण तेज गर्मी और प्रकाश संश्लेषण के लिए सीओ-2 की कमी होगी। प्रोफेसर काजुमी ओजकी का मानना है कि पिछले और नए अनुमान में केवल समय सीमा का अंतर है। बाकी सभी प्रक्रियाएं एक जैसी हैं। अनुमानों से पता चलता है कि जीवन खत्म होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण सीओ-2 की कमी होगी। इसकी वजह से ही धरती पर कई मुसीबतें आएंगी। जिससे हर तरह का जीवन खत्म जाएगा। वैज्ञानिकों का यह अनमान है कि प्रलयकाल में पानी भी समाप्त हो जाएगा। ऐसे में जलीव जीवों का भी जीवन नष्ट हो जाएगा।
धरती से कब और कैसे खत्म होगा जीवन, इस पर नई रिसर्च आई सामने
15-May-2025