धरती पर गिरने वाला है अंतरिक्ष यान, आ सकती है बड़ी तबाही

नई दिल्ली। सोवियत संघ का एक अंतरिक्ष यान अनियंत्रित होकर धरती पर गिरने वाला है। यह इतना बड़ा है कि इसके गिरने से धरती पर तबाही आ सकती है। यह धरती के किस हिस्से में गिरेगा वैज्ञानिक इसका सटीक अनुमान नहीं लगा पाए हैं। जिसकी वजह से दुनियाभर में चिंता की लहर दौड़ गई है। धरती पर गिरने वाले अंतरिक्ष यान का नाम कोस्मोस-482 है। इसे 1972 में सोवियत संघ ने लॉन्च किया था। 53 साल पुराने इस यान को शुक्र ग्रह पर उतरने के लिए डिजाइन किया गया था। जिसका उद्देश्य शुक्र ग्रह की सतह से डेटा एकत्र करना था। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह यान 10 मई 2025 के आसपास धरती के वायुमंडल में प्रवेश करेगा। हालांकि, यह अनुमान कुछ दिन आगे-पीछे भी हो सकता है। यह कहां गिरेगा और कितना नुकसान पहुंचाएगा, इसकी वैज्ञानिकों के पास कोई सटीक जानकारी नहीं है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, शुक्र का वातावरण बहुत ज्यादा गर्म और विषैला है।  कोस्मोस 482 के लैंडर को इसी कठिन परिस्थिति के लिए बनाया गया था। हालांकि, अंतरिक्ष में ले जाने वाले सोयुज रॉकेट में खराबी आने के कारण इसे शुक्र तक पहुंचने के लिए आवश्यक गति नहीं मिली। यह यान पृथ्वी की एक अंडाकार कक्षा में फंस गया और अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सका। लॉन्चिंग के बाद यान दो हिस्सों में बंट गया। जिसमें मुख्य बॉडी तो 1981 में धरती के वायुमंडल में प्रवेश करके नष्ट हो गई, लेकिन लैंडर का हिस्सा पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। अब वैज्ञानिकों ने टेलीस्कोप विश्लेषण के आधार पर खुलासा किया है कि यह लैंडर जल्द ही पृथ्वी पर वापस गिरने वाला है। 495 किलोग्राम वजनी और 1 मीटर चौड़ा लैंडर 10 मई के आसपास गिरने की संभावना है। क्योंकि, लैंडर को शुक्र के कठोर वातावरण को झेलने के लिए बनाया गया था, इसलिए यह वायुमंडल में प्रवेश करने के दौरान भी शायद नष्ट नहीं होगा। यही वजह है कि धरती पर गिरने के बाद  यह तबाही मचा सकता है। वैज्ञानिकों ने इसे 52 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 52 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के बीच गिरने की संभावना जताई है। जिसमें दक्षिण और मध्य-अक्षांश यूरोप, एशिया, अमेरिका, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने इस लैंडर की तुलना एक उल्कापिंड से की है। क्योंकि यह लैंडर लगभग 242 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से पृथ्वी की सतह से टकरा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि यह सतह पर गिरता है, तो संपत्ति या लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। हालांकि, धरती का 70 प्रतिशत हिस्सा महासागरों से ढके होने की वजह से इसके समुद्र में गिरने की संभावना ज्यादा है। वैज्ञानिक और उपग्रह ट्रैकर्स इस यान की गति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। जिससे इसके प्रवेश और संभावित प्रभाव की जानकारी जुटाई जा सके।