धरती की तरफ तेजी से बढ़ रही 4 आफत 


जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। धरती की तरफ तेजी से एक नहीं बल्कि 4 आफत बढ़ रही है।  यानी धरती पर विशाल एस्टेरॉयड की बारिश होने वाली है। इसकी रफ्तार और आकार से वैज्ञानिक भी दहशत में हैं। धरती की ओर आ रहे इस खतरे के बारे में नासा ने अलर्ट जारी किया है।  अंतरिक्ष की दुनिया जितनी आकर्षक है उतनी ही चौंकाने वाली है। अक्सर ब्रह्मांड में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जो आश्चर्यजनक होती हैं। 

नासा ने जारी  किया अलर्ट 


इसी कड़ी में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अलर्ट जारी किया है। नासा के अनुसार आने वाले दिनों में चार विशाल एस्टेरॉयड यानि कि अंतरिक्ष चट्टानें धरती के पास से गुजरेंगी। नासा की रिपोर्ट के अनुसार आज से 25 मई के बीच ये एस्टेरॉयड धरती के बेहद करीब आएंगे। इनमें सबसे बड़ा एस्टेरॉयड 2003 एमएच-4 है। जो लगभग 1100 फीट लंबा है। यानी एक स्टेडियम जितना बड़ा है। नासा की रिपोर्ट के अनुसार आज सबसे पहले 2025 केसी नाम का एस्टेरॉयड धरती से करीब 6.36 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। इसका आकार में एक घर जितना है। 

24 मई को धरती के पास से गुजरेंगे दो एस्टेरॉयड 

इसके बाद 24 मई को दो एस्टेरॉयड 2025 केएल और 2003 केएच 4 धरती के नजदीक आएंगे। केएल करीब 19.10 लाख किलोमीटर और केएच 4 लगभग 41.5 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेंगे। अंत में 25 मई को 2025 केएम नाम का एस्टेरॉयड 9.6 लाख किलोमीटर की दूरी से धरती के पास से जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार भले ही इसके पृथ्वी से दूरी से गुजरने की संभावना है।  अगर यह रास्ता बदल देता है तो बेहद खतरनाक हो जाएगा। 2025 केएम पृथ्वी से टकराता है तो इसका पृथ्वी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। क्षुद्रग्रह का आकार भारी तबाही की वजह बन सकता है। गिरने वाली जगह पर विशाल गड्ढा बन सकता है। इलाके को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके पर्यावरण पर भी विनाशकारी परिणाम होने की संभावना है। 

निगरानी के लिए  उन्नत कंप्यूटिंग 

नासा ने पृथ्वी के पास से गुजरने वाली वस्तुओं पर निगरानी के लिए अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिलकर दूरबीनों और उन्नत कंप्यूटिंग का एक नेटवर्क स्थापित किया है। बता दें कि एस्टेरॉयड वो पत्थरनुमा पिंड होते हैं जो सूरज की परिक्रमा करते हैं। अधिकतर एस्टेरॉयड मंगल और बृहस्पति के बीच मौजूद एस्टेरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं। ये अक्सर धरती के पास से गुजरते हैं। कई ऐसे एस्टेरॉयड होते हैं जो नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में अंतरिक्ष एजेंसियां ऐसे एस्टेरॉयड्स पर लगातार नजर रखती हैं ताकि समय रहते किसी खतरे को पहचाना जा सके। धरती से टकराने वाले एस्टेरॉयड बहुत ही दुर्लभ होते हैं। नासा के मुताबिक कार जितने आकार के उल्कापिंड साल में एक बार धरती से टकराते हैं। वहीं फुटबॉल मैदान जितने बड़े एस्टेरॉयड लगभग हर 2000 साल में पास से गुजरते हैं। 

खतरों का किया जाएगा आकलन 


क्षुद्रग्रहों पर नजर रखने और उनके खतरों का आकलन करने के लिए वैज्ञानिक शक्तिशाली आॅप्टिकल और रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग करते हैं। अमेरिका के हवाई में स्थित पैन-स्टार्स धरती के निकट आने वाले क्षुद्रग्रहों की खोज और ट्रैकिंग के लिए सबसे मुख्य प्रणाली है। क्षुद्रग्रह जब धरती के करीब आते हैं तो वैज्ञानिक रडार सिग्नल भेजकर उसकी सटीक स्थिति, रफ्तार और आकार का पता लगाते हैं। क्षुद्रग्रहों की कक्षा की गणना करने के लिए कम्प्यूटेशनल मॉडल और सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है। माइनर प्लैनेट सेंटर नाम का अंतरराष्ट्रीय संगठन सभी क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं का डेटा संग्रह करता है। यह उनकी कक्षा की जानकारी दुनिया भर के वैज्ञानिकों को देता है।