धरती की ओर बढ़ रहे विशालकाय धूमकेतु की खोज

नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष से धरती की ओर तेजी से आ रहे एक विशालकाय धूमकेतु का पता लगाया है। यह धूमकेतु अगर धरती से टकराता है तो महाविनाशकारी होगा।  बताया जा रहा है कि इसका आकार उस स्टेरॉयड से भी कई गुना बड़ा है, जिसने करोड़ों साल पहले धरती से डायनासोरों का समूल नाश कर दिया था। 

सिंगापुर जैसे देश से भी बड़ा 

 

वैज्ञानिकों ने सोलर सिस्टम की ओर तेजी से बढ़ रहे एक बहुत बड़े धूमकेतु की खोज की है। अब तक के सबसे बड़े इस धूमकेतु का नाम उन्होंने ‘कोमेट सी/214’ रखा है। जिसकी चौड़ाई करीब 137 किलोमीटर है जो सिंगापुर जैसे देश से भी बड़ा है। यह आकार में उस स्टेरॉयड से 14 गुना बड़ा है, जिसने आज से करीब 6.5 करोड़ साल पहले धरती पर डायनासोर का अंत कर दिया था। कोमेट को पहली बार 8 मार्च 2024 को तेज गैस की धारा छोड़ते हुए देखा गया था। यह धूमकेतु ऊर्ट क्लाउड नामक इलाके से आया है, जो धरती से बहुत दूर है। 

कार्बन मोनोआक्साइड गैस छोड़ रहा धूमकेतु

 

वैज्ञानिकों ने जब चिली की एएलएमए दूरबीन से इस धूमकेतु की जांच की तो उन्होंने पाया कि यह अपनी सतह से बहुत तेजी से कार्बन मोनोआक्साइड गैस छोड़ रहा है, जो इसे और भी ज्यादा खतरनाक बनाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह धूमकेतु सोलर सिस्टम के भीतरी हिस्से तक तो आएगा, लेकिन धरती के लिए कोई सीधा खतरा नहीं है। वैज्ञानिक विस्फोटक गैसों के निकलने के पैटर्न का आकलन कर रहे हैं। जिससे यह पता चलेगा कि धूमकेतु आंतरिक सौर मंडल की ओर अपनी यात्रा के दौरान किस तरह से विकसित होगा। 

यूरेनस की ऑर्बिट के अंदर धूमकेतु 

 

वैज्ञानिकों ने धूमकेतु को जब मार्च में पहली बार देखा तो इसके नाभिक से गैस निकल रही थी। तब उन्होंने यह अंदाजा लगाया कि जब तक यह दूसरी बार गैस नहीं छोड़ेगा तब तक थोड़ा शांत रहेगा। दूसरे अवलोकन में उन्हें सिर्फ एक बार गैस निकलते हुए दिखाई दी। उस समय यह धूमकेतु यूरेनस की आर्बिट के अंदर था, जो पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से करीब 16 गुना ज्यादा है।  इसका आकार ऊर्ट क्लाउड के पिछले विशालकाय धूमकेतु हेल-बोप से आकार में दोगुना है। जबकि सबसे बड़ा धूमकेतु 95पी/चिरोन है, जो 210 किलोमीटर से ज्यादा चौड़ा है। यह शनि और यूरेनस के बीच सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाता है। 

2031 में शनि की कक्षा तक पहुंचेगा धूमकेतु

 

वैज्ञानिकों ने शोध में दावा किया है कि सोलर सिस्टम से गुजरने वाला यह विशालकाय धूमकेतु धरती के करीब नहीं आएगा। यह 29 जनवरी 2031 को शनि की कक्षा तक पहुंच जाएगा। अब वैज्ञानिक इस धूमकेतु के बारे में और ज्यादा जानने के लिए उत्सुक हैं। जब यह अपने सबसे नजदीकी बिंदु पर पहुंचेगा, वे लगातार इसका अवलोकन करते रहेंगे। अमेरिकन यूनिवर्सिटी और नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिक नाथन रोथ के अनुसार, इस धूमकेतु के अध्ययन से उन्हें विशाल और बर्फीली दुनिया के बारे में और जानने का मौका मिलेगा।