धरती की गहराइयों में मिला अकूत हाइड्रोजन, खत्म होगा ऊर्जा संकट!

नई दिल्ली। ऊर्जा संकट से जूझ रही दुनिया के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। वैज्ञानिकों ने धरती की गहराइयों में ऐसा खजाना खोजा है जो करीब दो लाख वर्षों तक दुनिया की ऊर्जा जरूरतें पूरी कर सकता है। इस अद्भुत खजाने का नाम है हाइड्रोजन। वैज्ञानिकों की इस सफलता से दुनिया का ऊर्जा संकट खत्म हो सकता है। 

‘कनाडियन शील्ड’ में की मैपिंग

यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, डरहम यूनिवर्सिटी और टोरंटो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत खोज की है। उन्होंने धरती की सतह से नीचे मौजूद गहराई में हाइड्रोजन के विशाल भंडार का पता लगाया है। वैज्ञानिकों ने कनाडा के पुराने चट्टानी क्षेत्र ‘कनाडियन शील्ड’ में ऐसी जगहों को मैप किया है, जहां हाइड्रोजन जमीन के नीचे से रिसती है। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि ऐसी जगहें पूरी दुनिया में फैली हो सकती हैं, यह सिर्फ कनाडा या एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है।

हाइड्रोजन पूरी तरह प्राकृतिक

बता दें कि हाइड्रोजन को भविष्य का ‘ग्रीन फ्यूल’ कहा जाता है। इसे जलाने पर सिर्फ पानी बनता है, धुआं या सीओ2 नहीं बनता है। यही वजह है कि यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सबसे कारगर हथियार माना जा रहा है। अभी तक जिस हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जा रहा है वह ज्यादातर कोयले या गैस से बनता है। यानी वो खुद ही प्रदूषण हो जन्म दे रहा है। लेकिन धरती के भीतर जो हाइड्रोजन मिला है, वो पूरी तरह प्राकृतिक है। इसे ‘व्हाइट हाइड्रोजन’ कहा जा रहा है।

धरती से निकालना कठिन

अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस हाइड्रोजन को धरती से निकाला जा सकता है। इस पर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह संभव है, लेकिन आसान नहीं है। इसे निकालने के लिए पारंपरिक तेल-गैस ड्रिलिंग जैसा काम नहीं चलेगा। इसके लिए नई तकनीक, सटीक मैपिंग और संवेदनशीलता की जरूरत होगी। वैज्ञानिक अब ऐसी तकनीकों पर काम कर रहे हैं जिससे पता लगाया जा सके कि हाइड्रोजन कहां बनता है, कैसे बहता है और कहां जमा होता है। 

बैक्टीरिया सबसे बड़ी रुकावट


वैज्ञानिकों ने धरती के नीचे मौजूद बैक्टीरिया को इसकी सबसे बड़ी रुकावट बताया है। उनका कहना है कि धरती के नीचे कुछ ऐसे बैक्टीरिया हैं जो हाइड्रोजन को खा जाते हैं। यानी अगर किसी जगह ज्यादा बैक्टीरिया हैं, तो वहां हाइड्रोजन टिक ही नहीं पाएगा। इसलिए वैज्ञानिकों को ऐसी जगह की तलाश है जहां ये गैस सुरक्षित रूप से जमा हो और समय के साथ खत्म न हो। वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर इन स्रोतों को सही तरीके से ढूंढा और निकाला जाए, तो यह ऊर्जा का एक बेहतर और टिकाऊ विकल्प बन सकता है।