जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस-यक्रेन, इजरायल और ईरान युद्ध के साथ ही दुनिया में प्रलय आने की आशंका प्रबल हो गई है। यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि दुनिया के कई देशों में कयामत की मछली दिखी है। ऐसा माना जाता है कि यह मछली जब-जब दिखती है, तब-तब दुनिया पर बड़ी आफत आती है।
बार-बार देखे जाने से लोगों में डर का माहौल
डूम्सडे फिश यानी कयामत की मछली को दुनिया के कई समुद्री तटों पर देखा गया है। अब यह मछली तमिलनाडु के तट पर देखी गई है। बार-बार देखे जाने से लोगों में डर का माहौल है। जानकारी के अनुसार तमिलनाडु के एक मछुआरे ने यह मछली पकड़ी है। इस मछली को ओरफिश भी कहा जाता है। रिबन की तरह नजर आने वाली यह लंबी मछली 30 फीट लंबी थी। कहा जाता है कि जब-जब यह मछली देखी जाती है, तब-तब दुनिया में कुछ अशुभ होता है। यह मछली इस साल दुनिया के कई इलाकों में देखी गई है। इस मछली की झलक ने न केवल वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है, बल्कि स्थानीय लोगों में भी चिंता की लहर दौड़ गई है। इस मछली का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें सात मछुआरे एक विशालकाय और सिलवरी रंग की लहरदार मछली को पकड़े हुए नजर आ रहे हैं। बता दें कि डूम्सडे फिश को ओरफिश भी कहा जाता है। इसकी लंबी शरीर रचना, और सिर के पास दिखाई देने वाला लाल रंग का क्रेस्ट जैसे पंख इसे बेहद अनोखा और डरावना बनाते हैं।
बहुत कम सतह पर नजर आती है मछली
ओरफिश आमतौर पर गहरे समुद्र में पाई जाती है और बहुत ही कम सतह के पास नजर आती है। यह धीमी गति से तैरने वाली मछली होती है जो ज्यादातर समय पानी में सीधी यानी वर्टिकल स्थिति में तैरती रहती है और प्लवक खाकर जीवित रहती है। जापान में सदियों पुरानी मान्यता है कि अगर ओरफिश सतह के पास दिखे, तो वह किसी प्राकृतिक आपदा, खासकर भूकंप या सुनामी, की चेतावनी होती है। इस आधार पर इसे डूम्सडे फिश कहा जाता है। कहा जाता है कि यह मछली समुद्र के नीचे आने वाले भूकंपीय गतिविधियों को महसूस कर लेती है और सतह पर आकर मनुष्यों को चेतावनी देती है। हालांकि, अब तक इस दावे की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन जापान और अन्य देशों में भूकंप से पहले ओरफिश के दिखने की घटनाओं ने इस विश्वास को मजबूती जरूर दी है।
मैक्सिको के प्रशांत तट पर दिखी ओरफिश
वैज्ञानिक भाषा में इसे रीगलेकस ग्लेस्नी कहा जाता है। यह दुनिया की सबसे लंबी बोनी फिश में से एक है। आमतौर पर यह मछली समुद्र में 200 से 1000 मीटर यानी करीब 3300 फीट की गहराई में रहती है। इसकी वजह से इसे देख पाना लगभग दुर्लभ होता है। हालांकि, जब यह दिखती है तो अपने साथ प्रलय की कहानियां लेकर आती है। इसका शरीर एकदम बर्फ की तरह सफेद दिखता है और इसका धड़ एकदम लाल नजर आता है।
पहले भी देखी जा चुकी है मछली
तमिलनाडु में ओरफिश की यह मौजूदगी कोई अकेली घटना नहीं है। हाल के वर्षों में दुनियाभर में इस मछली की सतह पर दिखने की घटनाएं बढ़ी हैं। इस महीने की शुरुआत में आॅस्ट्रेलिया के तस्मानिया के ओशन बीच पर एक महिला को समुद्र किनारे टहलते समय एक तीन मीटर लंबी मृत अवस्था में मिली थी। फरवरी 2025 में मैक्सिको के प्रशांत तट पर स्थित बाजा कैलिफोर्निया सुर इलाके में इस मछली को फिर से देखा गया था, जब वह उथले पानी में पहुंच गई थी।
हिंदू धर्म में प्रलय को लेकर मान्यता
हिंदू धर्म में प्रलय की मछली को लेकर मान्यता है। मनुस्मृति के अनुसार मनु पहले ऐसे मनुष्य थे, जिसने मानव जाति को दिशा दी थी। मनु ने ही अपने अनुयायियों के साथ मिलकर पहली बार समाज के नियम बनाए थे। मनु गाथा में भयंकर महाप्रलय का वर्णन था। यह ऐसा प्रलय काल था जब समूचा जीवन नष्ट हो गया था। पुराणों में वर्णन है कि एक दिन मनु अपने तपस्वी जीवन में व्यस्त थे। तभी उन्हें एक विशाल मछली ने चेतावनी दी कि बहुत जल्द एक विनाशकारी बाढ़ आ सकती है। प्रलय आने से पहले भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया और मनु से कहा कि एक विशेष नाव का निर्माण करें। इसके बाद जब बाढ़ आई तो भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार में उस नाव को सींग से पकड़ लिया और मनु को समुद्र के बीचो बीच सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। जब यह बाढ़ आई तो पूरी पृथ्वी नष्ट हो गई थी। इसके बाद मनु ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर एक नए युग की शुरुआत की थी।
जापान में इस मछली को मनहूस मानते हैं लोग
जापान में लोग इस मछली को मनहूस मानते हैं। उनका मानना है कि अगर यह मछली दिखती है तो देश में भूकंप या सुनामी आती है। बताया जाता है कि साल 2011 में यह मछली दिखी थी, जिसके बाद भयानक सुनामी आई थी। इस प्राकृतिक आपदा में कई हजार लोगों की मौत हो गई थी। कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भी ओरफिश के देखे जाने को लंबे समय से प्राकृतिक आपदाओं की कहानियों से जोड़ा जाता है। कुछ देशों में यह भी माना जाता है कि इस मछली के अचानक दिखने को एक चेतावनी जैसा देखा जाता है कि पृथ्वी जल्द ही हिल सकती है।