नई दिल्ली। हमारा ब्रह्मांड अनगिनत रहस्यों से भरा हुआ है, जो आम इंसान से लेकर वैज्ञानिकों को सदियों से आकर्षित करता रहा है। वैज्ञानिक इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसी क्रम में वैज्ञानिकों ने धरती के बेहद करीब हवा में तैरती सूरज से हजारों गुना बड़ी एक रहस्यमयी चीज का पता लगाया है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में अंतरिक्ष में एक हैरान करने वाला खुलासा किया है। उन्होंने जमीन के नजदीक एक ऐसे रहस्यमयी बादल की तलाश की है जो अभी तक दुनिया की नजरों से छिपा हुआ था। वैज्ञानिकों ने इस बादल को ‘ईओस’ नाम दिया है। जो एक ‘मॉलिक्यूलर क्लाउड’ यानी अणुओं वाला गैस का बादल है। ऐसे बादल पूरे ब्रह्मांड में पाए जाते हैं और इनमें से कई हमारे मिल्की वे गैलेक्सी में भी हैं। यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस और धूल से बने होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, ईओस बादल धरती से सिर्फ 300 प्रकाश वर्ष दूर है, जो हमारे सौर मंडल के सबसे पास देखा गया ऐसा पहला बादल है। यह आकार में सूरज से करीब 3400 गुना भारी है। अगर इसे धरती से देखना संभव होता तो यह आकाश में 40 चंद्रमा के जितना बड़ा दिखाई देता। रिपोर्ट के अनुसार, हमारा सूरज एक बहुत बड़े इलाके में मौजूद है, जिसे ‘लोकल बबल’ कहा जाता है। ईओस बादल इसी लोकल बबल के बॉर्डर पर तैर रहा है। इस बादल का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने कोरिया के सैटेलाइट एसटीएसएटी-1 पर लगे एक खास उपकरण का प्रयोग किया। जो अल्ट्रावायलेट रोशनी में हाइड्रोजन के अणुओं को देख सकता है। यह पहली बार है जब किसी गैसीय बादल को सीधे अल्ट्रावायलेट रोशनी में देखकर खोजा गया है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बादल हमेशा नहीं रहेगा, यह अगले 60 लाख सालों में धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। बता दें कि आकाश में टिमटिमाते सितारे हमेशा से ही मानव जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। सितारों का जन्म एक बेहद धीमी और जटिल खगोलीय प्रक्रिया है, जो लाखों वर्षों में पूरी होती है। यह प्रक्रिया गैस और धूल के विशाल बादलों से शुरू होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब हमारे पास इसके विषय में और अधिक जानने का मौका होगा कि यह कैसे बनते हैं। क्योंकि ऐसे बादलों में वही कच्चा माल होता है जिससे नए तारों और ग्रहों की रचना होती है।
सूरज से हजारों गुना बड़े बादल की खोज, खुलेंगे कई रहस्य
06-May-2025