नई दिल्ली। सूर्य का वह राज जिससे पूरी दुनिया अभी तक अनजान थी वैज्ञानिकों ने उससे पर्दा उठा दिया है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी और नासा के साझा मिशन सोलर ऑर्बिटर ने पहली बार ऐसा कारनामा किया है जो सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणी में नई क्रांति ला सकता है।
दक्षिणी ध्रुव की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें भेजी
सोलर ऑर्बिटर ने पहली बार सूरज के दक्षिणी ध्रुव की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें खींचकर धरती पर भेजी हैं। जिसका विश्लेषण कर वैज्ञानिकों ने सूर्य के बारे में कई चौंकाने वाले रहस्य उजागर किए हैं। अभी तक हम पृथ्वी से सूरज को भूमध्य रेखा के स्तर पर ही देखते आए हैं। लेकिन सोलर ऑर्बिटर ने इस सीमा को तोड़ते हुए पहली बार 17 डिग्री के कोण पर खुद को सूर्य तल से ऊपर उठाया और दक्षिणी ध्रुव की ओर कैमरा घुमाया। इस दौरान ली गई तस्वीर में सूरज के दक्षिणी ध्रुव का वास्तविक रूप सामने आया।
दक्षिणी ध्रुव पर एक अजीब जगह देखी
सोलर ऑर्बिटर के अल्ट्रावायलेट इमेजर ने सूर्य के बाहरी वातावरण से एक मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान पर उत्सर्जित किरणों को कैप्चर किया। इस मिशन में वैज्ञानिकों ने पहली बार दक्षिणी ध्रुव पर एक अजीब जगह भी देखी। जहां उत्तरी और दक्षिणी मैग्नेटिक क्षेत्रों का एक बेतरतीब मोजेक मौजूद है। सरल शब्दों में बताएं तो यह वो इलाका है जहां से सूरज का चुंबकीय क्षेत्र लगभग हर 11 साल में उल्टा हो जाता है। इस दौरान सूरज सबसे ज्यादा उग्र हो जाता है। तब सोलर फ्लेयर्स, सनस्पॉट्स और कोरोनल मास इजेक्शन की बाढ़ सी आ जाती है।
2020 में हुई सोलर ऑर्बिटर की शुरुआत
बता दें कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी और नासा के साझा मिशन सोलर ऑर्बिटर की शुरुआत 2020 में हुई थी। मार्च 2025 में जब सोलर ऑर्बिटर ने पहली बार सूर्य के भूमध्य रेखा से 15 डिग्री नीचे की ओर खुद को झुकाया तो ऐतिहासिक छवि सामने आई। जिसे तकनीक का चमत्कार माना जा रहा है। क्योंकि पृथ्वी से सूर्य के ध्रुवों को देखना असंभव है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूरज के इस हिस्से को देखने के बाद, यह सिद्ध हो गया है कि कंप्यूटर मॉडल में जिन चुम्बकीय क्षेत्रों की बात की गई थी, वो सच हैं। मिशन के तहत वर्ष 2029 तक यह यान 33 डिग्री तक ऊपर उठेगा, जिससे और भी बेहतर ध्रुवीय दृश्य सामने आएंगे।
अपने सोलर मिनिमम पर पहुंचेगा सूरज
वैज्ञानिकों ने दावा किया है धरती की तरह सूरज ठोस नहीं है। उसका भूमध्य क्षेत्र हर 26 दिन में घूमता है, जबकि ध्रुवीय क्षेत्र 33 दिन में घूमता है। जिसकी वजह से सूरज के मैग्नेटिक फील्ड में उथल-पुथल मच जाती है। फिर एक समय ऐसा आता है जब वह इतना अस्थिर हो जाता है कि दक्षिणी ध्रुव उत्तरी बन जाता है और पूरी सोलर एक्टिविटी का पैटर्न बदल जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, आने वाले पांच-छह सालों में सूरज अपने सोलर मिनिमम पर पहुंचेगा। वैज्ञानिकों इस खोज को मानव जाति के लिए सूरज के रहस्यों की पहली झलक बताया है। साथ ही यह भी कहा कि अब हम सूर्य विज्ञान के एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं।