पृथ्वी के कवच में हुआ विशाल गड्ढा, उपग्रहों के लिए बड़ा संकट 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने सतह के नीचे छिपी रहस्यमयी शक्तियों का पता लगाया है। यह पृथ्वी पर फैली बड़ी विसंगति का कारण बन रही है। नासा के अनुसार पृथ्वी के कवच में विशाल गड्ढा, हो चुका है। यह अंतरिक्ष यानों, उपग्रहों और अंतरर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए बड़ा संकट हो सकता है। कुदरत ऐसे चमत्कार दिखाती है जिसकी कल्पना करना मुश्किल होता है। नासा के वैज्ञानिकाें काे दक्षिण अमेरिका और दक्षिण अटलांटिक महासागर के ऊपर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बड़ी गड़बड़ी मिली है। नासा वैज्ञानिकों का कहना है कि इसने पृथ्वी के कवच में विशाल छेद कर दिया है। इस आश्चर्यजनक घटना ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है। इस छेद का नाम दक्षिण अटलांटिक विसंगति यानी एसएए है। यह दक्षिण अमेरिका और दक्षिण अटलांटिक महासागर के ऊपर कमजोर चुंबकीय क्षेत्र का एक बड़ा क्षेत्र है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह विसंगति अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। वैज्ञानिकों की चिंता इस बात को लेकर है कि एसएए गतिशील रूप से बदल रहा है। यह उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है। इसके अलावा दो भागों में विभाजित हो रहा है। जिससे न्यूनतम चुंबकीय तीव्रता के दो केंद्र बन रहे हैं। इससे अंतरिक्ष यान के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। नासा के अनुसार एसएए उपग्रहों को उच्च-ऊर्जा कणों के संपर्क में लाती है। जो अंतरिक्ष यानों में खराबी का कारण बन सकते हैं। यहां तक कि यह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को भी प्रभावित कर सकता है। बता दें कि दक्षिण अटलांटिक विसंगति से उच्च-ऊर्जा वाले सौर कण खतरनाक तरीके से पृथ्वी की सतह के पास पहुंच रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी उत्पत्ति पृथ्वी के बाहरी कोर में होने वाली जटिल प्रक्रिया जियोडायनेमो से जुड़ी हुई है। यहाँ, पिघले हुए लोहे और निकल की गति से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो रहा है। यह जो पूरी पृथ्वी को घेर रहा है। यह बात अलग है कि यह हर जगह समान नहीं है। इसका मतलब है कि जहां चुंबकीय क्षेत्र ज्यादा होगा उस इलाके में यह अतंरिक्ष में भेजे जाने वाले उपग्रहों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इससे उपग्रह और अंतरिक्ष स्टेशन धरती पर वापस गिर सकते हैं।  वैज्ञानिकों के अनुसार एसएए से पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उत्तरी ध्रुव की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, इसकी गति कभी-कभी धीमी भी पड़ रही है। रिपोर्ट में ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के भूभौतिकीविद् डॉ विलियम ब्राउन ने अपने विचार साझा किए हैं। उनके अनुसार चुंबकीय क्षेत्र की पहचान कर और  उससे बचने के लिए प्रमुख एयरलाइंस कंपिनयों को अपने पूरे विमान बेड़े में नेविगेशन सॉफ़्टवेयर को अपग्रेड करना पड़ सकता है। इसके अलावा सेनाओं को भी सभी प्रकार के उपकरणों में बड़ी संख्या में जटिल नेविगेशन सिस्टम में सॉफ़्टवेयर को अपग्रेड करने की आवश्यकता होगी।  नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर के वेइजिया कुआंग का कहना है कि इस क्षेत्र में एक उलटा ध्रुवीयता क्षेत्र विकसित हुआ है। जिससे पृथ्वी के चुंबकीय कवच में एक प्रकार का गड्ढा बना दिया है। यह आने वाले दिनाें में कई समस्याओं का कारण बन सकती है।