नई दिल्ली। प्लूटो सौरमंडल के सबसे रहस्यमयी पिंडों में से एक है। कभी इसे नौवां ग्रह माना जाता था, लेकिन 2006 में इसे ‘बौने ग्रह’ की श्रेणी में डाल दिया गया था। अब नासा के न्यू होराइजन्स मिशन ने प्लूटो की जो तस्वीरें भेजी हैं उसे देखकर वैज्ञानिक हैरान है। उन्होंने ऐसे रहस्य का खुलासा किया जिससे दुनिया अनजान थी।
नीले और मल्टी लेयर्ड धुंध का अध्ययन
नासा के वैज्ञानिकों ने बौने ग्रह प्लूटो पर नई विशेषताओं का पता लगाया है। पहले ऐसा माना जाता था कि प्लूटो एक बर्फीला और आकारहीन ग्रह है। लेकिन जब नासा ने न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान को इसके पास से गुजारा तो वे हैरान रह गए। उन्होंने पुराने दावे को खारिज करने हुए बताया कि प्लूटो पर बर्फीले मैदान और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ मौजूद हैं। उन्होंने प्लूटों के चारों तरफ सतह से लगभग 300 किलोमीटर से अधिक ऊपर तक फैले नीले और मल्टी लेयर्ड धुंध का अध्ययन किया तो वे चौंक गए।
प्लूटो के वायुमंडल को कंट्रोल करती है धुंध
उन्होंने अध्ययन में पाया कि यह धुंध सिर्फ कोई दृश्य नहीं है बल्कि इस बौने ग्रह की जलवायु को नियंत्रित करती है। उन्होंने जेडब्लूएसटी/एमआईआरआई थर्मल लाइट कर्व्स के माध्यम से प्लूटो की धुंध में थर्मल एमिशन का भी पता लगाया। शोध के दौरान देखे गए प्रवाह से उन्हें संकेत मिला कि प्लूटो की धुंध टाइटन जैसे कार्बनिक कणों के साथ-साथ हाइड्रोकार्बन और नाइट्राइल बर्फ से बनी है। जो यह दिखाता है कि वहां मौजूद धुंध प्लूटो के वायुमंडल संतुलन को कंट्रोल करती है।
एक नई तरह की जलवायु मिली
पेरिस ऑब्जर्वेटरी के एस्ट्रोनॉमर टैंगुय बर्ट्रेंड ने वैज्ञानिकों की रिसर्च टीम का नेतृत्व किया। नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में प्रकाशित शोध में उन्होंने बताया कि यह एक नई तरह की जलवायु है। प्लूटो का तापमान और जलवायु अलग-अलग मौसमों में धुंध की वजह से काफी हद तक प्रभावित होगा। नासा के न्यू होराइजन्स मिशन से अब प्लूटो के रहस्य की परतें खुलने लगीं हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि रिसर्च में अभी और अधिक जानकारी सामने आने की उम्मीद है।
प्लूटो का वायुमंडल काफी पतला
बता दें कि 2006 में जब प्लूटो को बौने ग्रह के रूप में परिभाषित किया गया था तब वैज्ञानिकों और खगोलविदों के बीच काफी बहस हुई थी। नाइट्रोजन बर्फ और थोलिन सहित प्लूटो की सतह की संरचना अभी भी पूरी तरह से समझ में नहीं आई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लूटो का वायुमंडल काफी पतला है जो सूर्य की परिक्रमा के दौरान पिघलता और जमता रहता है। यह पहली बार है जब वहां हाइड्रोकार्बन और नाइट्राइल की उपस्थिति की पुष्टि हुई है, जो प्लूटो की संरचना और उत्पत्ति के बारे में नई जानकारी प्रदान कर सकती है।