नए शोध में दावा, 500 अरब साल में एक बार पूरा चक्कर लगा लेता ब्रह्मांड

नई दिल्ली। ब्रह्मांड जितना विशाल है उतना ही अपने अंदर रहस्य छिपाए हुए है। इसके हर कोने को वैज्ञानिक जितना जानने की कोशिश करते हैं, उतना ही यह और गहरा प्रतीत होता है। हाल ही में हुए नए शोध में ब्रह्मांड को लेकर ऐसी जानकारी सामने आई है जिससे वैज्ञानिकों के होश उड़ गए हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति ‘बिग बैंग’ नामक एक महाविस्फोट से मानी जाती है। इसके बाद से ही समय, स्थान और पदार्थ की रचना हुई। वैज्ञानिकों ने नए शोध में इस बात का खुलासा किया है कि हमारा ब्रह्मांड हर 500 अरब साल में एक बार पूरा चक्कर लगा सकता है। इससे पहले साल 1929 में एक शोध में दावा किया गया था कि ब्रह्मांड का निरंतर विस्तार हो रहा है। इस विस्तार को सुपरनोवा और कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड से मापा जाता है। इन दोनों तरीकों से मापने पर 10 प्रतिशत तक अलग-अलग परिणाम आता है। जो वैज्ञानिकों के लिए अनसुलझी पहेली है। हवाई यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में एक नया गणितीय मॉडल पेश किया है। जिसमें ब्रह्मांड में थोड़ा रोटेशन यानी घूर्णन जोड़ा गया है। इस मॉडल का उपयोग कर उन्होंने बिना किसी मौजूदा एस्ट्रोनॉमिकल मेजरमेंट का खंडन किए ब्रह्मांड के विस्तार की दर को हल कर दिया। नए शोध में वैज्ञानिकों को पता चला कि ब्रह्मांड 500 अरब साल में एक बार पूरा चक्कर लगा लेता है। उन्होंने दावा किया कि ब्रह्मांड रोटेशन इतना धीमा है कि सीधे तरह से इसका मेजरमेंट करना असंभव है। वैज्ञानिकों के अनुसार, नए मॉडल में ब्रह्मांड का रोटेशन 0.6सी यानी लाइट की स्पीड के 60 प्रतिशत की गति से होता है, जो फिजिक्स के नियमों का उल्लंघन नहीं करता है। वैज्ञानिकों की यह नहीं खोज ब्रह्मांड की फुर्ती को समझने में नया दृष्टिकोण देती है। इस खोज से उस पहेली का हल निकाला जा सकता है, जो पूरे यूनिवर्स साइंस के विस्तार के सामने बाधाएं खड़ी कर रही थी। ऐसा नहीं है कि ब्रह्मांड के रोटेशन का विचार पहली बार सामने आया है। इसके पहले गणितज्ञ कर्ट गोडेल ने साल 1949 में किए गए अपने शोध में इसकी संभावना जताई थी। वहीं स्टीफन हॉकिंग जैसे महान वैज्ञानिकों ने भी इस पर काम किया था। शोधकर्ताओं का मानना है कि जिस तरह गैलक्सी, तारे और ग्रह घूमते हैं उसी तरह ब्रह्मांड का चक्कर लगाना भी स्वाभाविक हो सकता है। सूर्य की परिक्रमा करती पृथ्वी, चंद्रमा का पृथ्वी के चारों ओर घूमना, आकाशगंगाओं का विस्तार और सिकुड़न ये सभी ब्रह्मांडीय गति के प्रमाण हो सकते हैं।