मिस्र के पिरामिडों के नीचे मिली 20 हजार साल पुरानी रहस्यमयी दुनिया

नई दिल्ली। मिस्र के पिरामिडों का नाम अद्भुत रचनाओं में सबसे ऊपर आता है। इनमें छुपे रहस्य आज भी वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए पहेली बने हुए हैं। इसी बीच पिरामिडों के नीचे एक छिपी हुई सीक्रेट दुनिया का पता चला है। बीस हजार साल पुरानी इसकी संरचना को देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं। शोधकर्ताओं ने मिस्र के एक पिरामिड के नीचे विशाल संरचना खोजने का दावा किया है। भूल भुलैया जैसी इस संरचना में 3,000 कमरे और कई रास्ते हैं। शोध में उन्हें इस बात के सबूत मिले हैं कि मिस्र में हवारा के नीचे बहुत बड़ा भूमिगत चेंबर मौजूद है। हालांकि, यह पिरामिड गीजा के पिरामिडों जैसा नहीं है, लेकिन इसका रहस्य उससे कम भी नहीं है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ये इमारतें प्राचीन मिस्रवासियों से बहुत पहले बनाई गई थीं। शोधकर्ताओं के अनुसार, इतिहासकार और जियोग्राफर हेरोडोटस ने भी 2,500 साल पहले भूलभुलैया के बारे में बात की थी। हालांकि, विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि पुराना डेटिंग मेथड्स जमीन के नीचे कमरों की मौजूदगी की पुष्टि नहीं करता है। लेकिन, अब नई तकनीक का इस्तेमाल कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या सच में पिरामिड के नीचे भूलभुलैया जैसा कुछ है। इसके लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार और सैटेलाइट स्कैन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्राचीन इतिहासकारों ने भी भूलभुलैया और उसके कमरों के बारे में लिखा है। हेरोडोटस ने भी भूलभुलैया की सभ्यता का जिक्र किया है। लेकिन, इस पर वैज्ञानिक सहमति नहीं बन पाई है। दरअसल, हेरोडोटस ने पहली बार 500 ईसा पूर्व के आसपास मिस्र का दौरा किया था। इस दौरान उन्हें ऊपरी भूलभुलैया दिखाई गई और जमीन के नीचे नहीं जाने दिया गया था। उन्होंने जो देखा उसी के आधार पर दावा किया कि वहां 3,000 रूम थे, जिसमें कुछ ऊपर और कुछ नीचे बने थे।  ऐसा माना जाता है कि वर्षों पहले यह संरचना रेत के नीचे दब गई और इसके कुछ हिस्से आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट कर दिए गए। कुछ  शोधकर्ता मानते हैं कि पिरामिडों का ईस्टर द्वीप के बड़े पत्थरों से रहस्यमय संबंध हो सकता है। क्योंकि इन दोनों जगहों पर ही जमीन के ऊपर विशाल पत्थर की संरचनाएं मौजूद हैं। लेकिन, कोई भी उनके बारे में पूरी तरह से निश्चित नहीं है। हालांकि, कुछ पिरामिडों को कब्र माना जाता था, लेकिन सभी के साथ ऐसा नहीं था। दोनों सभ्यताओं में कोई समानता थी या नहीं, अभी भी इसका रहस्य सुलझना बाकी है।