दिल्ली। धरती का तीन चौथाई हिस्सा जल से ढका है, जिसमें अधिकांश भाग महासागरों के रूप में फैला हुआ है। यही वजह है कि हमारी धरती अंतरिक्ष से नीले रंग की दिखाई देती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बहुत जल्द ही इस नीले रंग का नामोनिशान मिटने वाला है। इस पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। धरती पर नीले रंग के दिखने वाले महासागर कभी हरे रंग के हुआ करते थे। अब ये महासागर एक बार फिर से अपना रंग बदलने वाले हैं। नेचर पत्रिका में छपे एक जापानी शोध में वैज्ञानिकों ने बदलाव को लेकर बड़ा दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, करीब 2 से 4 अरब साल पहले धरती बिल्कुल अलग थी। उस समय महासागरों में सिर्फ एक कोशिकीय जीव रहते थे। धरती पर हरियाली की जगह भूरे-काले पथरीले मैदान थे। बारिश का पानी इन चट्टानों से आयरन घोलकर नदियों के रास्ते महासागरों में ले जाता था। वैज्ञानिकों के अनुसार, उस समय धरती का वायुमंडल और महासागर ऑक्सीजन से लगभग खाली थे। फिर धीरे-धीरे कुछ खास तरह के जीवों का विकास हुआ, जिन्होंने सूर्य की रोशनी से ऊर्जा बनाना शुरू किया। ये जीव ऐसे थे जो बिना ऑक्सीजन के भी काम चला लेते थे। धीरे-धीरे ये जीव महासागरों में घुले लोहे के साथ मिलकर ऑक्सीकृत करने लगे। फिर इतनी ऑक्सीजन पैदा हुई, जिससे पूरा महासागर और वायुमंडल बदलने लगा। इस ‘महान ऑक्सीकरण की घटना’ ने धरती पर जटिल जीवन को जन्म दिया। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि उस समय महासागरों का हरा रंग लोहे और नीले-हरे शैवाल की वजह से था। ये शैवाल बैक्टीरिया की तरह थे और इनमें क्लोरोफिल के साथ-साथ एक खास वर्णक ‘फाइकोएरिथ्रोबिलिन’ भी मौजूद था। वैज्ञानिकों के अनुसार, क्लोरोफिल पौधों को हरा बनाता है, लेकिन खास वर्णक हरे प्रकाश में बेहतर काम करता था। जापान के इवो जीमा द्वीप के आसपास आज भी ऐसा हरा पानी दिखता है, जहां ऑक्सीकृत लोहा और ये शैवाल मौजूद हैं। कम्प्यूटर प्रोग्राम की सहायता से वैज्ञानिकों को पता चला कि उस युग में ऑक्सीजन ने लोहे को ऑक्सीकृत किया, जिससे महासागरों की सतह हरी हो गई। जब सारा लोहा आक्सीकृत हो गया, तब आॅक्सीजन हवा में जमा होने लगी और महासागर धीरे-धीरे नीले रंग के होने लगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भविष्य में सल्फर बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ी तो महासागर बैंगनी हो सकते हैं। हालांकि, इस बदलाव में लाखों-अरबों साल लग सकते हैं। लेकिन यह तय है कि भविष्य में महासागरों के रंग बदलने की कहानी पानी और जीवों में छिपी होगी।
महासागरों का बदल जाएगा रंग, चौंकाने वाली रिपोर्ट आई सामने
17-Apr-2025