मंगल से टकराएगा मंगल का चन्द्रमा, होगी अनोखी घटना

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। मंगल और चंद्रमा को लेकर वैज्ञानिकों ने बेहद चौंकाने वाली भविष्यवाणी की है। दोनों ग्रह आपस में टकराने वाले हैं। इससे ब्रह्मांड में रहस्यमयी घेरा फैल जाएगा। वैज्ञानिक इसको लेकर गंभीर हैं और खतरे के संकेत भी मिल रहे हैं। हमारे सौरमंडल में बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून के पास वलय हैं। जो उनके चारों ओर एक घेरा बनाते हैं। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल भी जल्द ही वलय वाला ग्रह बन सकता है। इस वलय के बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा होने से बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। इस वलय का मुख्य कारण मंगल का चंद्रमा फोबोस होगा। यह चंद्रमा धीरे-धीरे मंगल की ओर बढ़ रहा है और टकराने वाला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि फोबोस या तो मंगल से टकराएगा या फिर मलबे में बदल जाएगा। यह मलबा मंगल के चारों ओर एक रहस्यमय वलय बना देगा। बता दें कि फोबोस मंगल ग्रह का चन्द्रमा है। यह दो बहुत छोटे उपग्रहों में से एक है। इसकी खोज इसके छोटे साथी, डेमोस के साथ, अगस्त 1877 में वाशिंगटन डीसी में नौसेना वेधशाला द्वारा की गई थी। इन चंद्रमाओं का नाम ग्रीक देवता एरेस के बच्चों के नाम पर रखा गया है, जो रोमन मंगल की तरह युद्ध के देवता हैं।

शोध में पता चली आश्चर्यजनक बात 


शोध में आश्चर्यजनक बात भी पता चली है। अध्ययन के अनुसार मंगल के पास पहले भी एक रिंग था। जो समय के साथ गायब हो गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रक्रिया बार-बार होती रहती है। 4.3 बिलियन साल पहले एक बड़ा पिंड मंगल से टकराया था। इसका मलबा वलय बन गया और बाद में फोबोस मंगल ग्रह का चंद्रमा बन गया। यह फोबोस हर 100 साल में मंगल से करीब छह फीट दूर खिसक जाता है। ऐसा मंगल के गुरुत्वाकर्षण के कारण हो रहा है। अगर यही गति जारी रही तो अगले कुछ सालों में फोबोस टूट जाएगा। इसका मलबा मंगल के चारों ओर वलय बना देगा।
मंगल का दूसरा चंद्रमा डेमोस फोबोस से बहुत दूर 

बता दें कि मंगल का दूसरा चंद्रमा डेमोस फोबोस से बहुत दूर है। इसकी दूरी करीब 23,460 किलोमीटर है। वहीं मंगल से फोबोस की दूरी महज 6,000 किलोमीटर दूर है। इसलिए इस पर ज्यादा असर पड़ रहा है। वहीं डेमोस को मंगल का गुरुत्वाकर्षण उतना नहीं खींच रहा है। इस वजह से यह वलय बनाने में भागीदार नहीं होगा।  नासा और पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन से पता चलता है कि फोबोस बार-बार टूटता और बनता रहा है। पहले मलबा एक वलय बनाता है। इसके बाद यह मलबा इकट्ठा होकर चंद्रमा बन जाता है। हर बार बनने वाला चंद्रमा पिछले वाले से पांच गुना छोटा होता है। यहां देखने वाली बात यह है कि यह प्रक्रिया ब्रह्मांड का एक अनूठा चक्र है।

मलबे के बारे में वैज्ञानिकों का अनुमान


मलबे के बारे में वैज्ञानिकों के शोध में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यह मिली है कि समय के साथ मंगल का चन्द्रमा बनता और बिगड़ता रहता है। अनुमान जताया है कि फोबोस के टूटने के बाद उसके मलबे से एक छल्ला बन जाएगा। यह छल्ला शनि के जितना चमकीला नहीं होगा, लेकिन ब्रह्मांड में अनोखा होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह छल्ला अस्थायी होगा। समय के साथ मलबा फिर से चंद्रमा बन सकता है। नासा और दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियां मंगल और फोबोस पर कड़ी नजर रख रही हैं। यह घटना हमें सौरमंडल के निर्माण और परिवर्तन के बारे में अधिक जानकारी दे सकती है। फोबोस की टक्कर ग्रहों के विखंडन और ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में मदद करेगा। मंगल ग्रह का यह नया वलय वैज्ञानिकों के लिए एक बेहतरीन तोहफा होगा।