मंगल ग्रह की सतह के नीचे का बड़ा रहस्य उजागर 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। मंगल ग्रह की सतह के नीचे का बड़ा रहस्य उजागर हुआ है। इस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र पर शोध के दौरान ग्रह की सतह के नीचे विशाल छिपी हुई संरचनाओं का पता चला है। इस शोध में पाया गया कि पहले यहां एक प्राचीन महासागर बहता था। वैज्ञानिकों के लिए मंगल ग्रह बड़ा शोध का केंद्र बना हुआ है। वैज्ञानिक लगातार इस ग्रह के बारे में नई-नई खोज कर रहे हैं। मंगल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र पर हाल के शोध से कई रहस्य उजागर हुए हैं। अब डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलॉजी यानी टीयू के वैज्ञानिक बार्ट रूट ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बर्लिन में आयोजित यूरोपैनेट साइंस कांग्रेस यानी ईपीएससी में मंगल ग्रह को लेकर आकर्षक रहस्यों को प्रस्तुत किया। जिसमें इस लाल ग्रह के रहस्यमय इंटीरियर पर नई रोशनी डाली गई। डा. रूट के  अनुसार शोध में मंगल ग्रह की सतह के नीचे विशाल, छिपी हुई संरचनाओं का पता चला है। इसमें पता चला है कि यहां कभी विशाल और प्राचीन महासागर बहता था। साइंस अलर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने कई अंतरिक्ष अभियानों और उन्नत माडलिंग के डेटा को मिलाकर यह उल्लेखनीय खोज की है। निष्कर्षों से पता चला है कि मंगल ग्रह के मेंटल की सक्रिय प्रक्रियाएं सौर मंडल के सबसे बड़े ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स के विकास को बढ़ावा दे सकती हैं। डा. रूट के  अनुसार 'ये घनी संरचनाएं मूल रूप से ज्वालामुखी की हो सकती हैं। प्राचीन प्रभावों से संकुचित सामग्री हो सकती हैं। हमने उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में बिखरे हुए विभिन्न आकारों की लगभग 20 विशेषताओं की पहचान की है। इसमें से एक कुत्ते के आकार से भी मिलती जुलती है। डा. रूट और उनकी शोध टीम ने मंगल की आंतरिक संरचना की जांच के लिए एक नई शैली अपनाई। जिसमें ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की जांच की गई। इसके आंतरिक द्रव्यमान की भी जांच की गई। घनत्व मानचित्र से पता चला कि उत्तरी ध्रुवीय 300-400 किग्रा/वर्ग मीटर अधिक सघन हैं। अध्ययन ने सौरमंडल के सबसे बड़े ज्वालामुखी, ओलंपस मान्स को लेकर नई बात सामने आई। डा. रूट और उनकी टीम ने लगभग 1,750 किलोमीटर चौड़ी एक विशाल, हल्की संरचना की खोज की, जो सतह से 1,100 किलोमीटर नीचे स्थित है, जिसके कारण थारिस क्षेत्र ऊपर की ओर बढ़ रहा है। नासा इनसाइट मिशन ने मंगल की कठोर बाहरी परत के बारे में महत्वपूर्ण नया डेटा प्रदान किया है। डा. रूट के अनुसार इससे ​​पता चलता है कि मंगल ग्रह के आंतरिक भाग में अभी भी सक्रिय गतिविधियां चल रहीं हैं। यहां तक ​​कि सतह पर नई ज्वालामुखीय विशेषताएं भी बना सकता है। हालांकि मंगल ग्रह पर वर्तमान में कोई सक्रिय ज्वालामुखी नहीं हैं। इस नई खोज से पता चलता है कि मंगल पहले की तुलना में हाल ही में ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय हो गया है।