क्या ईरान से अब खामेनेई शासन का होगा अंत? नेतन्याहू का बड़ा प्लान 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। ईरान से अब खामेनेई शासन का अंत होने वाला है। एक ओर जहां ट्रंप ने इसका इशारा किया वहीं नेतन्याहू का प्लान सबके सामने आ गया है। नेतन्याहू ने  खामेनेई के खात्मे की बात कही है। इसी तरह जी-7 देशों की बैठक से लौटते समय ट्रंप ने बड़ा इशारा किया कि ईरान में अब सीजफायर नहीं बल्कि बड़ा होने वाला है। 

खतरनाक मोड़ पर पहुंची जंग


इजरायल और ईरान के बीच जंग अपने सबसे खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है। जहां ईरान को अमेरिका ने आखिरी अल्टीमेटम दे दिया है। ईरान या तो समझौता कर परमाणु कार्यक्रम को छोड़ दे या पूरी तरह तबाह होने को तैयार रहे। इस भीषण जंग में न इजरायल की तरफ से मिसाइलें थम रही हैं और न ही ईरान पलटवार करने में पीछे है। ईरान में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि इजरायल में दो दर्जन से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ईरान के सबसे बड़े परमाणु सयंत्र नतांज पर हुए इजरायली हमले में भारी नुकसान हुआ है। इस हमले में नतांज में मौजूद लगभग 15000 सेंट्रीफ्यूज नष्ट हो गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के चीफ राफेल ग्रॉसी का कहना है कि इजरायली हमलों के बाद ईरान के नतांज स्थित अंडरग्राउंड यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट में सेंट्रीफ्यूज संभवत: पूरी तरह से टूट गए हैं। 
निशाने पर परमाणु केंद्र


बता दें कि सेंट्रीफ्यूज ऐसी मशीनें हैं जो तेज गति से घूमकर यूरेनियम को अलग करती है। परमाणु संदर्भ में गैस सेंट्रीफ्यूज का उपयोग यूरेनियम संवर्धन के लिए किया जाता है। ये मशीनें यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड गैस को तेजी से घुमाकर यूरेनियम आइसोटोप को अलग करती हैं। इस प्रक्रिया में आइसोटोप का विखंडन होता है। यानी कि इसे तोड़ा जाता है और इसका इस्तेमाल परमाणु बम बनाने या परमाणु ऊर्जा पैदा करने में होता है। इजरायल और ईरान के बीच भयंकर हो चले युद्ध के बीच सवाल उठता है कि इजरायल और ईरान के बीच शुरू हुए युद्ध में आगे क्या होगा?

खामेनेई को निशाना बना सकता है इजरायल


इजरायली पीएम नेतन्याहू ने कहा कि ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई का खात्मा ही इस जंग का भी अंत होगा।  ऐसे में कहा जा रहा है कि खामेनेई अपने परिवार के साथ बंकर में जाकर छिप गए हैं। इसी तरह ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इजरायल कभी भी खामेनेई को निशाना बना सकता है। लिहाजा खतरे को देखते हुए उन्हें ऐसे अंडरग्राउंड बंकर में रखा गया है, जिसे दुश्मन मुल्क की मिसाइलें भी नहीं भेद सकती.। इस बीच ईरान-इजरायल युद्ध के दौरान अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से एक रिपोर्ट छपी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को मारने का प्लान बनाया था लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के प्लान के खिलाफ वीटो लगा दिया था। 
डोनाल्ड ट्रंप ने दिया बड़ा संकेत


कनाडा में आयोजित जी7 समिट को बीच में ही छोड़कर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वापस वॉशिंगटन लौट गए हैं। अपनी वतन वापसी से पहले ट्रंप ने कुछ बड़ा होने के संकेत दिए हैं। उनकी वापसी की वजह मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष को बताया गया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अब अमेरिका सीधे तौर पर ईरान के खिलाफ जंग में उतरने की तैयारी कर रहा है।  ट्रंप ने कनाडा से लौटते हुए अपने बयान में कहा कि पब्लिसिटी चाहने वाले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गलत बयान दिया। उन्होंने कहा कि मैं कनाडा से जी7 शिखर सम्मेलन छोड़कर वापस वॉशिंगटन जा रहा हूं ताकि इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर पर काम कर सकूं। यह गलत है, उन्हें नहीं पता कि मैं वॉशिंगटन क्यों जा रहा हूं। इसका सीजफायर से कोई लेना-देना नहीं है। ईरान में इससे बड़ा होने वाला है। इमैनुएल मैंक्रो हमेशा गलत ही बोलते हैं। इसका मतलब है कि अमेरिका फिलहाल ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर नहीं चाहता और इससे भी ज्यादा कुछ करने की तरफ बढ़ रहा है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिए संकेत


राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान के खिलाफ जंग में खुलकर इजरायल के साथ आ गए हैं। अब तक अमेरिका ने इन हमलों में सीधे तौर पर अपनी भागीदारी से इनकार किया था। अमेरिका की प्राथमिकता क्षेत्र में अपनी सेनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। ट्रंप के ताजा बयान से ऐसा लगता है कि अब इस जंग में अमेरिका तटस्थ नहीं रहना चाहता और ईरान के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठा सकता है। वहीं इजरायल ने भी जंग में अमेरिका से खुलकर समर्थन मांगा है। अमेरिका भी इस बारे में विचार कर रहा है। इजरायल ने अमेरिका से ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को तबाह करने के लिए सैन्य अभियान में शामिल होने की अपील की है। यह अपील खास तौर पर उन परमाणु सुविधाओं पर फोकस है, जो अंडरग्राउंड हैं और जिन्हें नष्ट करने के लिए अमेरिका के पास विशेष हथियार मौजूद हैं। जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान भी सभी देशों ने खुलकर इजरायल का समर्थन किया है। ईरान पर तनाव कम करने का दबाव बनाया है। जी7 के सदस्यों ने इस बात पर भी जोर दिया कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना सकता है। साथ ही कहा है कि इजरायल को अपनी आत्मरक्षा में कदम उठाने का पूरा अधिकार है। जी7 के वैश्विक मंच से इजरायल को खुला समर्थन मिला है, जो ईरान के खिलाफ उसके इरादों को मजबूत करेगा।