नई दिल्ली। हमारे ब्रह्मांड में कुछ ऐसे रहस्य हैं जो विज्ञान और तर्क की सीमाओं से परे हैं। इसी में एक है ब्लैक नाइट सैटेलाइट। दशकों से यह रहस्यमयी वस्तु वैज्ञानिकों और खगोलशास्त्रियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। इस सैटेलाइट से मिले अजीबोगरीब सिग्नल्स और खतरनाक तस्वीरें देख वैज्ञानिक हैरान हैं।
13 हजार सालों से घूम रहा सैटेलाइट
13 हजार सालों से घूम रहा सैटेलाइट

ब्लैक नाइट सैटेलाइट की कहानी कई दशकों से साजिश और सिद्धांतों के बीच उलझी हुई है। दावा किया जाता है कि यह रहस्यमयी सैटेलाइट 13 हजार सालों से पृथ्वी की कक्षा के पास घूम रहा है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि यह किसी एलियन द्वारा बनाया गया उपकरण हो सकता है। इसकी चर्चा अक्सर इंटरनेट फोरम, न्यूज, तस्वीरों और रेडियो सिग्नलों के रूप में होती रहती है। आखिर इसका रहस्य क्या है, क्या यह वास्तव में ही कोई ब्लैक नाइट सैटेलाइट है? आइए जानते हैं इसके पीछे की वैज्ञानिक अवधारणा क्या है।
ब्लैक नाइट सैटेलाइट की गई कहानियां

ब्लैक नाइट सैटेलाइट अवधारणा से जुड़ी कई कहानियां मौजूद हैं। लेकिन, इसकी एक कहानी की शुरुआत सर्बियाई-अमेरिकी इंजीनियर और आविष्कारक निकोला टेस्ला से होती है, जो आधुनिक प्रत्यावर्ती धारा बिजली आपूर्ति प्रणाली के डिजाइन में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 1899 में कोलोराडो स्प्रिंग्स में एक अजीब रेडियो सिग्नल को इंटरसेप्ट किया। तब लोगों ने इसे एलियन का सिग्नल माना था। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने शोध के बाद दावा किया कि ये प्राकृतिक रेडियो तरंगें थीं। इसके अलावा, ऐसे ही सिग्नल 1927 में भी रिकॉर्ड किए गए थे।
जासूसी उपग्रह के मलबे के रूप में पहचान

1954 में अमेरिका की वायुसेना ने पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे दो सैटेलाइट्स का पता लगाया था। इसका वर्णन 1960 के टाइम पत्रिका के एक लेख में ब्लैक नाइट सैटेलाइट के रूप में किया गया। हालांकि, बाद में इसकी पहचान अमेरिकी डिस्कवर जासूसी उपग्रह के मलबे के रूप में की गई। इसके अलावा, एसटीएस-88 शटल मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों ने धरती की कक्षा के नजदीक तैरती हुई एक अजीब काली वस्तु की तस्वीरें खींची थी। तब उसे ब्लैक नाइट का नाम दिया गया था। नासा ने इसे आॅब्जेक्ट 025570 के रूप में चिन्हित किया।
सैटेलाइट का मिथक अभी भी जिंदा

इस तरह की कई कहानियों के बावजूद ब्लैक नाइट सैटेलाइट का मिथक अभी भी जिंदा है। कोई इसे एलियन का उपकरण बता रहा है तो कोई इसे गुप्त षड्यंत्र कह रहा है। आर्कियोलॉजिस्ट एलिस गोर्मन का कहना है कि वास्तव में यह क्या है कोई नहीं जानता है। ऐसा भी दावा किया जाता है कि यह सैटेलाइट न तो किसी मानव मिशन से जुड़ा है और न ही इसका कोई आधिकारिक अस्तित्व नासा या अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने स्वीकार किया है। फिर भी, यह बार-बार पृथ्वी की कक्षा में देखा जाता है। मानो कोई प्राचीन अंतरिक्ष प्रहरी चुपचाप हमारी गतिविधियों पर नजर रख रहा हो। 13 हजार साल पुराने इस सैटेलाइट्स का रहस्य अभी भी बरकरार है।