एलएसी पर चीन को धूल चटाने की तैयारी, एयरबेस को अपग्रेड कर रहा भारत

नई दिल्ली। एलएसी पर चीन को धूल चटाने के लिए भारत ने बड़ा कदम उठाया है। भारत एलएसी से लगते सभी एयरबेस को अपग्रेड कर रहा है। इस योजना में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लेह एयरबेस भी शामिल है। इससे इतनी ऊंचाई से जब भारत के फाइटर जेट गरजेंगे तो चीन की हेकड़ी निकल जाएगी। भारतीय सेना चालबाज चीन को हर मोर्चे पर मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रही है। 10 हजार फीट की ऊंचाई पर लद्दाख स्थित लेह एयर बेस पर एक नया रनवे बनाया जा रहा है। ये वही हवाई क्षेत्र है जहां पिछले कुछ सालों में भारत और चीन की सेना के बीच कई टकराव हुए हैं। बता दें कि यह हवाई क्षेत्र भारत और चीन के बॉर्डर यानी एलएसी और सियाचिन पर सैन्य गतिविधियों को जारी रखने के लिए बेहद जरूरी है। यह एयर बेस रात के वक्त भी लड़ाकू विमानों और सामान ले जाने वाले एयरफोर्स के जहाजों के लिए उड़ान भरने के लिए उपयुक्त है। चीन के साथ संबंध खराब होने के बाद से राफेल, मिग-29, सुखोई-30 और अपाचे जैसे विमान इसी एयरबेस से नियमित रूप से उड़ान भर रहे हैं। रक्षा सूत्रों का कहना है कि दूसरा रनवे 2000 मीटर लंबा है। वहीं मौजूदा रनवे लगभग 2752 मीटर लंबा है। इसके अलावा यहां जहाजों के लिए नए शेल्टर और नई बिल्डिंग भी बनाई जा रही हैं। जब कड़ाके की ठंड में सभी सड़क मार्ग बंद हो जाते हैं, तब यही एयर बेस सैनिकों और जरूरी सामान को लाने-जाने का इकलौता जरिया बचता है। लेह देश का पहला ऐसा ऊंचाई वाला एयर बेस होगा जहां दो रनवे होंगे। । बता दें कि लेह एयरबेस भारत और चीन के बॉर्डर यानी एलएसी के नजदीक स्थित है। यह एयर बेस रात में भी उड़ान भरने के लिए उपयुक्त है। 15-16 जून 2020 में जब गलवान में हिंसक झड़प हुई थी, तब इसी एयरबेस से 68 हजार भारतीय सैनिकों और टैंकों को हवाई जहाजों से एलएसी तक पहुंचाया गया था। इन सब बातों को देखते हुए सेना यहां एक नई डिवीजन तैनात करने की योजना भी बना रही है।
साथ ही इस क्षेत्र में हमलावर हेलीकॉप्टरों और लड़ाकू विमानों के लिए शेल्टर और भूमिगत हथियारों के भंडार बनाने का काम भी किया जा रहा है।  यहां  एक्स्ट्रा टैक्सीवे यानी विमानों के आने-जाने के लिए नया रास्ता बनाया जा रहा है। इस टैक्सीवे से ड्रोनों को एलएसी के पास ले जाने में आसानी होगी। इसके अलावा एलएसी के नजदीक असम के डिब्रूगढ़ में स्थित चबुआ एयरबेस को भी भारत ने अपग्रेड किया है। भारत ने चबुआ एयरबेस पर नए रडार भी स्थापित किए हैं। इससे इस क्षेत्र में हवाई खतरों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने में मदद मिल सकेगी। वहीं एलएसी के नजदीक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में स्थित बागडोगरा एयरबेस को भी अपग्रेड करने का काम तेजी से चल रहा है। यह एयरबेस सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास है, जिसे चिकंस नेक भी कहा जाता है। यह पूर्वोत्तर के राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है।  दूसरी ओर पूर्वी लद्दाख में ही स्थित न्योमा एयरबेस के नवीनीकरण का काम भी तेजी से चल रहा है। चीन की सीमा से सिर्फ 23 किलोमीटर की दूरी पर न्योमा एयरबेस में 2.7 किलोमीटर लंबे रनवे का निर्माण अक्तूबर 2024 तक पूरा हो जाएगा। 13,700 फीट लंबा नया रनवे भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू और परिवहन संचालन दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण साबित होगा। सी-130जे सुपर हरक्युलेस विमान इस एयरबेस से उड़ान भरते रहे हैं। उसके बाद 2020 में गलवान हिंसा के बाद वायुसेना एमआई17, चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टरों को न्योमा भेजा था।