एक के बाद एक, कई सौर तूफानों की आहट

पिछले सप्ताह एक सौर तूफान धरती से टकराया था। जिसके चलते कई देशों में रंगीन आसमान देखा गया था। अब एक और सौर तूफान को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ी चेतावनी जारी की है। सूर्य में ऐसा भयंकर विस्फोट होने वाला है जिसके टकराने से पृथ्वी पर भारी तबाही मच सकती है। 

धरती पर भी देखा जा सकता है असर 

हार्वर्ड के वैज्ञानिकों ने 2025 में एक और विशाल विस्फोट की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगले एक या दो साल में हमें कई बड़े सौर तूफान देखने को मिल सकते हैं। जिसका असर धरती पर भी देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य अभी अपने सोलर मैक्सिमम तक नहीं पहुंचा है। दरअसल, सूर्य का एक चक्र 11 वर्षों का होता है और सोलर मैक्सिमम इसका सबसे ताकतवर बिंदु होता है। इस दौरान अशांति सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा बहुत ज्यादा होती है। 

सौर तूफानों का सीधा और बुरा प्रभाव

वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य के सोलर मैक्सिमम की तपिश अगले साली जुलाई तक पूरी होने की उम्मीद है। इस दौरान एक के बाद एक कई सौर तूफान देखने को मिल सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले इन बड़े सौर तूफानों का सीधा और बुरा प्रभाव हो सकता है। जिसमें सैटेलाइट से लेकर बिजली व्यवस्था पर विपरीत असर पड़ सकता है। अभी हाल में ही आए सौर तूफान से कई जगहों पर संचार उपग्रह और पावर ग्रिड को नुकसान हुआ था। कई इलाकों में बिजली गुल हो गई थी।

देखी गई जी-5 लेवल की भू-चुंबकीय स्थितियां 

बीते दिनों आए सौर तूफान में जी-5 लेवल की भू-चुंबकीय स्थितियां देखी गई थीं। इसकी वजह से तस्मानिया से लेकर ब्रिटेन तक आसमान में तेज चमक दिखाई दी थी। इस सौर तूफान को 1859 में कैरिंगटन घटना को जन्म देने वाले सन स्पॉट से भी बड़ा माना जा रहा है। जिसमें एक शक्तिशाली सौर तूफान पृथ्वी से टकराया था। जिसके चलते टेलीग्राफ के तारों में भयंकर आग लग गई थी। इससे दुनिया भर की संचार व्यवस्था प्रभावित हुई थी। यहां तक कि जहाजों के कंपास ने भी काम करना बंद कर दिया था।

115 हो सकती सन स्पॉट की संख्या 

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि साल 2025 में आने वाले सोलर मैक्सिमम के दौरान सन स्पॉट की संख्या 115 हो सकती है। इन सन स्पॉट से सौर ज्वाला और प्लाज्मा के शक्तिशाली विस्फोट निकलते हैं, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। इस दौरान सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स जब धरती के चुंबकीय क्षेत्र में दाखिल होते हैं तो इससे जो प्रतिक्रिया होती है, उसके असर से पार्टिकल्स चमकदार रंग-बिरंगी रोशनी के रूप में दिखाई देते हैं। जो सैटेलाइट और जीपीएस में गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं।