चांद पर मिला भारी मात्रा में पानी, भर जाएगा महासागर

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। चांद से पहले मंगल ग्रह पर इंसानी बस्तियां बसाई जाएंगी। नासा के वैज्ञानिकों को इस दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है। यहां इतना पानी मिला है कि महासागर भर जाए।  जीवन के लिए सबसे जरूरी चीज पानी है। बिना पानी कुछ भी संभव नहीं है। नासा अंतरिक्ष यात्रियों को मंगल पर भेजना चाहता है। ऐसे में सवाल उठता है कि अंतरिक्ष यात्रियों को पानी कहां मिलेगा। इसे लेकर एक नई स्टडी सामने आई है। इसमें खुलासा हुआ है कि मंगल की सतह के नीचे पानी का विशाल भंडार है। बता दें कि मंगल ग्रह में इंसानों की हमेशा से दिलचस्पी रही है। इसके पहले हुई खोजों में भी पता चला था मंगल पर कभी नदियां और समुद्र थे। समय के साथ वह खत्म हो गए।  अब मंगल ग्रह को लेकर एक नई स्टडी में बड़ा खुलासा हुआ है, जिसके जरिए मंगल ग्रह के समुद्र फिर से भरे जा सकते हैं। स्टडी में पता चला है कि मंगल की सतह के नीचे तरल पानी का एक विशाल भंडार छिपा है। संभवत: इतना पानी कि यह पूरे ग्रह को एक महासागर से ढक ले। यह खोज नासा के इनसाइट लैंडर के डेटा पर आधारित है। यह स्टडी बताती है कि मंगल पर सूक्ष्मजीवी जीवन के लिए अतीत में या वर्तमान में अनुकूल परिस्थितियां हो सकती हैं। फिलहाल इसे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पाना आसान नहीं है। शोध में कहा गया है कि तरल पानी का भंडार सतह से लगभग 11.5 से 20 किलोमीटर नीचे मंगल ग्रह की क्रस्ट के बीच में चट्टानों में छोटी दरारों और छिद्रों में स्थित है। अब वैज्ञानिक इस पानी को निकालने का प्रयास करेंगे। अगर इस पानी को मंगल की सतह पर लाने में कामयाबी मिल गई तो इंसानों की कालोनी बसाने का काम भी शुरू हो जाएगा। अनुसंधान के नतीजों के अनुसार यहां मौजूद भूजल का क्षेत्रफल पृथ्वी के आकार का लगभग आधा है।  बता दें कि नासा का इनसाइट लैंडर 2018 से 2022 में अपने मिशन के समापन तक धरती पर डेटा भेजता रहा। इसने मंगल ग्रह का भूकंपीय डेटा प्रदान किया। जिससे वैज्ञानिकों को इस संभावित जल भंडार की खोज में मदद मिली है। अध्ययन में कहा गया है कि मौजूदा मंगल ग्रह पर तापमान मध्य परत के शीर्ष के पास मौजूद तरल पानी के लिए पर्याप्त गर्म है। परत के नीचे छिद्र बंद होने की उम्मीद है। अमेरिका के बर्कले में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं एवं अन्य वैज्ञानिकों ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया। उनका कहना है कि तीन अरब साल पहले मंगल ग्रह से महासागर गायब हो गए थे। अब ताजा अध्ययन में अच्छी खबर सामने आई है। यह अध्ययन जर्नल प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है। अब तक ऐसा माना जाता था कि मंगल का चुंबकीय क्षेत्र ध्वस्त होने के बाद सौर हवाओं ने इसके वातावरण को नष्ट कर दिया था। उस दौरान ग्रह का पानी अंतरिक्ष में खो गया। ताजा संकेत मिले हैं कि अधिकांश पानी अंतरिक्ष में नहीं गया, बल्कि भूपर्पटी में छन कर जमा हो गया। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मंगल ग्रह पर ध्रुवों पर जमे हुए पानी के अलावा अभी भी तरल पानी मौजूद है। शोधकर्ताओं ने बताया कि मंगल ग्रह पर पानी जमीन की सतह से इतना अधिक नीचे है कि इसे ऊपर लाना एक समस्या है। एक किलोमीटर गहरा छेद करना एक चुनौती है।