बुध ग्रह पर मिला बर्फ का जखीरा, वैज्ञानिकों में खुशी की लहर 

नई दिल्ली। हमारा ब्रह्मांड अनेकों रहस्यों से भरा हुआ है। चाहे मंगल ग्रह की सूखी नदी हो या बर्फीला चंद्रमा, वैज्ञानिक रोज नई-नई खोज करके दुनिया को चौंका रहे हैं। अब नासा के वैज्ञानिकों ने धरती से खरबों मील दूर जिंदगी का ‘सबूत’ मिलने का दावा किया है। जिससे वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। 

 

बुध पर मौजूद है पानी

वैज्ञानिकों का मानना है कि जहां पानी वहां जीवन संभव हो सकता है। धरती के अलावा, अगर किसी ग्रह की सबसे ज्यादा चर्चा होती है तो वह मंगल ग्रह है जहां सबसे ज्यादा पानी है। लेकिन, अब नासा के वैज्ञानिकों ने बुध ग्रह पर बर्फ की खोज की है। जिससे यह बात साफ है कि बुध ग्रह पर भी पानी मौजूद है। सौर मंडल में पानी खोजने के लिए आमतौर पर अनुकूल वातावरण, पर्याप्त मोटे वायुमंडल और हल्के तापमान वाले स्थान  की तलाश करनी पड़ती है। लेकिन इस बार जो बुध ग्रह पर मिला है वह बिल्कुल अलग है।

 

पानी की बर्फ के संकेत  

वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां का वायुमंडल बहुत पतला है और बड़ी मुश्किल से मौजूद है। ऐसा लगता है कि यह आखिरी जगह है जहां पानी बचा हुआ है। नासा ने मैसेंजर मिशन के दौरान बुध पर ऐसे क्षेत्रों का पता लगाया जो न केवल ठंडे थे, बल्कि सूरज की रोशनी से भी हमेशा के लिए सुरक्षित थे। वैज्ञानिकों को गहरे गड्ढों में मौजूद ध्रुवीय क्षेत्रों में कुछ असामान्य सा दिखाई दिया, जिसमें रडार प्रतिबिंब शामिल थे। वैज्ञानिकों के अनुसार, रडार संकेत उच्च परावर्तनशीलता और मजबूत विध्रुवीकरण को दिखाते हैं। जो ग्रह की सतह पर पानी की बर्फ के संकेत थे। 

 

रेडियो संकेतों का अध्ययन 

वैज्ञानिकों ने यह खोज अरेसिबो रेडियो टेलीस्कोप, गोल्डस्टोन एंटीना और वेरी लार्ज एरे जैसे डिवाइस का इस्तेमाल करके की। वैज्ञानिकों ने बुध ग्रह की सतह से टकराने वाले रेडियो संकेतों का अध्ययन किया। जिसमें उन्होंने पाया कि पोल्स के पास प्रतिकूल परिवेश के बावजूद पानी की बर्फ के मजबूत संकेत मौजूद हैं।  शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि बुध के पोल्स पर क्रेटर कभी भी सूरज की रोशनी नहीं देखते हैं। इसलिए वहां का तापमान इतना ठंडा है कि मौजूद बर्फ अरबों वर्षों तक बनी रह सकती है। 

 

नासा ने दो सिद्धांत किए पेश 

अब यहां यक्ष प्रश्न यह है कि आखिरकार बर्फ वहां कैसे पहुंची। इस पर नासा के वैज्ञानिकों ने दो सिद्धांत पेश किए हैं। पहला यह कि पानी उल्कापिंडों और धूमकेतुओं के जरिए वहां पहुंचा होगा। दूसरा यह कि बुध ग्रह ने एक बार अपने भीतर से जल वाष्प छोड़ा होगा, जो बाद में वहां मौजूद ठंडे गड्ढों में जम गया होगा।  इस खोज ने वैज्ञानिकों के ग्रहीय जल स्रोतों के प्रति नजरिए को बदल दिया है, जो यह साबित करता है कि तापमान और वायुमंडल ही इसका एकमात्र कारण नहीं है। बल्कि आॅर्बिटल कंडीशन भी मायने रखती है।