नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने अरबों साल पुरानी एक दुर्लभ नदी का पता लगाया है। यह नदी अंटार्कटिका की 2 किलोमीटर बर्फ के नीचे दबी हुई है। युग बदलने के बावजूद नदी का स्वरूप जस का तस बना हुआ है, जिसे चमत्कार माना जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इसे विज्ञान के इतिहास की सबसे क्रांतिकारी खोज बताया है।
पूर्वी अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे छिपी
उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के नीचे कई ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं जिससे दुनिया आज भी अनजान है। इसी बीच वैज्ञानिकों ने पूर्वी अंटार्कटिका की मोटी बर्फ के नीचे छिपी एक नई दुनिया की खोज की है। यह इलाका 10 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक चौड़े बर्फीले परिदृश्य के नीचे छिपा हुआ है। डरहम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने कनाडाई उपग्रह प्रणाली की मदद से इसकी खोज की। शोध में वैज्ञानिकों ने एक प्राचीन नदी जैसी असाधारण चीज का पता लगाया जो करीब दो किलोमीटर बर्फ के नीचे दबी हुई है।
20 मिलियन वर्ष पहले ग्लेशियरों के नीचे दफन
रिपोर्ट के अनुसार, बर्फ की भारी चादर के नीचे संरक्षित यह भूमि हिमनदी के शुरू होने से बहुत पहले से अपरिवर्तित बनी हुई है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह छिपी हुई दुनिया उस समय की है जब अंटार्कटिका में बर्फीला रेगिस्तान नहीं था। उस समय यह अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा किया जाने वाला गोंडवाना महाद्वीप का हिस्सा था। बर्फ की जगह अंटार्कटिका में बहती नदियां, जंगल और घूमते हुए डायनासोर थे। यह लगभग 20 मिलियन वर्ष पहले ग्लेशियरों की बढ़ती बर्फ के नीचे दफन हो गए थे।
3 करोड़ साल पहले बननी शुरू हुई बर्फ
वैज्ञानिकों के अनुसार, पूर्वी अंटार्कटिक में बर्फ की चादर करीब 3 करोड़ चार लाख साल पहले बनना शुरू हुई थी। इस दौरान वैश्विक तापमान में गिरावट आई और कार्बन डाइ आक्साइड का स्तर एक महत्वपूर्ण सीमा से नीचे चला गया था। तब ट्रांसअंटार्कटिक पर्वत जैसे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र बढ़ते बर्फ के द्रव्यमान के केंद्र बन गए थे। धीरे-धीरे लाखों सालों में ये ग्लेशियर फैलते गए और आखिरकार उस विशाल बर्फ की चादर में मिल गए जो आज भी मौजूद है।
पृथ्वी का अतीत, वर्तमान और भविष्य जुड़ा
वैज्ञानिकों ने नीचे की भूमि का अध्ययन करने के लिए रेडियो-इको साउंडिंग और कंप्यूटर मॉडल का उपयोग किया। उनकी खोजों ने एक ऐसा परिदृश्य दिखाया जो आधुनिक बर्फ प्रवाह पैटर्न से बिल्कुल मेल नहीं खाता है। जिससे साबित होता है कि ये हिमनदी बनने से बहुत पहले बना था। वैज्ञानिकों की यह खोज बताती है कि पृथ्वी का अतीत, वर्तमान और भविष्य आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। इस नदी की तरह दबे हुए कई ऐसे परिदृश्य अभी भी मौजूद हैं जिनके रहस्यों को खोलकर आने वाली जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए और बेहतर तैयारी की जा सकती है।