नई दिल्ली। भारत के पास अब चीन से ज्यादा ताकतवर लड़ाकू विमान सुखोई 57 स्टील्थ फाइटर जेट आने वाला है। इस फाइटर जेट को लेकर वायुसेना की कुछ आपत्ति थी जिसे रूस ने दूर करने का दावा किया है। अब पीएम मोदी रूस की यात्रा पर जा रहे हैं जहां पुतिन इस मुद्दे पर बात कर सकते हैं। पीएम मोदी की रूस यात्रा पर दुनिया भर की नजरें टिकी हुई हैं। बताया जा रहा कि 8 से 9 जुलाई के बीच वे रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। पीएम मोदी की मास्को यात्रा के पीछे बड़ा संदेश माना जा रहा है। यात्रा को इस नजरिए देखा जा रहा है कि भारत दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि रूस के साथ उसकी दोस्ती कमजोर नहीं हुई है। वहीं पीएम मोदी अपनी मास्को यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। वहीं यूक्रेन युद्ध समेत कई अहम मुद्दों पर बातचीत हो सकती है। बता दें कि आखिरी बार 2019 में फार ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी रूस के व्लादिवोस्तोक शहर पहुंचे थे। वहीं यूक्रेन युद्ध के बाद दोनों नेताओं की यात्रा रुक गई थी। अब रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी और पुलित की इस बातचीत के दौरान पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को लेकर चर्चा हो सकती है। बता दें कि चीन जहां चेंगदू जे-20 को बड़े पैमाने पर शामिल कर रही है, वहीं पाकिस्तानी वायुसेना भी जे-31 स्टील्थ फाइटर जेट को जल्द ही शामिल करने जा रही है। दोनों ही दुश्मन देशों के स्टील्थ फाइटर जेट को शामिल करने से भारत के लिए खतरा बढ़ सकता है। इस खतरे को देखते हुए सुखोई-57 की खरीद के लिए फिर से बातचीत शुरू करना भारत के लिए एक अच्छा विकल्प है। रूस इस विमान को स्थानीय स्तर पर उत्पादन में मदद देने को भी तैयार है। बता दें कि सुखोई-57 इस समय दुनिया का दूसरा सबसे खतरनाक फाइटर जेट है। पहले नंबर पर अमेरिका लॉकहीड मार्टिन एफ-35 लाइटनिंग फाइटर जेट है। सुखोई-57 एक ट्विन-इंजन स्टील्थ मल्टीरोल लड़ाकू विमान है। इसका प्रारंभिक विकास 1999 में सुखोई के आंतरिक पदनाम टी-50 के रूप में शुरू किया गया था। यह रूसी सेना में शामिल होने वाला पहला स्टील्थ विमान था। 2009 में विमान के डिजाइन को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी गई थी। पहली उड़ान 29 जनवरी 2010 को हुई थी। जुलाई 2017 में टी-50 को सुखोई-57 नाम दिया गया था। सुखोई-57 रूसी एयरोस्पेस फोर्स में औपचारिक रूप से 2020 में शामिल हुआ था। जिसकी अब तक 32 यूनिट का निर्माण किया जा चुका है। इनमें से 10 परीक्षण विमान हैं और 22 सीरियल विमान हैं। सुखोई-57 लड़ाकू विमान कई तरह के मिशन को अंजाम दे सकता है। यह एयर सुपीरियॉरिटी मिशनों के लिए मुफीद लड़ाकू विमान है। यह सतह और हवा दोनों जगहों में मार कर सकता है। इसमें स्टील्थ, सुपर मनुवरबिलिटी, सुपर क्रूज, इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स और हैवी पेलोड क्षमता शामिल है। सुखोई-57 को रूसी वायु सेना में मिग-29 और एसयू-27 की जगह लेने के लिए बनाया गया है। इसकी अधिकतम गति सीमा 2135 किमी प्रति घंटा है। सुपरसोनिक रेंज 1500 किमी है। अधिकतम 66 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इसमें 30 मिमी की आॅटोकैनन लगी है। 12 हार्डप्वाइंट्स हैं। 6 प्वाइंट अंदर और 6 बाहर है। इसमें हवा से हवा, हवा से सतह, एंटी-शिप, एंटी-रेडिएशन, गाइडेड मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। इसमें क्लस्टर बम, एंटी-टैंक बम और एक्टिव होमिंग बम लगाए जा सकते हैं।
भारत को मिल सकता है खतरनाक फाइटर जेट, पीएम मोदी के रूस दौरे के समय सुखोई 57 पर हो सकती है बात
05-Jul-2024