जनप्रवाद ब्यूरो नई दिल्ली। बांग्लादेश में फिर बड़ा उलटफेर होने जा रहा है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार जमां ने अंतरिम सरकार के हेड मोहम्मद यूनुस को कड़ी चेतावनी दी है। जमां ने यूनुस से कहा कि जब तक चुनाव नहीं हो जाते तब सेना बैरकों में वापस नहीं जाएगी। उन्होंने यूनूस को सैन्य मामलों में हस्तक्षेप रोकने की हिदायत दी है। साथ ही म्यांमार में खूनी गलियारे को खारिज कर दिया।
आर्मी चीफ और युनूस में ठनी

बांग्लादेश आर्मी चीफ जनरल वकार उज-जमां ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को सख्त चेतावनी दी है। ढाका स्थिति सेना मुख्यालय में सभी अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में चुनी हुई सरकार के आने तक कोई मानवीय गलियारा या किसी विदेशी को कोई बंदरगाह आवंटित नहीं किया जाएगा। जमां ने जोर देकर कहा कि बांग्लादेश की सेना ऐसी किसी भी चीज की अनुमति नहीं देगी जो देश की संप्रभुता और भौगोलिक स्थिरता को प्रभावित करे। इस दौरान एक बार फिर उन्होंने मोहम्मद यूनुस को देश में आम चुनाव के लिए टाइमलाइन की याद दिलाई।
बांग्लादेश आर्मी चीफ ने जताई चिंता
बांग्लादेश आर्मी चीफ ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार देश के सशस्त्र बलों को अंधेरे में रख रही है। चुनाव के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होने के बाद 1 जनवरी 2026 तक एक निर्वाचित सरकार सत्ता में आ जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना चुनाव कराए सेना सेना बैरकों में वापस नही जाएगी। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों का कहना है जनरल वकार को यह भी शक है कि यूनुस बाहरी ताकतों के साथ मिलकर उनके खिलाफ प्रदर्शन करा उन्हें पद से हटाना चाहते हैं। इसलिए, उन्होंने कड़े शब्दों में यूनुस को संबोधित किया। इस दौरान वायु सेना और नौसेना प्रमुख उनके साथ थे। वकार का तीनों सेना के साथ मिलकर शक्ति प्रदर्शन का मकसद तीन अहम संदेश देना था। पहला सेना प्रमुख के पीछे सेना एकजुट है। दूसरा सेना सुरक्षा और रक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मामलों में अंधेरे में रखा जाना बर्दाश्त नहीं करेगी। तीसरा संदेश है कि सेना अब अराजकता और अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं करेगी। बता दें कि अराजकता का मतलब इस्लामी भीड़ का सड़क पर आंदोलन करना है जो यूनुस ब्रिगेड की एक पसंदीदा रणनीति है। इस दौरान जनरल वकार ने चटगांव से रखाइन कॉरिडोर तक का मुद्दा उठाया। जिसे यूनुस म्यांमार में मानवीय आपूर्ति पहुंचाने के लिए बनाना चाहते थे। माना जा रहा है कि रखाइन कॉरिडोर का इस्तेमाल अमेरिका म्यांमार के विद्रोही समूहों को सैन्य आपूर्ति भेजने के लिए कर सकता है। सेना इसके सख्त खिलाफ है। जनरल वकार ने इसे खूनी गलियारा कहकर साफ कर दिया कि वो बांग्लादेश को म्यांमार के गृहयुद्ध में घसीटने के सख्त खिलाफ हैं। इस गलियारे के लिए पैरवी कर रहे वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिकों ने इस सप्ताह जनरल से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने अपना विचार नहीं बदला।
रखाइन करिडोर प्रोजेक्ट का विराेध
बता दें कि यूनुस अमेरिका को खुश करने के लिए करिडोर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करना उन्हें बिना निर्वाचित हुए देश चलाने में मदद कर सकता है। बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों, अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, साथ ही वामपंथी पार्टियों ने भी रखाइन कॉरिडोर का विरोध किया है। जनरल वकार और मोहम्मद यूनुस के बीच विवाद का एक और मुद्दा भी है। यह मुद्दा पूर्व राजनयिक और अब अमेरिकी नागरिक खलीलुर रहमान की बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्ति है। यह पद यूनुस ने सुरक्षा मामलों पर सेना के नियंत्रण को संतुलित करने के लिए बनाया था। इस खूनी कॉरिडोर के विचार के पीछे रहमान को माना जाता है। अब सेना प्रमुख के धमकी क बाद रहमान ने इस बात को खारिज कर दिया कि कॉरिडोर में उनका कोई हाथ है।