नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के रहस्यमयी संसार में अब तक के सबसे बड़े ब्लैक होल का पता लगाया है। यह इतना बड़ा है कि इसमें कई दुनिया समा सकती है। वैज्ञानिकों की यह खोज अंतरिक्ष से जुड़े कुछ ऐसे रहस्यों को उजागर करेगी, जो विज्ञान की सीमाओं और कल्पनाओं को चुनौती देती हैं।
पृथ्वी से 6 अरब प्रकाश वर्ष दूर
रियो ग्रांडे डो सुल के संघीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की खोज ने दुनिया को चौंका दिया है। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से 6 अरब प्रकाश वर्ष दूर सूर्य से 36 अरब गुना बड़े ब्लैक होल का पता लगाया है। यह विशाल ब्लैक होल आकाशगंगा के केंद्र में स्थित है। इस खोज के लिए वैज्ञानिकों ने कॉस्मिक हॉर्सशू नाम के गुरुत्वाकर्षण लेंस का इस्तेमाल किया, जिसे पहली बार 2007 में देखा गया था। इसी के जरिये किए गए नए शोध में इस ब्लैक होल की पहचान की गई है।
कॉस्मिक हॉर्स-शू लेंस का इस्तेमाल
वैज्ञानिकों के अनुसार, कॉस्मिक हॉर्स-शू एक खास तरह का लेंस है। इसमें बड़ी से बड़ी आकाशगंगा का गुरुत्वाकर्षण बल, उसके पीछे मौजूद किसी भी दूर की मिल्की-वे की रोशनी को मोड़ देने की क्षमता है। जब ऐसा होता है तो इसके चारों तरफ एक चमकता हुआ आर्क दिखाई देता है। जिसे आइंस्टीन रिंग कहा जाता है। जिस मिल्की-वे के कारण यह रोशनी मुड़ती है उसका नाम एलआरजी3-757 है। यह आकाशगंगा से भी लगभग 100 गुना अधिक बड़ा ब्लैक होल है।
सबसे बड़े ब्लैक होल को मापना चुनौती
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सबसे बड़े ब्लैक होल को मापना बहुत ही चुनौती भरा होता है। न वे प्रकाश छोड़ते हैं, न ही सीधे देखे जा सकते हैं। आमतौर पर शोधकर्ता आस-पास के तारों और गैस की गति पर इसका आकलन करते हैं। उनका अस्तित्व केवल उनके गुरुत्वीय प्रभावों और उनके चारों ओर की गतिविधियों से अनुमानित किया जाता है। खासकर, पृथ्वी से 6 अरब प्रकाश वर्ष दूर किसी भी चीज को सीधा देख पाना बहुत ही मुश्किल होता है।
दूसरी आकाशगंगाओं से टकराव
वैज्ञानिकों ने इस बात की संभावना जताई है कि एलआरजी3-757 का पहले भी कई बार दूसरी आकाशगंगाओं से टकराव हुआ होगा। ऐसा भी संभव है कि किसी से टकराव के बाद वे आपस में मिल गए होंगे। वैज्ञानिक इस बात का भी अंदेशा जता रहे हैं कि यह ब्लैक होल किसी पुराने क्वासर का बचा हुआ हिस्सा हो सकता है। बता दें कि क्वासर शुरुआती ब्रह्मांड का ब्लैक होल है। यह ब्रह्मांड के सबसे तेज और चमकदार खगोलीय पिंडों में से एक है, जो इतनी अधिक ऊर्जा उत्सर्जित करता है कि पूरी आकाशगंगा को पीछे छोड़ सकता है।