जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 53 साल से अंतरिक्ष में फंसा रूस का यान अचानक गिर गया। यह शुक्र ग्रह की खोज के लिए वीनस मिशन पर रवाना हुआ था। लांच होते ही इस स्पेसशिप में विस्फोट हो गया था। अंतरक्षि के साथ यह पृथ्वी के लिए बड़ा खतरा बना हुआ था। इसके गिरने से वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली है। सोवियत युग का एक पुराना स्पेसशिप, पृथ्वी पर बेकाबू होकर गिर गया। यह यान करीब 53 साल पहले लांच किया गया था। दशको पहले लांच किया गया ये मिशन असफल रहा था। यूरोपीय संघ स्पेस एजेंसी ने इसकी वायुमंडल में वापसी की पुष्टि की थी। बता दें कि अंतरिक्ष यान 10 मई को आखिरी बार पृथ्वी पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के अनुसार यह मध्य अंडमान द्वीप से 560 किलोमीटर पश्चिम में हिंद महासागर में गिरा है। इससे पहले, यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने एक अपडेट में कहा था कि कोसमोस 482 को जर्मनी के ऊपर रडार में आखिरी बार देखा गया था। इसे लेकर कुछ दिन पहले ही यह बताया गया था कि कोसमोस 482 की पृथ्वी से टक्कर हो सकती है। ऐसे में यह धरती के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। सोवियत संघ ने इस मिशन की लांचिंग शुक्र ग्रह के रहस्यों को पता लगाने के लिए की थी। लांचिंग के कुछ घंटों बाद ही यह तकनीकी समस्याओं के कारण क्रैश हो गया। तब से यह पृथ्वी पर मंडरा रहा था। जब से यह खुलासा हुआ है कि यह निष्क्रिय उपग्रह गिर जाएगा, तब से वैज्ञानिक इस बात का अनुमान लगा रहे हैं कि यह कब होगा। शुरूआत में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि यह 9 से 13 मई के बीच धरती से टकरा जाएगा। बाद में नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने कहा कि यह 10 मई को पृथ्वी से टकरा जाएगा। दोबारा नासा द्वारा की गई भविष्यवाणी सही साबित नहीं हुई। आखिर में नासा ने अनुमान लगाया कि यह 11 मई को दोपहर 1 बजे दोबारा धरती में एंट्री कर सकता है। ईएसए ने कहा कि दोबारा एंट्री का समय 03 बजकर 12 मिनट हो सकता है। इसके बाद ईएसए ने फिर दोबारा अनुमान लगाया कि इसके धरती का टकरोन का 11 या मई हो सकता है। आखिरकार यह 11 मई को धरती से न टकराकर मध्य अंडमान द्वीप से 560 किलोमीटर पश्चिम में हिंद महासागर में गिरा है। अंतरिक्ष यान के गिरने के तुरंत बाद पता नहीं चल पाया है कि आधे टन के अंतरिक्ष यान का कितना हिस्सा आग की लपटों से जलने से बचा है। कोस्मोस 482 की मुख्य समस्या यह थी कि इसे शुक्र ग्रह के सख्त माहौल में जिंदा रहने के लिए बनाया गया था। यही कारण है कि इसके वायुमंडल में विघटित यानी टूट जाने की उम्मीद नहीं थी। ऐसे में वैज्ञानिकों को इसके खतरनाक होने की उम्मीद ज्यादा थी। बता दें कि कोसमोस को 31 मार्च, 1972 को लांच किया गया था। इसमें 3.3-फुट चौड़ा टाइटेनियम शेल शामिल है। जो थर्मल इन्सुलेशन से ढका हुआ है। शुक्र ग्रह बहुत गर्म है और इसलिए जांच को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि यह कठोर वातावरण का सामना कर सके। लॉन्च होने के बाद जैसे ही यह शुक्र की तरफ बढ़ने वाला था, इसके टाइमर में समस्या आ गई। इसमें विस्फोट हो गया। तब से यह दो पेलोड और इंजन के साथ पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा था। वैज्ञानिकों को डर था कि इसकी चपेट में कहीं कोई उपग्रह या सेटेलाइट न आए। अगर यह धरती पर सीधे गिरता तो भी बड़ी मुश्किल हो जाती। इसकी चपेट में आने वाली जगह पूरी तरह बर्बाद हो जाती। अब इसके गिरने के बाद वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली है।
53 साल से अंतरिक्ष में फंसा रूस का यान अचानक गिरा
12-May-2025