नई दिल्ली। सेना के जवानों को अब भारत में निर्मित मशीन गन ‘अस्मि ’मिलने वाली है। यह मारक गन नजदीकी लड़ाई के लिए शानदार है। इससे आतंकवादियों का पूरी तरह सफाया होगा। इसके सारे ट्रायल्स पूरे हो चुके हैं। देश में बनी यह गन इजरायल की यूजेडआई से बेहतर है। मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत भारत में डिजाइन और तैयार की गई पहली भारतीय सब मशीन गन अस्मि को लेकर अच्छी खबर सामने आई है। सेना के उत्तरी कमांड ने स्वदेशी मशीन पिस्टल और सब-मशीन कार्बाइन ‘अस्मि’ के लिए 5 करोड़ का आॅर्डर दिया है। यह आॅर्डर लोकेशन मशींस लिमिटेड को दिया गया है। अस्मि गन छोटी, घातक और हल्की होने के कारण नजदीकी लड़ाई में आतंकवादियों का काल बनेगी। सेना को 28 सितंबर तक इसकी डिलीवरी मिली जाएगी। इस अस्मि गन को केंद्रीय सुरक्षा बलों और राज्य पुलिस संगठनों के साथ-साथ वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी और पुलिसिंग में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह 9 एमएम कैलिबर वाली सबमशीन गन है। अस्मि को डीआरडीओ के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट, आर्मी इन्फैंट्री स्कूल महू और लोकेश इंजीनियरिंग हैदराबाद ने मिलकर बनाया है। बता दें कि अस्मि एक संस्कृत शब्द है। जिसका मतलब है गर्व, आत्मसम्मान और कड़ी मेहनत। अभी तक भारतीय सेना के पास अस्मि जैसी हल्की और मारक गन मौजूद नहीं है। इसकी विशेषताओं के बारे में बात करें तो इसके दो वैरिएंट्स हैं। 9 एमएम की मशीन पिस्टल का वजन मात्र 1 किलो 80 ग्राम है। इसके ऊपर किसी भी तरह के टेलिस्कोप, बाइनोक्यूलर या बीम लगाए जा सकते हैं। वहीं इसकी लंबाई 14 इंच है। बट खोलने पर इसकी लंबाई बढ़कर 24 इंच हो जाती है। इस पिस्टल को एल्यूमिनियम और कार्बन फाइबर से बनाया गया है। इसकी सटीक रेंज 100 मीटर है। मैगजीन में स्टील लाइनिंग होने की वजह से गोलियां के फंसने का चांस नहीं है। अस्मि मशीन पिस्टल की मैगजीन को पूरा लोड करने पर 33 गोलियां आती हैं। यह पिस्टल एक मिनट में 800 राउंड गोलियां दाग सकती है। इसका लोडिंग स्विच दोनों तरफ हैं। यानी दोनों हाथों से ये पिस्टल आसानी से चलाई जा सकती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे भारत में निर्मित गोलियों के साथ विदेशों और नाटो सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गोलियों को भी दागा जा सकता है। बता दें कि सेना को हल्की मशीन गन की जरुरत थी। ऐेसे में तीन कंपनियों ने अपने नाम दिए थे। इसमें इजरायल की मशीन गन बनाने वाली कंपनी यूजेडआई यानी यूजी और जर्मन हथियार निर्माता हेकलर एंच कोच की मशीन गन एम5 शामिल थी। बता दें कि यूजेडआई ऐसा हथियार है, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। क्लोज क्वॉर्टर कॉम्बैट में इसका कोई तोड़ नहीं है। ऐसे में तीनों कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा थी लेकिन सेना ने स्वदेशी निर्मित मशीन गन अस्मि का चुनाव किया। यह पूरी तरह से स्वदेशी है। साथ ही इसकी मैन्यूफैक्चरिंग भी देश में हुई है। वहीं अस्मि खरीदने वाली केवल एनएसजी और सेना ही ही नहीं है। असम राइफल्स ने भी इसकी टेस्टिंग की है और इस गन को शामिल करने की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ से भी चार गनों का पायलट आॅर्डर मिला है। अस्मि को भारतीय सेनाओं और भारत के मौसम को देखते हुए डिजाइन किया गया है। इसकी कीमत एक लाख रुपये से भी कम है।
सेना के जवानों को मिलेगी भारत में निर्मित मशीन गन ‘अस्मि ’
20-Jun-2024