वाशिगंटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बड़ी सफलता हासिल की है। एजेंसी ने 1977 में अंतरिक्ष में भेजे गए वॉयजर 1 को फिर से जीवित कर दिया है। इसने लगभग 24 अरब किलोमीटर की दूरी से 5 महीने बाद धरती पर पहला संदेश भेजा है।
इंजीनियरों ने किया कमाल
नासा के इंजीनियरों ने कमाल करते हुए अंतरिक्ष यान वॉयजर 1 में नया जीवन फूंक दिया है। एजेंसी ने यान से संपर्क स्थापित करने में सफलता हासिल कर ली है। धरती से सबसे दूसरे दूर मानव निर्मित अंतरिक्ष यान ने 5 महीने बाद पहली बार धरती पर संदेश भेजा है। इस संदेश को पढ़ा जा सका है। वॉयजर 1 ने अपने आॅनबोर्ड इंजीनियरिंग सिस्टम के स्वास्थ्य और स्थिति के बारे में एक अपडेट भेजा है। बता दें कि वॉयजर 1 को साल 1977 में अंतरिक्ष में भेजा गया था। वर्तमान में यह धरती से लगभग 24 अरब किलोमीटर की दूरी पर हमारे सौर मंडल से बाहर भ्रमण कर रहा है। कुछ दिनों पहले 46 साल पुराना स्पेसक्राफ्ट अजीब व्यवहार करने लग गया था। यह इसकी उम्र बढ़ने का संकेत माना जा रहा था।
बदल गया था वॉयजर 1 का व्यवहार
नासा के उपग्रह वॉयजर 1 के व्यवहार में पहली बार नवम्बर 2023 में अजीब परिवर्तन पाया गया था। इस स्पेसक्राफ्ट ने पिछले साल 14 नवंबर के बाद से सिग्नल भेजना बंद कर दिया था। वहीं वह पृथ्वी से भेजे गए कमांड रिसीव कर रहा था। बता दें कि डेटा इकट्ठा करने और उसे धरती पर भेजने के लिए जिम्मेदार स्पेसक्राफ्ट का फ्लाइट डेटा सिस्टम एक लूप में फंस गया था इससे यह मैसेज धरती तक नहीं पहुंच पा रहा था। नासा की रिपोर्ट के अनुसार वॉयजर का आखिरी मैसेज 14 नवम्बर को मिला था। मार्च में नासा की टीम ने पाया कि स्पेसक्राफ्ट की एक चिप में गड़बड़ी आ गई थी। जिसकी वजह से डेटा सिस्टम मेमोरी का बड़ा हिस्सा करप्ट हो गया था। इसी कारण स्पेसक्राफ्ट कोई भी पढ़ने लायक सिग्नल नहीं भेज पा रहा था। इसी चिप में एफडीएस कम्यूटर का सॉफ्टवेयर कोड भी था। पहले वैज्ञानिकों ने इस चिप की मरम्मत करने की सोची लेकिन असफलता मिली। इसके बाद मिशन कंट्रोल टीम ने कोड को एफडीएश मेमोरी में कहीं और रखने का फैसला किया। लेकिन कोई भी जगह इतनी बड़ी नहीं थी, जहां कोड के भाग को संपूर्णता में रखा जा सके। मिशन कंट्रोल ने समस्या के समाधान के लिए कोड को कई हिस्सों में बांटने और उसे अलग-अलग जगहों पर रखने की योजना तैयार की। नासा का यह मिशन सफल रहा। अब 20 अप्रैल को मिशन टीम को वॉयजर 1 से पहला व्यवस्थित डेटा मिला है। टीम ने कहा कि यह डेटा बताता है कि वॉयजर 1 स्वस्थ है और ठीक से काम कर रहा है। वहीं अंतरिक्ष की दुनिया में इसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। बता दें कि वॉयजर-1 धरती के लिए बेहद उपयोगी है। स्पेसक्राफ्ट में गोल्डन रिकॉर्ड्स मौजूद हैं। इनमें सोलर सिस्टम का मैप, स्पेसक्राफ्ट पर रिकॉर्ड प्ले करने के लिए निर्देश और यूरेनियम का एक टुकड़ा शामिल है। यह रेडियोएक्टिव घड़ी की तरह काम करता है। इसमें 12 इंच की गोल्ड-प्लेटेड कॉपर डिस्क भी है, जो अंतरिक्ष से हमारी दुनिया की जानकारी साझा करने के काम आती है। इनमें धरती पर जीवन से जुड़ी जानकारियां, अंतरिक्ष में होने वाली घटनाओं और कुछ खास आवाजें शामिल हैं। नासा के मुताबिक, वॉयजर स्पेसक्राफ्ट का पावर बैंक 2025 तक खत्म होने की आशंका है। इसके बाद यह मिल्की वे गैलेक्सी में घूमता रहेगा।