बिहार में गुफा में छिपा है अरबों का खजाना, अंग्रेज भी नहीं खोल पाए रहस्य

नई दिल्ली। बिहार के नालंदा में एक गुफा में अरबों का रहस्यमयी खजाना छिपा है। अभी तक जिसे खोजने का सारा प्रयास विफल रहा है। ऐसा माना जाता है कि अगर इस खजाने की चाहत में गुफा को तोड़ा गया या नुकसान पहुंचाया गया तो वहां भारी तबाही आ जाएगी और विस्फोट से पूरा शहर तबाह हो जाएगा।  बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में एक ‘सोन भंडार गुफा’ है। जिसमें रहस्यमयी खजाना छुपे होने का दावा किया गया है। इस गुफा में दो मुख्य कमरे हैं। जिसमें पहले कमरे का आकार 10.4 मीटर लंबा और 5.2 मीटर चौड़ा है। इस कमरे से जुड़ा हुआ एक दूसरा गुप्त कमरा है। जिसमें पहले कमरे के भीतर से पहुंचा जा सकता है। इस कमरे को एक बड़ी चट्टान से ढका गया है। माना जाता है कि खजाने का भंडार इसी चट्टान के पीछे छिपा है। खजाने की रक्षा के लिए वहां सिपाहियों की तैनाती रहती है। इस खजाने को शंख लिपि में छिपी भाषा से ही डिकोड किया जा सकता है। लेकिन, इसे खोलने में अभी तक कोई सफल नहीं हो पाया है। वहां रहने वाले स्थानीय लोग बताते हैं कि सरकार गुफा का संरक्षण इसलिए करती है, क्योंकि अगर गलती से भी इसकी खुदाई की गई, इसे तोड़ा गया या नुकसान पहुंचाया गया तो ऐसा ज्वालामुखी फटेगा कि 50 कोस तक राजगीर में तबाही मच जाएगी।  इतिहासकारों के अनुसार, ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने भी इस रहस्यमयी खजाने तक पहुंचने का प्रयास किया था। उन्होंने गुफा पर तोप के गोले बरसाए थे, लेकिन वे इसे खोलने में सफल नहीं हो पाए थे। गुफा पर आज भी गोले के निशान देखे जा सकते हैं। गुफा की दीवार पर शंख लिपि भाषा में कुछ संकेत लिखा हुआ है। माना जाता है कि इसी के जरिए खजाने के रहस्यों को उजागर किया जा सकता है। लेकिन इसकी भाषा और अर्थ अभी तक कोई समझ नहीं पाया है।  इतिहासकारों की मानें तो इस खजाने को हर्यक राजवंश के प्रथम राजा बिम्बिसार की पत्नी ने छिपाया था। ऐसा उन्होंने खजाने को जप्ती से बचाने के लिए किया था। यह घटना उस समय की है जब बिम्बिसार को उनके पुत्र अजातशत्रु ने बंदी बना लिया था। इस गुफा के आस-पास और भी कई प्राचीन गुफाएं मौजूद हैं, जिनमें मौर्यकालीन और गुप्त राजवंशीय कलाकृतियां देखने को मिलती हैं। बिम्बिसार ने 543 ईसा पूर्व में मात्र 15 वर्ष की आयु में मगध की गद्दी संभाली थी। उन्होंने राजगृह जिसे अब राजगीर कहा जाता है उसका निर्माण कराया था। हर्यक वंश के शासनकाल से लगभग 2500 वर्ष पूर्व मगध पर महाराजा बृहद्रथ का शासन था। उनकी मौत के बाद उनके पुत्र जरासंध ने मगध की गद्दी संभाली थी। राजा बनने के बाद जरासंध ने चक्रवर्ती सम्राट बनने के लिए 86 राज्यों को पराजित किया था। जिसका जिक्र वायु पुराण में किया गया है। रहस्यमयी खजाने और ऐतिहासिक महत्व के कारण राजगीर की सोन भंडार गुफा आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति का बेजोड़ नमूना प्रस्तुत करती है।