जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने ऐसा पदार्थ बनाने में सफलता हासिल की है जो शरीर के अंगों की हरकतों से बिजली पैदा कर देगा। ऐसे में इसांन चलता-फिरता पावर हाउस हो जाएगा। इससे मोबाइल चार्ज से लेकर छोटे-मोटे कामों के लिए बैट्री या बिजली की जरुरत नहीं पड़ेगी।
खास लचीला पदार्थ तैयार
देश के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा खास लचीला पदार्थ तैयार किया है जो तकनीक की दुनिया में क्रांति लाने वाला है। यह शरीर की सामान्य हरकतों जैसे दिल की धड़कन, सांस लेना, उंगलियों की हलचल या चलाने से खुद ही बिजली बना सकता है। यह उपलब्धि बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज सीईएनएस के वैज्ञानिकों ने हासिल की है। यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वायत्त संस्था है। इस पदार्थ में दबाव और खिंचाव जैसी गतिविधियों को बिजली में बदलने की क्षमता है।
विशेष नैनो कणों का आविष्कार
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार वैज्ञानिकों ने टंग्स्टन ट्राइआॅक्साइड नाम के विशेष नैनो कणों के सहारे यह सफलता हासिल की है। टंग्स्टन ट्राइआॅक्साइड को पीवीडीएफ नाम की लचीली प्लास्टिक सामग्री में मिलाकर यह नया मिश्रित पदार्थ बनाया गया है। यह दबाव और खिंचाव जैसी गतिविधियां पैदा होने पर बेहद एक्टिव हो जाता है। इससे इन प्रक्रियाओं से बिजली में बनने लगती है। शोध टीम ने इन नैनो कणों को चार अलग-अलग आकारों में तैयार कर जांच की, जिनमें फूल जैसी आकृति वाले कण सबसे प्रभावी पाए गए। ये प्लास्टिक में सबसे अच्छी तरह घुलमिल जाते हैं और ज्यादा बिजली पैदा करते हैं। इनकी सतह पर अधिक विद्युत आवेश होता है, जिससे ये प्लास्टिक में सबसे अच्छी तरह घुलमिल जाते हैं। इससे ज्यादा बिजली पैदा होने लगती है।
हल्की से हल्की गतिविधि रिकॉर्ड
इस अनुसंधान में शोधकर्ताओं ने न सिर्फ पदार्थ तैयार नहीं किया, बल्कि यह भी तय किया कि प्लास्टिक में नैनो कणों की कितनी मात्रा रहने से ऊर्जा उत्पादन सबसे ज्यादा होगा। इसके बाद टीम ने इसका उपयोग करके छोटे-छोटे स्वयं ऊर्जा पैदा करने वाले उपकरण भी बनाए और उनका सफल परीक्षण किया। इन उपकरणों ने हल्की से हल्की गतिविधि जैसे उंगली का मोड़ना या टेबल पर हल्की थाप से भी साफ और स्थिर विद्युत संकेत पैदा किए। यह शोध अंतरराष्ट्रीय पत्रिका एसीएस अप्लाइड इलेक्ट्रॉनिक मटेरियल्स में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीक वास्तविक जीवन में कई क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह खोज स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लाएगा। इससे मरीज की दिल की धड़कन, सांस, नाड़ी और चलने जैसी गतिविधियों को आंकने में आसानी होगी। यह तकनीक बिना किसी बाहरी बिजली स्रोत के यह काम कर सकती है। नया पदार्थ स्मार्ट कपड़ों, फिटनेस बैंड़ों, मोशन सेंसरों और चिकित्सा उपकरणों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे शरीर में पहने जाने वाले उपकरण का आकार और वजन कम होगा, बैटरी बदलने की जरूरत खत्म होगी। साथ ही लगातार कामकाज संभव हो सकेगा। इसके अलावा यह तकनीक भविष्य में ऊर्जा बचत और हरकत से ऊर्जा बनाने वाले स्मार्ट वस्त्रों और उपकरणों में भी इस्तेमाल की जा सकेगी।




