जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिक एक ऐसा रोबोट विकसित कर रहे हैं जो महज 24 घंटे के भीतर आलीशान मकान बना देगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस रोबोट को मकान बनाने के लिए न तो सीमेंट चाहए और न ही र्इंट। इस तकनीक को देखकर दुनियाभर के वैज्ञानिक हैरान हैं।
घर बनाने का ख्वाब होगा पूरा
आमतौर पर घर बनाने का ख्वाब तो हर किसी का होता है, लेकिन इसमें टाइम और खर्चा बहुत लगता है। अब यह मुश्किल बेहद आसान हो जाएगी। आस्ट्रेलिया की सिडनी में एक ऐसा ही रोबोट बन रहा है, जो सिर्फ 24 घंटे के भीतर ही आपके सपनों का घर बना सकता है। खास बात है कि यह रोबोट सीमेंट और ईंट लगाकर घर नहीं बनाता, बल्कि आसपास की मिट्टी, रेत और साफ कचरे से ही मकान बना देता है। अर्थ डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार सिडनी में एक नया रोबोट बन रहा है जिसका नाम है शार्लोट। यह रोबोट मकड़ी जैसा दिखता है, यही कारण है कि इसे स्पाइडर रोबोट भी कहा जाता है। यह 3 डी प्रिंटिंग तकनीक से काम करता है। डेवलपर कहते हैं कि यह करीब 200 वर्ग मीटर यानी लगभग 2150 वर्ग फुट का पूरा घर खुद-ब-खुद बना सकता है। बता दें कि शार्लोट एक चलने वाला रोबोट है जिसमें कई पैर हैं। यह रोबोटिक्स और 3 डी प्रिंटिंग को मिलाकर काम करता है। यह एक-एक लेयर चढ़ाता जाता है और पूरा ढांचा तैयार कर देता है।
शार्लोट में नीचे की तरफ लगा सिस्टम
इस रोबोट की खासियतां के बारे में बात करें तो शार्लोट में नीचे की तरफ एक सिस्टम लगा है। यइ इसे आसपास की रेत, मिट्टी और टूटी ईंटों को इकट्ठा करता है। फिर उसे कपड़े जैसे बाइंडर में बांधकर नोजल से निकालता है और परत दर परत दीवार खड़ी कर देता है। इसमें जोड़ने के लिए गारे की जरूरत नहीं पड़ती। इस बरे प्र्रोजेक्ट के मुख्य इंजीनियर गोलेम्बिव्स्की इसे चमत्कार मानोते हिं। उन्ने कहा कि यह रोबोट 100 से ज्यादा मजदूरों जितनी तेजी से काम करेगा। इसे दूर-दराज के गांव-ढाणियों में भी आसानी से ले जाया जा सकता है, क्योंकि इसे मोड़कर छोटा किया जा सकता है।
गोलेम्बिव्स्की ने दी जानकारी
गोलेम्बिव्स्की का कहना रोबोट फिलहाल सिर्फ प्रोटोटाइप है। यानी शुरूआती मॉडल है। हालांकि, शार्लोट को सिर्फ धरती के लिए नहीं बनाया जा रहा। इसका हल्का और मुड़ने वाला डिजाइन चांद की जमीन के लिए भी परफेक्ट है। नासा और दूसरी कंपनियां चांद की मिट्टी से वहां घर बनाना चाहती हैं। वहां धूल बहुत बारीक और चिपचिपी है, ग्रेविटी कम है। तापमान बहुत ज्यादा या बहुत कम रहता है। लेकिन रिसर्च बताते हैं कि चांद की मिट्टी को भी मजबूत दीवारों में बदला जा सकता है। अगर सब ठीक रहा तो शार्लोट जैसे रोबोट चांद पर भी इंसानों के लिए पहला घर बना देंगे। दूसरी ओर इस रोबोट के बारे में अर्थशात्रिायों का कहना है कि इससे डर है है कि रोबोट आने से मजदूरों की नौकरी चली जाएगी। कुछ देशों में मजदूर पहले से कम हैं, वहां शार्लोट जैसे रोबोट मदद करेंगे। लेकिन जहां लाखों लोग सिर्फ मजदूरी करके गुजारा करते हैं, वहां नई ट्रेनिंग और दूसरे कामों की जरूरत पड़ेगी। एक्सपर्ट कहते हैं कि रोबोट और इंसान साथ काम करें तो बेहतर होगा। रोबोट भारी और बार-बार होने वाला काम कर सकते हैं। इंसान प्लानिंग और आखिरी फिनिशिंग कर सकता है। इससे काम तेज भी होगा और नौकरियां भी बची रहेंगी।




