जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब और कतर के साथ संयुक्त अरब अमीरात यानी (यूएई) की यात्रा की। दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए खाड़ी देशों को चुना। ऐसे में यह दौरा काफी सुर्खियों में रहा। ट्रंप ने दावा किया कि उनकी इस यात्रा में खरबों डॉलर के निवेश और सौदों पर समझौते हुए। वहीं उनके दौरे ने पूरे मिडिल ईस्ट में हलचल मचा दी। दिलचस्प है कि वे इस दौरे में, मध्य पूर्व में अमेरिका के सबसे करीबी रणनीतिक सहयोगी इसराइल नहीं गए। अमेरिकी राष्ट्रपति की इस यात्रा पर पढ़िए एक विश्लेषात्मक रपट।
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खरबों के समझौते
ट्रंप के दौरे की शुरूआत सऊदी अरब से हुई जहां उन्होंने 142 अरब डॉलर के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। दौरे के दूसरे पड़ाव कतर में उन्होंने 1.2 ट्रिलियन डॉलर के कई अहम सौदों पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने 15 मई को मध्य पूर्व में सबसे बड़े अमेरिकी सैन्य अड्डे अल उदैद एयरबेस (कतर) का भी दौरा किया और घोषणा की कि कतर इस अड्डे में 10 अरब डॉलर का निवेश करेगा। एआई के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले सेमीकंडक्टर चिप्स तक यूएई की पहुंच को आसान बनाने के लिए भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
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गाजा पर बोले ट्रंप
अबू धाबी की अपनी यात्रा के दौरान ट्रंप ने कहा कि अमेरिका गजा में स्थिति को 'संभालने' की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि घेराबंदी वाले फलस्तीनी क्षेत्र के बहुत से लोग भूख से मर रहे हैं। हम गजा के मुद्दे का अध्ययन कर रहे हैं और इसे सुलझाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।
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मिडिल ईस्ट को दी नसीहत
ट्रंप ने सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा में अपनी विदेश नीति को साफ किया। उन्होंने व्यापार और शांति पर जोर दिया। सऊदी अरब में एक भाषण में कहा नई पीढ़ी के नेता पुराने झगड़ों को पीछे छोड़ रहे हैं। मिडिल ईस्ट का भविष्य व्यापार से बनेगा, न कि अराजकता से। उन्होंने तकनीक को बढ़ावा देने और आतंकवाद को खत्म करने की बात कही।
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सीरिया पर हटाए प्रतिबंध
ट्रंप ने सीरिया पर लगे प्रतिबंध हटाने की घोषणा की, ताकि उसे फिर से खड़ा होने का मौका मिले। उन्होंने कहा कि सीरिया, अब तुम्हारा समय है। कुछ करके दिखाओ। ट्रंप 25 साल में पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने, जिन्होंने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति से आमने-सामने मुलाकात की। वहीं विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि कुछ प्रतिबंधों को अस्थायी रूप से हटाया जाएगा। स्थायी बदलाव के लिए कांग्रेस की मंजूरी लेनी होगी। बता दें कि सीरिया पर
ये प्रतिबंध 1979 से लगे थे।
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ट्रंप के दौरे से इजरायल परेशान
पिछले साल नवंबर में जब ट्रंप ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता था तब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बेहद खुश हुए थे। नेतन्याहू का मानना था कि रिपब्लिकन्स की मध्य-पूर्व नीतियां निस्संदेह इजरायल के हितों के अनुकूल होंगी और वो खुद ट्रंप के साथ मिलकर इसे बनाने में सहयोग करेंगे। लेकिन जैसा नेतन्याहू ने सोचा था, वैसा बिल्कुल भी नहीं हो रहा। बेशक, अमेरिका इजरायल का सबसे मजबूत वैश्विक सहयोगी और हथियारों का मुख्य आपूर्तिकर्ता बना हुआ है लेकिन ट्रंप एक ऐसी पश्चिम एशिया नीति को बढ़ावा दे रहे हैं जो कई मामलों में नेतन्याहू और उनकी सरकार के हितों के बिल्कुल उलट है। ईरान के साथ इजरायल की इच्छा के खिलाफ जाकर परमाणु वार्ता शुरू करना, यमन के हूती विद्रोहियों के साथ समझौता और हमास के साथ सीधी बातचीत की घोषणा- ये कुछ झटके हैं जिन्हें अमेरिका ने इजरायल को पहले ही दे चुका है। इजरायल के दक्षिणपंथी हलकों में तो ऐसाी अफवाहें भी फैल रही हैं कि ट्रंप ने फिलिस्तीनी राज्य के लिए एकतरफा अमेरिकी समर्थन की घोषणा कर दी है। अगर ऐसा है तो यह इजरायल के लिए बहुत बड़ा झटका है। ऐसे में ट्रंप का मध्य-पूर्व दौरा इजरायल को और परेशान कर रहा है।
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चौंकाने वाली मुलाकात
सऊदी अरब की राजधानी रियाद में ट्रंप की एक तस्वीर सामने आई, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई। इस तस्वीर के आधार पर दावा किया जा रहा है कि इससे पूरे पश्चिम एशिया की भू-राजनीति बदल सकती है। दरअसल इस तस्वीर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान और सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल शरा दिखाई दिए। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भू-राजनीति की दुनिया में ये बड़ी घटना है। सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल शरा, जो आज अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ बतौर राष्ट्राध्यक्ष खड़े दिखाई दे रहे हैं, अब से कुछ साल पहले तक वे अमेरिका के लिए वांछित आतंकवादी थे। अहमद अल शरा पूर्व में आतंकी घटनाओं में शामिल रह चुके हैं। उन्हें मोहम्मद अल जालानी या गोलानी के नाम से भी जाना जाता है। अहमद अल शरा संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका में वांछित आतंकवादी थे। बीते दो दशकों में अहमद अल शरा कई आतंकी संगठनों से जुड़े रहे, जिनमें खूंखार आतंकी संगठन अल कायदा और आईएसआईएस जैसे नाम शामिल हैं। अहमद अल शरा पर अल कायदा और आईएसआईएस के लिए फंड जुटाने, हथियारों का इंतजाम करने और लोगों को इनसे जोड़ने का गंभीर आरोप था। अहमद अल शरा का अल कायदा और आईएसआईएस से जुड़ाव इतना गहरा था कि वे सीधे अल कायदा प्रमुख रहे अयमन अल जवाहिरी और आईएसआईएस प्रमुख अबु बकर अल बगदादी को रिपोर्ट करते थे। इस मुलाकात से साफ है कि इससे पश्चिम एशिया की राजनीति में बड़े बदलाव हो सकते हैं। तुर्किए और अरब देश भी सीरिया की नई सरकार का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि इजरायल की सरकार पूरे घटनाक्रम से खुश नहीं है। उनका मानना है कि अमेरिका को सीरिया की नई सरकार को वैधता देने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। बहरहाल ट्रंप और सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति की मुलाकात यकीनन पश्चिम एशिया की भू-राजनीति पर बड़ा असर डालेगी और इससे नए समीकरण बनेंगे और पुराने समीकरण ध्वस्त होंगे।