जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण का सपना जल्द पूरा होगा। अमेरिका और दोस्त फ्रांस से धोखा मिलने के बाद भारत ने कावेरी प्रोजेक्ट 2.0 शुरू कर दिया है। इससे देश में ही भारतीय लड़ाकू विमानों का इंजन बनाया जाएगा। इसे डीआरडीओ के तहत विकसित किया जा रहा है। इससे अमेरिका, फ्रांस, चीन, पाकिस्तान और तुर्की की नींद उड़ जाएगी।
भारत बना रहा नया इंजन
भारत का गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट एक नया इंजन बना रहा है। इसका नाम कावेरी 2.0 है। यह एक टबोर्फैन इंजन है। यह इंजन पहले वाले कावेरी इंजन से बेहतर होगा। इसे आने वाले लड़ाकू विमानों में लगाने की योजना है। जीई-एफ-404 इंजन बहुत अच्छा काम करता है। कावेरी 2.0 इंजन भी वैसी ही ताकत पाना चाहता है, लेकिन यह तकनीक भारत की होगी। जीटीआरई का लक्ष्य जी-ई एफ 414 इंजन जैसी क्षमता हासिल करना है। यह इंजन आधुनिक लड़ाकू विमानों में लगा है। बता दें कि भारत पांचवे पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाना चाहता है। फ्रांस और अमेरिका से इन विमानों के निर्माण के लिए इंजन का समझौता हुआ था। समझौते के बाद भी दोनों देश अपने वादे पर खरे नहीं उतर रहे हैं। दोनों देशों से भारत को लगातार धोखा मिल रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत का कावेरी इंजन 2.0 अगर सफल हो गया तो इससे अमेरिका, फ्रांस, चीन, पाकिस्तान और तुर्की की नींद उड़ जाएगी।
पांचवी पीढ़ी का टर्बोफैन इंजन
इंडियन डिफेंस न्यूज के अनुसार कावेरी पांचवी पीढ़ी का टर्बोफैन इंजन है। इसका उद्देश्य मूल कावेरी इंजन को बेहतर बनाना है। इसे भविष्य के लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है। कावेरी 2.0 इंजन कोर को 55 से 58 केएन के बीच थ्रस्ट पैदा करने के लिए डिजाइन किया गया है। बता दें कि केएन का मतलब किलो न्यूटन है। वहीं थ्रस्ट का मतलब है इंजन की शक्ति। कोवरी के आफ्टरबर्नर (वेट थ्रस्ट) के साथ 90 केएन से अधिक की क्षमता प्राप्त करने की उम्मीद है। जीटीआरआई का लक्ष्य है कि कावेरी 2.0 का प्रदर्शन अमेरिका में बने एफ-404 (84 केएन) और एफ-414 (98 केएन) इंजन की कैटेगरी में हो। अगर, ये इंजन बनाने में भारत कामयाब होता है तो इससे भारत को तेजी से अपने पांचवीं पीढ़ी के जंगी विमानों को बनाने में जुट जाएगा। इससे सिर्फचीन और पाकिस्तान की टेंशन नहीं बढ़ेगी बल्कि हथियार निर्यातक देशों की जड़े हिल जाएंगी।
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फ्लैट-रेटेड तकनीक के साथ डिजाइन
कावेरी 2.0 को फ्लैट-रेटेड परफॉरमेंस या फ्लैट-रेटेड तकनीक के साथ डिजाइन किया गया है। इसका मतलब है कि यह तापमान और गति में बदलाव के बावजूद लगातार पावर आउटपुट बनाए रखेगा। यह भारत की विविध जलवायु के लिए एक महत्वपूर्ण विशेषता है। मूल ड्राई कावेरी इंजन ड्राई कॉन्फिगरेशन में 46 केएन का थ्रस्ट और आफ्टरबर्नर के साथ 73 के एन पैदा करता है। मूल कावेरी इंजन अपने थ्रस्ट लक्ष्यों को पूरा करने में संघर्ष करता रहा। आफ्टरबर्नर के साथ इच्छित 81 केएन के बजाय लगभग 70-75 के एन प्राप्त कर पाया। इसके विपरीत, कावेरी 2.0 को 90-100 केएन के थ्रस्ट स्तर का उत्पादन करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह तेजस, एमके-2, सुखाई और भविष्य के एडवांस्ड जंगी विमानों की उड़ान के लिए जरूरी होगा। बता दें कि भारत अभी अमेरिका से इंजन आयात करता है, जो उसे तकनीक देने को तैयार नहीं है। वहीं फ्रांस ने राफेल जैसे विमान दिए हैं, मगर वह भी उनका सोर्स कोड देने को तैयार नहीं है। ऐसे में भारत ने इन विमानों को खुद अपने देश में बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
कावेरी इंजन में थीं कुछ दिक्कतें
पहले वाले कावेरी इंजन में कुछ दिक्कतें थीं। वह जितना थ्रस्ट पैदा करना चाहता था, उतना नहीं कर पाया। वह सिर्फ 70-75 केएन थ्रस्ट ही पैदा कर पाया, जबकि उसका लक्ष्य 81 केएन था। लेकिन कावेरी 2.0 इंजन 90 से 100 केएन थ्रस्ट पैदा करने के लिए बनाया गया है। यह ताकत कावेरी 2.0 इंजन को फ्लैट-रेटेड परफॉर्मेंस के साथ बनाया गया है। इसका मतलब है कि तापमान और गति बदलने पर भी इंजन की शक्ति एक जैसी रहेगी। यह भारत के मौसम के लिए बहुत जरूरी है। पहले वाला कावेरी इंजन बिना आफ्टरबर्नर के 46 केएन और आफ्टरबर्नर के साथ 73 केएन थ्रस्ट पैदा करता था।