जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। जो काम जो बाइडेन की 31 महीने में नहीं कर पाई वह काम ट्रंप ने राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने से पहले ही कर दिखाया। कूटनीति और रणनीति के मोर्चे पर डोनाल्ड ट्रंप क्या करने वाले हैं, इस ओर उन्होंने इशारा भी कर दिया। ट्रंप ने कहा कि मैं युद्ध रोकने जा रहा हूं। उनके ऐलान के बाद अब यूक्रेन और रूस ने बड़ा कदम उठाया है। वहीं कनाडा के पीएम के भी सुर बदल गए हैं। डोनाल्ड ट्रंप की जीत से क्या बदल जाएगा? भारत और उनके दुश्मन मुल्कों पर इसका क्या असर होगा। इसको लेकर बहस तेज हो गई है। इसके अलावा रूस-यूके्रन युद्ध को लेकर खूब चर्चाएं हैं। बता दें कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल 20 जनवरी 2025 से शुरू होगा। इब ट्रंप के आन से बहुत कुछ बदल जाएगा। कूटनीति और रणनीति के मोर्चे पर ट्रंप क्या करने वाले हैं, इसका इशारा उन्होंने जीत के बाद अपने पहले भाषण में कर दिया। ट्रंप ने कहा कि मैं युद्ध रोकने जा रहा हूं। अब कोई जंग नहीं होने देंगे। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि हमने चार साल में कोई जंग नहीं लड़ी। हमले केवल आईएसआईएस को हराया था। ट्रंप के बाद अब यूक्रेन के आर्मी चीफ ने ऐलान किया कि वो रूस के क्षेत्र से अपनी सेना का वापस बुलाएंगे। जानकार यूक्रेन के इस कदम को रूस से जंग खत्म करने के लिए पहला स्टेप मान रहे हैं। यूक्रेन ने रूस के जिस क्षेत्र से सेना को वापस बुलाने का ऐलान किया है वो कुर्स्क है। यूक्रेन का दावा है कि कुर्स्क क्षेत्र में रूस ने तीन महीने में 20 हजार से अधिक कर्मियों को खो दिया है। कुर्स्क वो क्षेत्र है जहां पर हाल में उत्तर कोरिया के सैनिक भी रूस के समर्थन में उतरना था। यानी यहां भीषण जंग होने वाली थी। बता दें कि इस क्षेत्र में 11,000 उत्तर कोरियाई सैनिक पहले से ही मौजूद हैं। दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति ने भी बड़ा बयान दिया है। पुतिन ने पहली सावर्जनिक टिप्पणी में ट्रंप को बहादुर बताया। साथ ही कहा कि वे बातचीत को तैयार हैं। रूस और यूके्रन की जंग रुकवाने के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप यूक्रेन को मिलने वाली मदद में कटौती कर सकते हैं। बता दें कि ट्रंप यूक्रेन को सैन्य-आर्थिक मदद की आलोचना करते रहे हैं। समाधान के तौर पर यूक्रेन के जिस 65400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर रूस का कब्जा है ट्रंप जीते हुए इलाके का कुछ हिस्सा रूस को दे सकते हैं। जीते हुए इलाके के कुछ हिस्से पुतिन छोड़ने पर सहमत हो सकते हैं। रूस और अमेरिका के संबंधों में संभावित सुधार के चलते युद्ध के समीकरण बदल सकते हैं। ऐसे में यूक्रेन को युद्ध विराम के लिए समझौता करना पड़ सकता है।वहीं दूसरी ओर ट्रंप की जीत से भारत मजबूत होगा। खासकर, कनाडा जो भारत के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है, उसकी आवाज मंद पड़ेगी। जस्टिन ट्रूडो को खालिस्तान के मुद्दे पर पीछे हटना ही होगा। अमेरिका और भारत के बीच हथियारों के निर्यात, संयुक्त सैन्य अभ्यास और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से चीन और पाकिस्तान को भी परेशानियां बढ़ेंगी। पिछले हफ्ते कनाडा के हिन्दू मंदिर पर हुए हमले की ट्रंप ने आलोचना की। उनके बयान के बाद ही ट्रूडो के भी सुर बदल गए। तुरंत उनका बयान आया और हमले की निंदा की। इसके बाद कार्रवाई भी हुई। मामले में तीन लोगों को गिररफ्तार किया गया। खालिस्तान मुद्दे को लेकर भी ट्रंप का रुख साफ है। वे इस मामले मे किसी भी तरह की हिंसा नहीं चाहते। ऐसे में कनाडा को अपने यहां मौजूद खालिस्तानियों को अपने कदम रोकने का संदेश देना ही पड़ेगा। ट्रंप ने हिदुंओं के मुद्दे पर जिस तरह से बांग्लादेश को लेकर भारत का साथ दिया, उससे साफ संदेश गया है। ट्रंप इन मुद्दों पर भारत का साथ खुलकर देना चाहते हैं।
जो काम बाइडेन 31 महीने में नहीं कर पाए वह काम ट्रंप ने आते ही कर दिया
08-Nov-2024