हिंद महासागर बना जंग का अखाड़ा, भारत-चीन की नौसेनाएं आमने-सामने

नई दिल्ली। श्रीलंका में भारत और चीन की नौसेनाएं आमने-सामने आ गई हैं। दोनों देशों ने श्रीलंका में अपने-अपने युद्धपोत तैनात किए हैं। भारत ने जहां अपना एक युद्धपोत भेजा है तो वहीं, चीन ने तीन युद्धपोतों को तैनात कर खलबली मचा दी है। ऐसे में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। श्रीलंका में हिंद महासागर क्षेत्र भारत और चीन का नया रणनीतिक अखाड़ा बनता दिखाई दे रहा है। भारतीय नौसेना का पोत आईएनएस मुंबई श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पर कोलंबो बंदरगाह पहुंचा। आईएनएस मुंबई 163 मीटर लंबा विध्वंसक पोत है, जिस पर 410 सदस्यों का चालक दल सवार है। श्रीलंकाई नौसेना की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय कमांडर कैप्टन संदीप कुमार ने पश्चिमी नौसेना क्षेत्र के कमांडर रियर एडमिरल चिंताका कुमारसिंघे से मुलाकात की।  श्रीलंकाई नौसेना के अनुसार, आईएनएस मुंबई के कोलंबो में ठहराव के दौरान, इसके चालक दल के सदस्य देश के कुछ पर्यटक केंद्रों का दौरा करेंगे। साथ ही आईएनएस मुंबई पर जहाज के परिचालन कार्यों के संबंध में एक सत्र श्रीलंकाई नौसेना के लिए आयोजित किया जाएगा। आईएनएस मुंबई श्रीलंकाई नौसेना के साथ संयुक्त गतिविधियों जैसे खेल, योग और तटीय क्षेत्र की सफाई आदि में भी शामिल होगा। इसके अलावा, आईएनएस मुंबई 29 अगस्त को कोलंबो तट पर श्रीलंका नौसेना के एक जहाज के साथ ‘पैसेज एक्सरसाइज’ में भी भाग लेगा।  अब इसे संयोग कहें या ड्रैगेन की चाल, आईएनएस मुंबई के पहुंचने के बाद चीनी नौसेना के तीन युद्धपोत भी कोलंबो बंदरगाह पहुंच गए हैं। ये तीन युद्धपोत हे फेई, वुझिशान और किलियानशान हैं। हे फेई 144 मीटर लंबा युद्धपोत है, जिस पर चालक दल के 267 सदस्य सवार हैं। जबकि वुझिशान 210 मीटर लंबा युद्धपोत है, जिस पर चालक दल के 872 सदस्य हैं। वहीं किलियानशान 210 मीटर लंबा युद्धपोत है, जिसमें 334 सदस्य सवार हैं। श्रीलंका नौसेना का कहना है कि चीनी नौसेना के तीनों युद्धपोत औपचारिक यात्रा पर कोलंबो आए हैं। बता दें कि इससे पहले भी भारत श्रीलंका में चीनी युद्धपोत, जासूसी नौकाएं और पनडुब्बियों के ठहरने पर अपनी आपत्ति जता चुका है। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के युद्धपोत पहले से ज्यादा समय तक हिंद महासागर क्षेत्र में ठहर रहे हैं। जाहिर है कि चीनी नौसेना के साथ बीजिंग की लगातार लॉजिस्टिकल सुविधाओं की खोज भारत के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।