भारतीय सेना को मिला एफपीवी ड्रोन, युद्ध के दौरान दुश्मन के एयरक्राफ्ट होंगे ध्वस्त

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय सेना में एफपीवी ड्रोन को शामिल कर लिया गया है।  इसके आने के बाद चीन और पाकिस्तान की खैर नहीं होगी। यह ड्रोन कम विस्फोटक के साथ शत्रु पर सटीक और करारा वार करने में सक्षम है। महज 1640 डॉलर के एक ड्रोन से करोड़ों के एयरक्राफ्ट को ध्वस्त किया जा सकता है।

तकनीक की लड़ाई की तैयारी


तकनीक की लड़ाई में भारत ने भी खुद को साबित करना शुरू कर दिया है। जरूरतों के हिसाब हथियार भी तैयार किए जा रहे हैं। सेना भी अपने अलग अलग इनोवेशन प्रोजेक्ट बना रही है। साथ ही उसे सेना में शामिल भी कर रही है। इसका सबसे ताजा उदाहरण एफपीवी ड्रोन है। सेना ने इसकी पहली झलक इसी साल मार्च में दिखाई थी। यह ड्रोन 400 ग्राम के विस्फोटक के साथ अपने टार्गेट पर सटीक हमला करता है। बता दें कि आपरेशन सिंदूर में भारत ने चीन और पाकिस्तान की तकनीक को एक साथ धूल चटाई। एंटी ड्रोन सिस्टम ने एक भी अटैक को सफल नहीं होने दिया। भारत की स्वदेशी कंपनियां दुनिया भर में झंडे गाड़ रही हैं। वहीं सेना भी कोई कसर नहीं छोड़ रही। सैन्य तैयारी की कड़ी में एफपीवी ड्रोन को आज के दौर का सबसे खतरनाक ड्रोन माना जा रहा है।

एफपीवी ड्रोन की खासियत


एफपीवी ड्रोन के बारे में सेना का कहना हैकि इसे सेना के 9 कोर की फ्लूर-डी-लिस ब्रिगेड ने टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी चंडीगढ़ के साथ मिलकर विकसित किया है। इसके कई सफल परीक्षण किए गए। इसका नतीजा जबरदस्त था। इसके बाद अब इसे सेना में शामिल कर लिया गया है। 400 ग्राम विस्फोटक के साथ यह आसानी से किसी भी टार्गेट को निशाना बना सकता है। बता दें कि रूस के एयरबस पर इसी तरह के सस्ते और जबर्दस्त तरीके से हमले करने वाले ड्रोन का प्रयोग किया गया था। इसका नतीजा दुनिया ने देखा। भारत ने स्वदेशी तकनीक अब खतरनाक ड्रोन तैयार कर लिया है। 

वॉरफेयर के दौर में खास ड्रोन 

एसिमेट्रिक वॉरफेयर के दौर में यह ड्रोन बेहद खास और कारगर है। भारतीय सेना ने जो ड्रोन बनाया है वह कामिकाजी एंटी टैंक म्यूनिशन से लैस है। भारतीय सेना में यह अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है। बता दे कि यह प्रोजेक्ट अगस्त 2024 में शुरू किया गया था। यह पूरा ड्रोन राइजिंग स्टार ड्रोन बैटल स्कूल में असेंबल किया गया है। अभी तक 100 से ज्यादा ड्रोन तैयार किए जा चुके हैं। हर ड्रोन की कीमत 1,40,000 रुपये है। अभी 5 ड्रोन को सेना में शामिल किया गया है। 95 ड्रोन अभी मिलने हैं। इस ड्रोन में पेलोड के लिए ड्युअल सेफ्टी मैकेनिज्म है। इससे आपरेटर की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। ट्रांसपोर्टेशन, हैंडलिंग और उड़ान के दौरान किसी एक्सीडेंटल ब्लास्ट को रोकता है। इसे एक्टिवेट सिर्फ ड्रोन पायलट ही कर सकता है। इसके अलावा एक लाइव फीडबैक रिले सिस्टम पायलट को पेलोड की स्थिति के बारे में रियल टाइम अपडेट देता है। इससे ड्रोन उड़ाने के दौरान सही और तेजी से फैसले लेने में मदद मिलती है। आमतौर पर इस ड्रोन की रेंज 6 से 7 किलोमीटर बताई जा रही है। इस ड्रोन को आपरेट करने के लिए किसी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की जरूरत नहीं होती। 

दूर से आपरेट होगा ड्रोन


एफपीवी ड्रोन की सबसे बडी खासियत यह है कि दुश्मन के इलाके के महज 3 से 5 किलोमीटर दूर बंकर में बैठकर इसे आपरेट किया जा सकता है। युद्ध के दौरान यह लॉन्ग रेंज हथियारों से ज्यादा घातक है। महज 1640 डॉलर के एक ड्रोन से करोड़ों के एयरक्राफ्ट को नष्ट किया जा सकता है। इसे लांच करना और आपरेट करना ठीक उसी तरह है जैसे वीडियो गेम खेलना। ड्रोन में लगा कैमरा अपने टारगेट पर निशाना बनाने की प्रक्रिया को आसान बना देता है। बता दें कि रूस के जितने भी एयरक्राफ्ट पर ड्रोन अटैक किए गए वे विंग पर थे। इसकी वजह यह है कि सभी एयरक्राफ्ट का फ्यूल विंग्स पर ही होता है। इससे साफ हो जाता है कि इस तकनीक से कितनी सफाई और चतुराई से आपरेशन को अंजाम दिया जा सकता है।